पुलवामा में आतंकी हमला, 42 जवान शहीद

जम्मू/नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के लिए 14 फरवरी, 2019 का दिन बेहद खराब रहा। पुलवामा में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहममद ने सीआरपीएफ के बस पर हमला कर दिया। हमले के समय 2547 जवान 78 वाहनों के काफिले में जा रहे थे। इसी दौरान जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटकों से लदी कार से उनकी बस में टक्कर मार दी। धमाका इतना जबरदस्त था कि बस के परखच्चे उड़ गए। करीब 10 किलोमीटर तक धमाके की आवाज सुनाई दी। इस हमले के बाद पूरे देश में गुस्सा का माहौल है। जवानों के शहीद होने की घटना ने जहां सुरक्षा एजेंसियों को सन्न करके रख दिया, तो वहीं इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। 15 फरवरी को नई दिल्ली में पुलवामा हमले को लेकर सुरक्षा मामलों की समिति की बैठक हुई। इस अहम बैठक में कई वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री सहित विभागीय आला अधिकारियों ने भाग लिया। सूत्रों के मुताबिक, आठ फरवरी को खुफिया एजेंसी ने जम्मू-कश्मीर राष्ट्रीय राजमार्ग पर आतंकी हमले का अलर्ट जारी किया था। अलर्ट में कहा गया था कि आतंकी राजमार्ग पर आईईडी से हमला कर सकते हैं।
फिदायीन हमले के बाद सुरक्षा प्रतिष्ठानों ने पूरी घाटी को हाई अलर्ट पर रख दिया है। सुरक्षा बंकरों और पुलिस स्टेशनों के सामने किसी भी वाहन को रुकने की अनुमति नहीं है। स्टाफ कर्मचारियों के अलावा हर आगंतुक की उच्च स्तर की जांच और तलाशी ली जा रही है।
दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा जिले में सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती हमला करने की वारदात को सोची समझी साजिश के तहत अंजाम दिया गया है। इससे घटना वाली जगह का भी चयन किया था, ताकि नुकसान ज्यादा हो। कई दिन बाद जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के खुलने के बाद सीआरपीएफ का यह काफिला वीरवार तड़के करीब 3रू30 बजे जम्मू से रवाना हुआ था। शाम तक उसके श्रीनगर पहुंचने की उम्मीद थी। मगर श्रीनगर से 31 किलोमीटर दूर पुलवामा जिले के लेथपोरा इलाके में आत्मघाती हमलावर ने दोपहर बाद 3रू16 बजे काफिले को निशाना बनाया।
सूत्रों के अनुसार करीब 250 किलो से अधिक विस्फोटक से लैस एक एसयूवी लेथपोरा में एक मोड पर थी, वहां से गुजर रहे सीआरपीएफ के वाहनों को निशाना बनाया। तीन गाड़ियां बुरी तरह से इस विस्फोट से प्रभावित हुई जिनमें दो गाड़ियां 54 और 35 बटालियन की थी। सूत्रों का कहना है कि यदि गाड़ियां नजदीक होतीं तो 10 से 12 निशाने पर आ सकते थे। अगर घटनाक्रम को गौर से देखा जाए तो जगह का चयन भी ऐसा किया गया था। चढ़ाई पर एक मोड़ था, जहां आतंकियों को पता था कि गाड़ियां वहां धीमी रफ्तार से पास होंगी। इसलिए आत्मघाती हमलावर ने भी उसी जगह को चुना ताकि ज्यादा नुकसान हो सके।
अमूमन ऐसे हमले सुकमा या अन्य नक्सल प्रभावित इलाकों में देखने को मिलते हैं जहां सुरक्षाबलों के काफिलों को निशाना बनाया गया है। वहीं इस हमले के पीछे पुलवामा के एक स्थानीय आतंकी के शामिल होने की बात सामने आई है। हमले की जिम्मेदारी लेने वाले आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की ओर से इस आतंकी की फोटो जारी करते हुए कहा है कि आत्मघाती हमलावर (गाड़ी चालक) यही था। जिस आतंकी के इस हमले में शामिल होने की बात सामने आई है उसकी पहचान जैश द्वारा गुंडीबाग पुलवामा के आदिल अहमद उर्फ वकास कमांडो के तौर  पर बताई गई है। उसका एक वीडियो भी जैश द्वारा जारी किया गया है और माना जा रहा है कि वकास कमांडो जैश के अफजल गुरु स्क्वॉयड का हिस्सा था।
