ईस्ट लंदन में सचिन को प्रेस कॉन्फ्रेन्स हाल का दरवाजा बंद कर अन्दर जाने से रोक दिया गया था

राकेश थपलियाल, संपादक, खेल टुडे

इंडियन प्रीमियर लीग सीजन-2, 2009 के दौरान दक्षिण अफ्रीका के छोटे से शहर ईस्ट लंदन में मैंने अपनी आंखों से सचिन तेंदुलकर से जुड़ा वो नजारा देखा जिसकी कल्पना भी कोई क्रिकेट प्रेमी नहीं कर सकता है। हम उस देश के वासी हैं जहां भक्त देवताओं के दर्शन के लिए मंदिर के कपाट खुलने का महीनों इंतजार करते हैं। लेकिन ‘क्रिकेट के देवता’ के लिए क्रिकेट स्टेडियम के अंदर एक हॉल के कपाट नहीं खोले गए थे।
दरअसल, हुआ यह कि मुंबई इंडियंस ने कोलकाता नाइट राइडर्स को मैच में हराया। दोनों कप्तानों सचिन तेंदुलकर और ब्रेंडन मैकुलम को मीडिया से बात करने के लिए कांफ्रेंस हॉल में आना था जो दूसरी मंजिल पर था। इसमें जाने के दो रास्ते थे। एक मुख्य द्वार और एक पीछे की तरफ बनी मचान की तरफ से। तब के मेरे अखबार में खबर भेजने की डेडलाइन कुछ जल्दी थी, इसलिए मैं मैच रिपोर्ट भेजने के बाद तेजी से पिछले दरवाजे से कांफ्रेंस हॉल में जाने के लिए लपका।
कुछ कदम चलने के बाद मैंने देखा कि मेरे आगे-आगे सचिन भी तेजी से बढ़ रहे हैं। सचिन ने हॉल के बंद दरवाजे को धीरे से खटखटाया। एक अश्वेत कर्मचारी ने हल्का सा दरवाजा खोला तो सचिन के साथ मैं भी अंदर जाने के लिए लपका, लेकिन तभी उस कर्मचारी ने सचिन की तरफ मुखातिब होते हुए कहा, ‘ब्रेंडन हैज स्टार्टिड द कांफ्रेंस, यू विल हैव तो वेट फॉर एटलीस्ट फिफ्टीन मिनट।’ (बे्रंडन ने कांफ्रेंस शुरू कर दी है और आपको पन्द्रह मिनट इंतजार करना होगा।) इतना कहने के साथ ही उस अश्वेत कर्मचारी ने कुछ इंच दूर खड़े तेंदुलकर की परवाह किए बिना दरवाजे को बंद कर अंदर से ताला भी लगा दिया। ‘क्रिकेट के देवता’ का इस तरह अपमान होते देखकर मुझे बहुत तेज गुस्सा आया और मैंने दरवाजे को जोर से पीटकर हो हल्ले के साथ विरोध दर्ज कराने का मन बनाया। कुछ दिन पूर्व डरबन शहर में कांफ्रेंस के लिए देरी से पहुंचने पर मेरे साथ भी ठीक ऐसा ही व्यवहार हो चुका था। क्रिकेट स्टेडियम के अंदर सचिन के साथ ऐसा होते देखकर चुप रहना मेरा लिए मुश्किल हो रहा था। लेकिन जैसे ही मैंने सचिन की तरफ देखा तो उनके चेहरे पर गुस्सा नहीं बल्कि मायूसी का भाव था और लगा मानो वह कह रहे हों, ‘कोई बात नहीं, इंतजार कर लेते हैं।’ ऐसे में हम दोनों उस मचान पर खड़े बातचीत करने लगे और मैं एक विशेष साक्षात्कार लेने में सफल रहा।
जैसे ही मैकुलम की कांफ्रेंस खत्म हुई और हॉल का दरवाजा खोला गया तो वहां बैठे सभी पत्रकारों ने मुझे सचिन से बातचीत करते हुए देखा तो वे दंग रह गए। वहां मौजूद देश-विदेश के पत्रकार मुंबई इंडियंस के मीडिया मैनेजर लीलाधर से खासे नाराज हो गए थे। उन्होंने शिकायत की कि ‘हम कितने दिनों से अनुरोध कर रहे हैं लेकिन आपने हमें समय नहीं दिलाया।’ ऐसे में उन्हें जवाब मिला कि, ‘अगर तेंदुलकर खुद ब खुद किसी से बात करते हैं तो हम उन्हें भला कैसे रोक सकते हैं। राकेश थपलियाल के साथ सचिन का साक्षात्कार हमारे जरिए तय नहीं हुआ था।’
मैं दिल्ली का हूं इसलिए सचिन ने मुझसे दिल्ली की एक महिला पत्रकार का हालचाल पूछा और वह स्टेडियम में किसी को तलाशते हुए से दिखाई दिए। मेरे पूछने पर सचिन ने कहा, ‘मैं अर्जुन को ढूंढ रहा हूं।’ इस पर मैंने उन्हें बताया कि अर्जुन को दर्शकोंं के बीच घूमते हुए देखा था। यह सुनकर सचिन ने कहा, ‘दरअसल मेरे परिवार को आज रात श्रीमति नीता अंबानी के साथ मुंबई वापस जाना है। मैं अर्जुन को लेकर जल्दी से होटल पहुंचना चाहता हूं क्योंकि मैं नहीं चाहता कि मेरे परिवार की वजह से श्रीमति अंबानी को इंतजार करना पड़े। इसीलिए मैं चाहता था कि प्रेस कांफ्रेंस में पहले पहुंचकर जल्दी फ्री हो जाऊं।’ सचिन के ये विचार इस बात को दर्शाते हैं कि वह कितने संवेदनशील हैं।

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