दुर्लभ बीमारी के मरीजों को तुरंत मिले सहयोग

नई दिल्ली। रेयर डिजीज डे के मौके पर मौलाना आजाद मेडिकल काॅलेज में एक आयोजन किया गया। इसमें लाइसोसोमल स्टोरेज डिसआॅर्डर सपोर्ट सोसाइटी की ओर से मेडिकल काॅलेज को सहयोग किया गया। इस आयोजन का लक्ष्य दुर्लभ बीमारियों के प्रति लोगों में जागरूकता लाना है। इस कार्यक्रम में केंद्रीय स्तर पर दुर्लभ बीमारियों के उपचार को लेकर नेशनल पाॅलिसी के बारे में हालिया चर्चा पर जोर दिया गया, जिसे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 25 मई, 2017 को मंजूरी दी थी। बता दें कि नवंबर, 2017 में लागू की गई इस पाॅलिसी के लिए दुर्लभ बीमारियों के उपचार के लिए 100 करोड़ रुपये आंवटित की गई। इसे केंद्र और राज्य सरकार के बीच 60 और 40 के अनुपात में बांटा गया।
28 फरवरी,2019 के आयोजन में वक्ताओं की ओर से कहा गया कि पाॅलिसी बनने के करीब डेढ़ ासल बाद ही 30 नवंबर, 2018 को मंत्रालय ने अपने वेबसाइट में पूर्व की अधिसूचना से यूटर्न ले लिया और कहा कि कभी भी बजट आवंटित ही नहीं किया गया। दिल्ली हाईकोर्ट में पिछली सुनवाई में मंत्रालय ने कहा था कि पाॅलिसी मरीजों की बेहतरी के लिए बनाई गई थी, लेकिन राज्य से बिना विचार विमर्श के निर्णय लिया गया। इस सौदेबाजी में मरीजों को खामियाजा भुगतना पड़ां
अपने वक्तव्य में मौलाना आजाद मेडिकल काॅलेज की डिपार्टमेंट आॅफ पेडियाट्रिक्स की प्रोफेसर डाॅ सीमा कपूर ने कहा कि दुर्लभ बीमारियों से ग्रसित मरीज खासतौर से लायासोसोमल स्टोरेज डिसआॅर्डर यानी एलएसडी से पीड़ित मरीजों को अक्सर बेहद लाचार जिंदगी जीनी पड़ती है। शुरुआत में यह स्थिति डायफंक्शनल एंजाइम्स की वजह से होता है। ये डिसआॅर्डर अक्सर क्राॅनिक होते हैं और मरीज की क्वालिटी आॅफ लाइफ को बुरी तरह से प्रभावित करते हैं। उन्होंने कहा कि खुशकिस्मती से उपलब्ध उचार ईआरटी के बारे में यह साबित हुआ है कि इससे मरीज की हालत में काफी सुधार होता है। रेयर डिजीज डे दुर्लभ बीमारियों से ग्रसित मरीजों की आवश्यकताओं की तरफ ध्यान दिलाने का एक उपयुक्त अवसर होता है।
इस अवसर पर एलएसडीएसएस प्रेसिडेंट मंजीत सिंह ने कहा कि सरकार की नीतियों के कारण पिछले 24 महीने में हम पहले ही 20 मासूम बच्चों की जान गवां चुके हैं। अगले नौ महीने तक सरकार द्वारा पाॅलिसी को दोबारा तैयार करने से मौतें और बढंेगी। उन्होंने कहा कि हम सरकार से निवेदन करते हैं क उस पाॅलिसी को दोबारा स्थापित करें और उसमें संशोधन करने के लिए सुझाव लें तथा उसे संतुलित बनाएं।

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