कालेधन के खिलाफ सीधी लड़ाई है नोटबंदी: डॉ. रमन सिंह

रायपुर। देश भर में कल 08 नवम्बर को नोटबंदी की पहली वर्षगांठ पर कालाधन विरोध दिवस मनाया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नोटबंदी (विमुद्रीकरण) के लिए एक वर्ष पहले लिया गया फैसला काले धन की रोकथाम और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक और क्रांतिकारी कदम साबित हुआ है।
डॉ. सिंह ने कालाधन विरोध दिवस की पूर्व संध्या पर आज यहां जनता के नाम जारी अपने संदेश में कहा है कि भ्रष्टाचार, आतंकवाद, गरीबी और महंगाई जैसी गंभीर समस्याओं का सबसे बड़ा कारण कालाधन है। इसलिए प्रधानमंत्री ने देश को इन समस्याओं से मुक्ति दिलाने के लिए विमुद्रीकरण के जरिए कालेधन के खिलाफ सीधी लड़ाई की शुरूआत की है। यह प्रधानमंत्री के दृढ़ संकल्प का परिचायक है। डॉ. सिंह ने कहा-500 और 1000 के पुराने नोटों को निरस्त कर नये नोटों के प्रचलन से देश में जाली नोटों के कारोबार पर काफी हद तक प्रभावी अंकुश लगा है। जाली नोट चलाने की कोशिश करने वाले अपराधियों पर तत्परता से पुलिस कार्रवाई भी हुई है। इसके फलस्वरूप ऐसे अपराधियों के हौसले पस्त हुए हैं। डॉ. रमन सिंह ने कहा-नोटबंदी के सिर्फ एक वर्ष के भीतर छत्तीसगढ़ सहित देश भर के बैंकों की जमा राशि में लगभग तीन लाख करोड़ रूपए की अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई है, जो देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने में काफी मददगार साबित हो रही है। पूरे देश में एक करोड़ से ज्यादा श्रमिकों को कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) और कर्मचारी बीमा योजना (ईएसआई) से जोड़ा गया है। मुख्यमंत्री ने कहा-विमुद्रीकरण के विकल्प के रूप में देश में नगदी विहीन (कैशलेस) और ऑनलाइन भुगतान को बढ़ावा दिया जा रहा है। सिर्फ एक वर्ष के भीतर हमारे देश में कैशलेस डिजिटल भुगतान में 56 प्रतिशत की रिकार्ड वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा-छत्तीसगढ़ सरकार भी अपने राज्य में प्रधानमंत्री के डिजिटल भारत अभियान के तहत कैशलेस लेन-देन को बढ़ावा दे रही है। मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना में प्रदेश के सभी परिवारों को स्मार्ट कार्ड दिए जा रहे हैं। उन्हें स्मार्ट कार्ड के आधार पर अब 30 हजार रूपए के स्थान पर 50 हजार रूपए तक सालाना निःशुल्क इलाज की सुविधा मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कहा- नोटबंदी के सकारात्मक और उत्साहवर्धक नतीजे आने लगे हैं। विगत एक वर्ष में देश भर के बैंकों में 18 लाख संदेहास्पद खातों की जांच करके करीब चार लाख 73 हजार संदिग्ध लेन-देन का पता लगाया गया है। डॉ. सिंह ने कहा-विमुद्रीकरण से पहले देश में सिर्फ 28 सरकारी योजनाओं में ही लाभार्थियों के खातों में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) की सुविधा थी, जबकि नोटबंदी के बाद अब लगभग 300 योजनाओं में यह सुविधा मिलने लगी है। आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या नोटबंदी से पहले केवल 10 प्रतिशत थी, जबकि एक साल के भीतर इसमें 24.7 प्रतिशत की वृद्धि रिकार्ड की गई है।

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