खरीददार को लुभाता है सेल का फंडा

नई दिल्ली। आप किसी दिन का अखबार देखें तो पूरे पेज के डिस्काउंट वाले अनेक विज्ञापन दिख जाएंगे। कंपनियाँ डिस्काउंट को किसी भी तरह मैनेज करती हो, पर लोगों के लिए तो यह पूरे फायदे का सौदा ही है। ऑनलाइन कारोबार का दूसरा फायदा यह है कि ग्राहकों को दूसरी साइट्स से कीमतों की तुलना करने का अवसर भी मिलता है। मसलन अगर आप फ्लिपकार्ट से कोई वस्तु खरीदना चाहते हैं तो मिनटों में ही आप यह भी जान सकते हैं कि स्नैपडील पर वही वस्तु किस कीमत पर उपलब्ध है या वहां इसपर कितना डिस्काउंट है। यह भी कि कौन सी साइट डिलिवरी मुफ्त और जल्दी करती है या किस साइट पर भुगतान के तरीके आसान हैं और कौन सी कंपनी खरीदी गई वस्तुओं की वापसी आसानी से और जल्दी करती है।
त्योहारों के नाम पर मोटे प्रौफिट का खेल होता है जोकि सेल न हो कर कंपनी की नई रणनीति के तहत सामान की सेलिंग का एक हिस्सा होता है. छूट का यह फंडा पहले जहां कपड़ों तक ही सीमित था, वहीं अब इस का कद दिनप्रतिदिन ऊंचा होने लगा है यानी खानेपीने की चीजों से ले कर मोबाइल तक, कार से ले कर छाते, जूतों तक व अन्य लग्जरी सामान सेल में मिलने लगा है.अब सेल के बजाय क्लीयरैंस सेल, मौनसून सेल, विंटर सेल, प्रीरैनोवेशन सेल, इंडिपैंडैंट डे सेल और फैस्टिव सीजन के नाम पर लगने वाली सेल की फेहरिस्त बहुत लंबी है. इसी तरह छूट की भी बहुत वैराइटी देखने को मिलती है. 20% 30% 50% का फलसफा अब बढ़तेबढ़ते 70% जा पहुंचा है और साथ ही बाई वन गेट वन, टू…, सिक्स तक फ्री का तड़का भी खूब लगाया जा रहा है.
अनुमान है कि इस समय हर दिन तकरीबन 6 लाख ऑनलाइन लेन-देन हो रहे हैं। बिचौलियों के नहीं होने के कारण ग्राहकों को इसमें अच्छी-खासी छूट मिल रही है। संयुक्त राष्ट्र की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, इंटरनेट उपभोक्ताओं, सुरक्षित सर्वर व क्रेडिट कार्ड की पहुंच के हिसाब से भारत को 130 देशों की सूची में 83वां स्थान दिया गया। इसमें कहा गया है कि सिर्फ13 फीसदी भारतीय इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। यह आंकड़ा अमेरिका की 78 फीसदी, रूस की 48 फीसदी, चीन की 44 फीसदी, ब्राजील की 42.2 फीसदी, दक्षिण अफ्रीका की 39.4 फीसदी व इंडोनेशिया की 23 फीसदी से बेहद कम है। चीन में एक-तिहाई लोग निरंतर ऑनलाइन रहते हैं, जबकि भारत में करीब पांच फीसदी लोग ही नियमित रूप से ऑनलाइन होते हैं। ई-कॉमर्स केलिए जरूरी क्रेडिट या डेबिट कार्ड का इस्तेमाल भी आबादी के बमुश्किल 1.8 फीसदी लोगों द्वारा किया जाता है।

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