प्रख्यात फिल्मकार मृणाल सेन का निधन

कोलकाता। दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात फिल्म निर्देशक मृणाल सेन का लंबी बीमारी के बाद रविवार को निधन हो गया। वह 95 वर्ष के थे। परिवार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सेन ने लंबे समय तक उम्र संबंधी बीमारियों से जूझने के बाद सुबह साढ़े दस बजे आखिरी सांस ली। परिवार के एक सदस्य ने कहा, ‘‘उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे सेन ने सुबह साढ़े दस बजे आखिरी सांस ली।’’ उनके परिवार में एक बेटा है। उनकी पत्नी अभिनेत्री गीता का निधन पिछले साल हो गया था।

कई राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित सेन को समाज की सच्चाई के कलात्मक चित्रण के लिए जाना जाता था। फिल्म “भुवन शोम” से “भारतीय सिनेमा में एक नई लहर” पैदा करने वाले प्रख्यात निर्देशक सेन भारतीय फिल्म उद्योग को अंतरराष्ट्रीय फलक पर पहचान दिलाने वाले सबसे प्रशंसित फिल्म निर्माताओं में से एक थे। सेन की बंगाली फिल्म ‘ख़ारिज’ को 1983 कान फिल्म उत्सव में ज्यूरी प्राइज से सम्मानित किया गया था। ‘‘नील आकाशेर नीचे’’, ‘‘भुवन शोम’’, ‘‘एक दिन अचानक’’, ‘‘पदातिक’’ और ‘‘मृगया’’ जैसी फिल्मों के लिए पहचाने जाने वाले पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित सेन देश के सबसे प्रख्यात फिल्म निर्माताओं में से एक थे और समानांतर सिनेमा के दूत थे। अपने छह दशक से अधिक लंबे करियर में उन्होंने बंगाली और हिंदी दोनों सिनेमा में अपने निर्देशन से लोगों का दिल जीता।

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने फिल्मकार के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए, ‘‘समाज के मर्मज्ञ और संवेदनशील चित्रण’’ के लिए उन्हें याद किया। उन्होंने लिखा, ‘‘प्रख्यात फिल्मकार मृणाल सेन के निधन की खबर सुन दुखी हूं। ‘भुवन सोम’ से लेकर ‘कलकत्ता ट्राइलॉजी’ में समाज के मर्मज्ञ और संवेदनशील चित्रण से उन्होंने हमारे समय को बेहतरीन तरीके से पेश किया। बंगाल, भारत और विश्व सिनेमा को क्षति।’’

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी टि्वटर पर सेन के निधन पर शोक जताया। उन्होंने लिखा, ‘‘मृणाल सेन के निधन से दुखी हूं। फिल्म उद्योग की बड़ी क्षति। उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं।’’ माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने भी फिल्म निर्माता को उनके मानवीय कथानक के लिए याद किया। उन्होंने लिखा, ‘‘मृणाल सेन का गुजर जाना न केवल सिनेमा बल्कि दुनिया की संस्कृति और भारत की सभ्यता के मूल्यों की बड़ी क्षति है। मृणाल दा ने अपने लोक-केंद्रित मानवतावादी कथानक द्वारा सिनेमैटोग्राफी का मंचन किया। गहरी संवेदनाएं।’’

मेगास्टार अमिताभ बच्चन ने भी ट्वीट कर शोक व्यक्त किया। उन्होंने लिखा, ‘‘ मृणाल सेन नहीं रहे। सबसे अधिक मिलनसार, प्रतिष्ठित रचनात्मक सिनेमाई शख्स….सत्यजीत रे और ऋत्विक घटक के समकालीन..मैंने पहली बार अपनी आवाज (वॉयस ओवर) उनकी फिल्म ‘भुवन सोम’ में दी थी।’’ मशहूरी बंगाली अभिनेता परमब्रत चटर्जी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘एक युग का अंत। युग…लीजेंड्स कभी नहीं मरते।’’ प्रोसेनजीत चटर्जी ने कहा, ‘‘साल के अंत में लीजेंड मृणाल सेन के निधन जैसी खबरें मिलना हमारे लिए दुख की बात है और हम इससे स्तब्ध हैं। मृणाल सेन ने भारतीय सिनेमा को नया नजरिया दिया। यह हम सभी के लिए भारी क्षति है। उनकी आत्मा को शांति मिले।’’ जाने माने अभिनेता सौमित्र चटर्जी ने सेन के निधन को निजी क्षति बताया और कहा कि भारतीय सिनेमा में उनकी कमी पुरी नहीं की जा सकती। फिल्म निर्देशक अपर्णा सेन ने कहा कि वह उनके निधन की खबर से स्तब्ध हैं। शूजित सिरकार ने लिखा, ‘‘भगवान आपकी आत्मा को शांति दे मृणाल सेन। बेहतरीन फिल्मकारों में से एक। उनकी फिल्में प्रेरणा थीं…सत्यजीत रे और ऋत्विक घटक के समकालीन।’’

मृणाल सेन का जन्म 14 मई 1923 को फरीदपुर (अब बांग्लादेश में है) में हुआ था। उन्होंने स्नातकोत्तर की पढ़ाई कलकत्ता विश्वविद्यालय से की थी। छात्र के तौर पर मार्क्सवादी विचारधारा से प्रभावित सेन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की सांस्कृतिक शाखा से जुड़े थे। हालांकि वह कभी पार्टी के सदस्य नहीं बनें। वह ‘इंडियन पीपल्स थिएटर एसोसिएशन’ का हिस्सा थे। वह 1998 से 2003 तक राज्यसभा के सदस्य भी रहे। सेन के निर्देशन में बनी आखिरी फिल्म ‘आमार भुवन’ (दिस इज माय लैंड) 2002 में रिलीज हुई थी।

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