पुणे में राज कपूर की स्मृति में एक संग्रहालय

पुणे  । पुणे में राज कपूर की स्मृति में एक संग्रहालय बनाया गया है। इसमें अपने अभिनय में जान डाल देने वाली रचनात्मकता एवं भावुकता राज कपूर की प्रतिमाओं में परिलक्षित है। यह संग्रहालय उस 125 एकड़ भूमि के शैक्षिकए सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परिसर भूमि में निर्मित है, जिसे राज कपूर ने इस संस्थान के संस्थापक विश्वनाथ डी. कराड़ को दान में दे दिया था। अलबत्ता राज कपूर की शर्त थी कि शिक्षा के साथ-साथ इस संस्थान को ऐसे भारतीय संस्कृति के प्रतिबिंब के रूप में प्रस्तुत किया जाए, जिसमें भारतीय संस्कृति की विरासत झलके। शायद राज कपूर के इसी स्वप्न को साकार रूप देने की दृष्टि से इसके कल्पनाशील संस्थापकों ने महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) जैसे विशाल शिक्षा संस्थान को आकार दिया। फिर इस परिसर में संगीत कला अकादमी एवं वाद्ययंत्र संग्रहालय, सप्तऋषि आश्रम और भारतीय सिनेमा के स्वर्ण युग से साक्षात्कार कराने वाला राज कपूर संग्रहालय अस्तित्व में लाया। उनकी मृत्यु के 25 साल बाद इस संग्रहालय का उद्घाटन करते हुए राज कपूर के पुत्र रणधीर कपूर ने भाव-विभोर होते हुए कहा था-‘इस परिसर में मुझे ऐसा अनुभव हो रहा है कि मेरे महान पिता की आत्मा यहां हर जगह वास कर रही है। वे हरेक पेड़ और फूल में जीवित हैं। इस स्मारक के निर्माण के लिए मैं विश्वनाथ कराड़ के प्रति ह्रदय से आभारी हूं। इस संस्थान के जरिए उन्होंने मेरे पिता के सपने को साकार रूप दिया है।’

 पुणे में राज कपूर की स्मृति में एक संग्रहालय बनाया गया है। इसमें अपने अभिनय में जान डाल देने वाली रचनात्मकता एवं भावुकता राज कपूर की प्रतिमाओं में परिलक्षित है। यह संग्रहालय उस 125 एकड़ भूमि के शैक्षिकए सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परिसर भूमि में निर्मित है, जिसे राज कपूर ने इस संस्थान के संस्थापक विश्वनाथ डी. कराड़ को दान में दे दिया था।

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