संत के चोले में दाग कैसे ?

कमलेश भारतीय

आखिरकार साढे चार साल के बाद बाबा आसाराम पर कोर्ट के फैसला आ ही गया । बाबा को कोर्ट ने प्राकृतिक मृत्यु तक जेल में रखने के आदेश दिए हैं । दो सहयोगियों को बाबा के घिनौने काम मदद करने के दोषी पाए जाने पर बीस बीस साल की सजा सुनाई है । इससे पहले सिरसा के सच्चा सौदा डेरे के संत राम रहीम भी साध्वियों के साथ दुष्कर्म करने के दोषी पाए जाने पर बीस साल के लिए जेल की हवा खा रहे हैं । उनका साथ दुष्कर्म में हनीप्रीति कंधे से कंधे मिला कर सहयोग करती रही । वह अम्बाला जेल में हवा खा रही है ।
इसी तरह बाबा आसाराम के घिनौने काम में मदद करने वाली शिल्पी का नाम आगे आया जो हास्टल वार्डन थी । यानी एक जैसी सेवा । छात्राओं को बाबा की गुफा या कुटिया में सप्लाई करना । बताइए नारी ही नारी के शोषण में भागीदारी निभा रही है । क्यों शर्म नहीं आती ? अपनी बहन बेटी को बाबाओं को उपहार में क्यों नहीं भेजतीं ? दूसरों की मासूम बेटियों को क्यों इस नर्क में धकेलती हैं ?
पत्रकारिता में स्वामी अध्यातमानंद से ऋषिकेश के आश्रम में साक्षात्कार में किया था तब उन्होंने बहुत गहरी बात कही थी कि दो चुटकी भगवे रंग से चोले को रंगा जा सकता है लेकिन मन को रंगना आसान काम नहीं । यह बहुत कठिन है । कबीर के अनुसार साधु बनना नट के समान है , जरा सा डोले तो नीचे गिरे ।
संत आसाराम व बाबा राम रहीम भी बस थोडा सा डोले और धड़ाम से नर्क कुंड में जा गिरे । लेकिन दुख की बात है कि भोली जनता बाबाओं की शरण में अब भी जाती है । कोई सबक नहीं लिया । बस , मन में श्रद्धा और विश्वास हो तो घर में ही भगवान् के दर्शन हो जाएं । कहा भी है :
चोला न रंगाओ
रंगाओ मन ,,,,,

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