रथयात्रा, सीबीआई और हरियाणा की राजनीति

कमलेश भारतीय

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आखिरकार फ्रैक्चर के बावजूद व्हील चेयर पर ही होडल में रथयात्रा का श्रीगणेश कर दिया । वही बात जोर देकर कही कि न रथ रूकेगा , न वे झुकेंगे। हरियाणा सरकार का विरोध तब तक जारी रखेंगे जब तक कि इसकी विदाई तय नहीं हो जाती । फ्रैक्चर के कारण वे बीच बीच में रथयात्रा में सवार होते रहेंगे ।
इनेलो के हिसार से सांसद दुष्यंत चौटाला का कहना है कि हुड्डा के रथ की लगाम सीबीआई के हाथ है । यानी सीबीआई जब , जितनी छूट देगी , तब हुड्डा रथयात्रा निकालेंगे । विरोधियों का काम है विरोध करना । दुष्यंत ने यह कर्म करने दिया । पर कांग्रेस के धुर विरोधी और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक तंवर और किरण चौधरी ने एक नया पैंतरा ढूंढ लिया कि रथयात्रा के बैनर में न सोनिया गाँधी और न ही राहुल गांधी का फोटो लगाया गया । हम हाईकमान को इसकी जानकारी देंगे । अपनी अपनी नजर है । कोई पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को देखने जाता है , कोई सिर्फ बैनर देखने जाता है । है न राइट च्वाइस बेबी ?
दीपेंद्र हुड्डा ने भी कहा है कि रथ नहीं रूकेगा । उनका कहना है कि तीन वर्षों में इस भाजपा सरकार ने प्रदेश कोई जलाने का काम किया । हर वर्ग दुखी है । दीपेंद्र हुड्डा लगातार यात्राओं और जनसभाओं में अपनी बात रख रहे हैं । किसी विरोधी ने हुड्डा के घायल होने को भी चुटकी लेते हुए उपयोग किया । क्या आप कभी घायल नहीं होंगे ? क्या कभी आपका कार्यक्रम किसी आपदा के कारण बदल नहीं सकता ? सब ऊपर वाले के हाथ में हैं ।
हुड्डा की रथयात्रा के बहाने हरियाणा की राजनीति गर्मा गयी हैं । वैसे भी मौसम करवट ले रहा हैं । हिसार में जाट आरक्षण संघर्ष समिति का धरना पानी वाली जगह में डूब रहा हैं । वहां भी हुड्डा की चर्चा के बिना बात नहीं बनती । कभी यशपाल मलिक को हुड्डा कार्यरत एजेंट बताया जाता था तो अब भाजपा का । यदि जींद रैली का विरोध किया तो भी हुड्डा के नाम का सहारा लिया । बाद में विरोध नहीं किया तो बताइए किसने रोक दिया ? जब चहुंओर से एक ही व्यक्ति चर्चा या आलोचना के केंद्र में आ जाए तो समझ लीजिए कि बंदे में है दम , वंदेमातरम् ।

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