कलाकार होने के नाते समाज के प्रति जिम्मेवारी निभा सकूं । यही लक्ष्य और यही भावना है मेरी । यह कहना है युवा अभिनेत्री व चक दे इंडिया फेम गर्ल सीमा आजमी का । वे हिसार में खिडकियां नाट्योत्सव में नाट्य मंचन करने आई थीं । पहले दिन उन्हीं की एकल प्रस्तुति थी – सारा । यानी लेखिका सारा शगुफ्ता के जीवन संघर्ष की कहानी । जिसे सीमा ने गहरे तक जीकर जीवंत कर दिखाया । इसे दर्शकों ने बहुत सराहा और खूब तालियों से स्वागत् किया । मूल रूप से उत्तर प्रदेश के आजमगढ की निवासी सीमा आजमी का जन्म असम में हुआ क्योंकि पिता रेलवे में कार्यरत थे । सारी शिक्षा दिल्ली में हुई । बी ए के बाद एन एस डी में ड्रामा की शिक्षा और फिर वहीं रेपेटरी में । इसके बाद फ्रीलांस नाटक किए जिनमें गधे की बारात प्रमुख रहा ।
सन् 2006 में ।
चक दे इंडिया , आरक्षण व मोहल्ला अस्सी आदि ।
दिशा डाॅट काॅम , क्राइम पेट्रौल , सावधान इंडिया , इस प्यार को क्या नाम दूं , पिया रंगरेज , महादेव व उपनिषद्गंगा ।
ओमप्रकाश जिंदाबाद व प से प्यार फ से फरार ।
चुनौतीपूर्ण रोल पसंद हैं । सारा शगुफ्ता भी ऐसा ही नाटक है । वैसे हर नाटक और हर भूमिका एक नया चैलेंज होता है ।
सारा शगुफ्ता का काव्य पढा और अमृता प्रीतम द्वारा लिखित जीवनवृत्त भी पढा ।
बहुत ही बढिया । जैसे यशपाल शर्मा ने कहा कि काॅमेडी और डांस से हटकर ऐसा नाटक देखना और सराहना बहुत ही अच्छा अनुभव रहा लेकिन मुझे विश्वास था । और दर्शक भी अच्छे थे । आंख मिला कर वे मेरा हंसना रोना सब देख रहे थे । बहुत बढिया अनुभव ।
कलाकार होने के नाते समाज के प्रति अपनी जिम्मेवारी निभा सकूं । संदेश दे सकूं । औरतों के संघर्ष को रेखांकित कर सकूं ।