संघ का नॉर्थ ईस्ट प्लान, मिशन-2019 की तैयारी

पूर्वोत्तर भारत में अपनी पैठ मजबूत बनाने की पहल के तहत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) 21 जनवरी 2018 को गुवाहाटी में वृहद हिन्दू समावेश सम्मेलन का आयोजन कर रहा है जिसमें 35 हजार गणवेशधारी स्वयंसेवक हिस्सा लेंगे। इस समारोह को सरसंघचालक मोहन भागवत संबोधित करेंगे। नॉर्थ ईस्ट के त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ-साथ अगले साल 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी के लिए आरएसएस की ये बैठक काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

सुनील सौरभ

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ नॉर्थ ईस्ट में अपनी जड़ें मजबूत करने में लगा है। संघ ने असम के गुवाहाटी में 21 और 22 जनवरी को 40 हजार स्वयंसेवकों की एक विशाल जनसभा की तैयारी की है। इसमें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत सहित प्रमुख धार्मिक गुरु और आदिवासी नेता शामिल होंगे। संघ प्रमुख स्वयंसेवकों को संबोधित भी करेंगे।
आरएसएस के असम क्षेत्र के प्रचार प्रमुख शंकर दास ने बताया कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में आरएसएस का यह अब तक का सबसे बड़ा सम्मेलन है। इसमें मेघालय, असम और नगालैंड के 4000 गांवों से स्वयंसेवक हिस्सा लेंगे। इस सम्मेलन का नाम लूइट पोरिया हिन्दू समावेश रखा गया है। उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में 35 हजार गणवेशधारी स्वयंसेवक हिस्सा लेंगे। इसके अलावा सम्मेलन में 35 से 40 हजार दर्शक भी मौजूद रहेंगे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस वृहद सम्मेलन का आयोजन ऐसे समय में कर रहा है जब इस वर्ष त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।
यह पूछे जाने पर कि इस सम्मेलन का क्या चुनाव से कोई संबंध है, शंकर दास ने कहा कि चुनाव तो होते रहते हैं. हम इस सम्मेलन की तैयारी दो वर्ष से कर रहे थे और यह संघ के कार्य विस्तार कार्यक्रम का हिस्सा है। हम इस इलाके में स्वयंसेवकों को एक मंच पर लाना चाहते थे और यह कार्यक्रम इसी का हिस्सा है।
उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में 20 जनजातीय राजा हिस्सा लेंगे। इसमें खासी, जयंतिया, हरक्का, बोडो, कार्वी, मिसिंग, गारो, राभा आदिवासी समुदाय शामिल हैं। इनमें से कुछ समुदायों के राजा और कुछ के प्रमुख हिस्सा लेंगे।
प्रचार प्रमुख ने बताया कि इसके अलावा इस समारोह में हिस्सा लेने के लिये 2000 विशिष्ट लोगों को भी आमंत्रित किया गया है। इसमें विरोधी और समर्थक सभी को बुलाया गया है। 22 जनवरी को समारोह में सत्राधिकारियों (प्रमुखों) की बैठक होगी जिसमें धार्मिक एवं आदिवासी नेता शामिल होंगे। उल्लेखनीय है कि आरएसएस पिछले कुछ वर्षों से पूर्वोत्तर क्षेत्र में अपनी पैठ मजबूत बनाने की कोशिश कर रहा है। इस सम्मेलन को इसी दिशा में एक पहल माना जा रहा है।

नागालैंड सरकार में बीजेपी सहयोगी दल है। दो साल पहले 2015 में कांग्रेसी विधायकों ने पार्टी से बगावत करके बीजेपी का दामन थाम लिया था। नागा पीपुल्स फ्रंट और बीजेपी के गठबंधन की सरकार हो गई थी। इसी साल विधानसभा चुनाव है, जबकि वहीं मेघालय ईसाई समुदाय के बाहुल्य क्षेत्र है। त्रिपुरा में लेफ्ट का मजबूत किला है। संघ इन पूर्वोत्तर राज्यों में बीजेपी की जमीन तैयार करने का काम कर रहा है। संघ के चलते ही बीजेपी असम की सत्ता पर विराजमान हुई है।
आरएसएस का आदिवासी क्षेत्रों में पर्याप्त आधार है। बीजेपी ने मजबूत संगठनात्मक आधार बनाया है। संघ संबद्ध संगठन राज्य में स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा क्षेत्र में काम कर रहा हैं। इसी मजबूत आधार के जरिए बीजेपी पूर्वोत्तर क्षेत्र में अपनी जड़ें जमाना चाहती है। 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने नॉर्थ ईस्ट की सीटों को टारगेट किया है। ऐसे में संघ की बैठक काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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