18 साल बाद कार बम का इस्तेमाल
जम्मू-कश्मीर में 18 साल बाद एक बार फिर आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने कार बम का हमले के लिए इस्तेमाल किया है। इससे पहले 2001 में श्रीनगर में विधानसभा परिसर में विस्फोटक से भरी टाटा सूमो को टकराकर फिदायीन हमला किया गया था। साथ ही दूसरी बार स्थानीय मानव बम का हमले में इस्तेमाल किया गया। इसके पहले भी तीन बार स्थानीय लोगों का फिदायीन हमले के लिए इस्तेमाल किया गया था, लेकिन सुरक्षा बलों के परिसर में वे घुस नहीं सके थे।
1 अक्तूबर 2001 को जैश के तीन फिदायीनों ने विस्फोटक से भरे टाटा सूमो से विधानसभा  परिसर को निशाना बनाया था। हमले में तीनों फिदायीन मारे गए थे। साथ ही 38 लोगों की मौत हुई थी। हमले में एक पाकिस्तानी वजाहत हुसैन का नाम सामने आने के बाद केंद्र ने कड़ी आपत्ति जताई थी। बताते हैं कि वर्ष 1999 में भी श्रीनगर में 15 कोर मुख्यालय से एक स्थानीय फिदायीन ने कार को गेट से टकराकर अपने को उड़ा लिया था। हालांकि, इसमें किसी प्रकार के नुकसान की सूचना नहीं थी। 2003 और 2005 में भी इसी प्रकार की कोशिश हुई थी।
पुलवामा के लेथपोरा में सीआरपीएफ कैंप पर जनवरी 2018 में दो स्थानीय फिदायीनों ने हमला किया था। यह पहला मामला था जिसमें स्थानीय फिदायीन सुरक्षा बलों के परिसर में घुसने में सफल हुए थे। इसमें चार जवान शहीद हुए थे। फरदीन और मंजूर बाबा नाम के इन दोनों आतंकियों को पुलवामा के त्राल के नूर मोहम्मद ने ट्रेंड किया था। हमले से पहले फरदीन ने वीडियो बनाया था, जो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। ठीक इसी प्रकार इस घटना में भी आदिल ने हमले से पहले वीडियो बनाया, जो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है।
आंतकवादी हमले में शहीद हुए जवानों की सूची
1. जयमाल सिंह- 76 बटालियन
2. नसीर अहमद- 76 बटालियन
3. विजय कुमार मौर्य- 92 बटालियन
4. रोहिताश लांबा- 76 बटालियन
5. तिकल राज- 76 बटालियन
6. भागीरथ सिंह- 45 बटालियन
7. बीरेंद्र सिंह- 45 बटालियन
8. अवधेष कुमार यादव- 45 बटालियन
9. नितिन सिंह राठौर- 3 बटालियन
10. रतन कुमार ठाकुर- 45 बटालियन
11. सुरेंद्र यादव- 45 बटालियन
12. संजय कुमार सिंह- 176 बटालियन
13. रामवकील- 176 बटालियन
14. धरमचंद्रा- 176 बटालियन
15. बेलकर ठाका- 176 बटालियन
16. श्याम बाबू- 115 बटालियन
17. अजीत कुमार आजाद- 115 बटालियन
18. प्रदीप सिंह- 115 बटालियन
19. संजय राजपूत- 115 बटालियन
20. कौशल कुमार रावत- 115 बटालियन
21. जीत राम- 92 बटालियन
22. अमित कुमार- 92 बटालियन
23. सुखविंदर सिंह- 76 बटालियन
24. कुलविंदर सिंह- 92 बटालियन
25. विजय सोरंग- 82 बटालियन
26. वसंत कुमार वीवी- 82 बटालियन
27. गुरु एच- 82 बटालियन
28. सुभम अनिरंग जी- 82 बटालियन
29. अमर कुमार- 75 बटालियन
30. अजय कुमार- 75 बटालियन
31. मनिंदर सिंह- 75 बटालियन
32. रमेश यादव- 61 बटालियन
33. परशाना कुमार साहू- 61 बटालियन
34. हेम राज मीना- 61 बटालियन
35. बबला शंत्रा- 35 बटालियन
36. अश्वनी कुमार कोची- 35 बटालियन
37. प्रदीप कुमार- 21 बटालियन
38. सुधीर कुमार बंशल- 21 बटालियन
39. रविंदर सिंह- 98 बटालियन
40. एम बाशुमातारे- 98 बटालियन
41. महेश कुमार- 118 बटालियन
42. एलएल गुलजार- 118 बटालियन

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