आसपास वालों के रहें पास-पास


पड़ोसी यानी वह शख्स जो आपके पड़ोस में रहता है। और न चाहते हुए भी इनसे आपका एक अनचाहा रिश्ता जुड़ ही जाता है। कहते हैं कि पड़ोस के लोग एक-दूसरे के सहायक होते हैं। खुशी का अवसर हो चाहे दुख का, पड़ोसी जितने काम आते हैं उतने दूर रहने वाले सगे-संबंधी नहीं। लेकिन कई बार छोटी-छोटी गलतफहमी की वजह से इस रिश्ते को दरकते देर नहीं लगती।
आप संताबाई से खटपट होने पर कांताबाई को काम करने के लिए बुला सकती है। दूधवाले से खटपट होने पर दूसरे दूधवाले से दूध ले सकती हैं, लेकिन पड़ोसी से खटपट होने पर पड़ोसी तो नहीं बदल सकती न! ऐसे में आखिर क्या किया जाए, जिससे इस रिश्ते की महक ताउम्र बरकरार रहें ।
हर चीज की कीमत होती है। यदि आप बेहतर पडोसी बनाना चाहते हैं, तो उसके लिए आपको त्याग करना हेागा। समय देना होगा। सोच को सही करना होगा। पड़ोसियों को अपना कुछ समय दें। जैसे-हम उम्र लड़के-लड़कियों के साथ किसी खेल-कूद या एक्टिविटी में हिस्सा जरूर लेते रहें। यह आपके व्यक्तित्व विकास के लिए जरूरी तो है ही, साथ ही यह टीम भावना भी जगाता है। यह जीवन में आगे हमेशा आपके काम आएगा। घर से बाहर निकलते समय यह जरूर देख लें कि आपने आधे-अधूरे कपड़े तो नहीं पहन रखे हैं। इससे आपके पड़ोसियों को अटपटा लग सकता है। सलीके से कपड़े पहनने पर वे आपकी तारीफ करेंगे और इस आदत से आप आगे भी सम्मान पाएंगे। पड़ोसियों के यहा से कोई निमत्रण आए और आप व्यस्त न हों तो उसमें अवश्य जाएं। अगर किसी वजह से न जा पाएं, तो क्षमा अवश्य माग लें।

पड़ोसी के लिए फर्ज

– अगर आप पुराने पड़ोसी हैं, तो नए पड़ोसी के यहां जाकर और यदि नए हैं तो स्वयं पुराने पड़ोसी के यहां जाकर मेल-मिलाप करने से न हिचकिचाएं । क्यों कि हो सकता है कि व्यवथता के चलते वो आपसे मिलने नहीं आ पा रहे हों।
– यह सोचकर पड़ोसी को इगनोर न करेेें कि हम तो रेनटेड है ‘कौन सा हमे रहना है’।
– खुद भी उनके यहां किसी समारोह या अवसर आने पर गिफ्ट आदि दें।
– पड़ोसी के बीमार पड़ने पर उनके यहां जाकर हाल-चाल पूछती रहें। साथ ही जरूरत पड़ने पर खाना वगैरह बना दें या भिजवा दें।
– उनकी अनुपस्थितिमें उनके यहां मेहमान के आने पर आप स्वंय भी चाय-नाश्ते का पहल करें। इससे आपकी छवि अच्छी बनेगी।
– उनके बच्चों के पेपर होने या आने के समय अचानक आपके पड़ोसी
को कहीं शहर से बाहर जाने की मजबूरी आ जाएं, तो ऐसे में आप उनके बच्चों का ख्याल रखें ।
– समय-समय पर पड़ोसी के साथ गेट-टुगेदर जैसे क्रार्यक्रम का आयोजन करती रहें। मसलन साथ घुमना, खाना खाना आदि।

कुछ परहेज

– यदि आप हाउस वाइफ हैं और आपके पास पर्याप्त समय है तो इसे पड़ोसी के यहां बिताने के लिए जब-तब न पहुंच जाए।
– पड़ोसी के पर्सनल लाइफ में जब तक वो न बताएं ज्यादा न कुरेदें। अन्यथा आपकी छवि खराब हो सकती है।
– हर छोटी-मोटी खासकर खाने-पीने के समान मांगने से परहेज करें तो अच्छा है।
– यदि इर्मजेंसी में कोई चीज लेनी पड़े तो काम खत्म होते ही तुंरत उसे वापस कर दें। यदि उसमें कोई खराबी आ गई है तो उसे सही सलामत करके ही वापस करें।
– अपने बच्चों को उनके यहां छोड़कर जब-तब घूमने न निकल जायें।
– बच्चों के बीच हुए झगड़ो को ईगो का विषय बनाकर पड़ोसी से संबध न तोड़े।
– अन्य पड़ोसियों की चुगली, पड़ोसी से न करें।
– अगर आपके पड़ोसी को ज्यादा शोर शराबा पसंद नहीं है तो तेज आवाज में म्युजिक चलाने से परहेज करेेे।
– यदि पड़ोसी से कभी अनबन या कहासुनी हो भी जाय तो मुंह फुलाने या बात न करने के बजाय आपस में बैठकर गलतफहमी दूर कर लें ।

 

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