शिक्षा विभाग और यूनिसेफ ने किया शिक्षा मेले का आयोजन

नई दिल्ली। यूनिसेफ इंडिया ने भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय की साझेदारी में एक शिक्षा मेला-एजुकेशन ओपन डे का आयोजन किया। यह आयोजन समग्र और समतामूलक बढ़िया शिक्षा की कहानियों को दिखाने के लिया किया गया, जिसे 17 भारतीय राज्यों में समन्वित कार्यप्रणाली के जरिए हासिल किया गया। असल में, एक अभिनव हाट,जिसमें प्रत्येक बच्चे के जीवन चक्र के दौरान शिक्षा से जुड़े मील के पत्थरों का रचानात्मक प्रदर्शन किया गया। इसके साथ ही सशक्त वृतांत का देश के विविध हिस्सों में सफल रणनीतियों के लिए प्रयोग किया गया। इसमें प्रारभिंक बाल्यावस्था शिक्षा के जरिए कैसे बच्चों को स्कूल भेजने की तैयारी को मजबूती मिली, रणनीतिक पहल जिनके जरिए स्कूल से बाहर बच्चों को वापस स्कूल लाया गया और प्रेरक कार्यक्रम जैसे कि विकास के लिए खेल और मीना मंच,जिन्होंने बच्चों को स्कूल में टिके रहने में मदद की शमिल है। बहुत से अन्य मामलों ने इस पर रोशनी डाली कि कैसे बच्चों और युवा लोगों में कौशल को विकसित किया गया,सैंकडरी शिक्षा में भेजने की प्रक्रिया को मजबूत किया गया। अन्य महत्वपूर्ण आयाम समुदायों का खुद को अपने बच्चों की शिक्षा में व्यस्त रखना था और किस तरह उन्हें मांग व शिक्षा में भागीदारी के लिए लामबंद किया गया था।
इस अवसर पर भारत में यूनिसेफ प्रतिनिधि डॉ.यासमिन अली हक ने भारत सरकार की सभी बच्चो को स्कूलों तक ले जाने व सिखाने वाली कोशिशों को गति प्रदान करने वाली प्रतिबद्वता की सराहना की। उन्होंने कहा कि जब से शिक्षा का अधिकार कानून लागू हुआ है, व्यवस्थित तैयारियों वाले क्षेत्रों में काफी प्रगति हुई है,पहुंच व बच्चों के नामांकन में सुधार हुआ है,इन्फा्रस्ट्रक्चर खास तौर पर स्कूलों में सेनिटेशन की सुविधाओं को मुहैया कराने,अध्यापकों की भत्र्ती और अप्रशिक्षित अध्यापकों को प्रशिक्षण देने में सुधार हुआ है। बच्चे वास्तव में प्रारभिंक कक्षाओं में ठीक प्रदर्शन कर रहे हैं परंतु इन नतीजों को उच्चतर कक्षाओं में तब्दील करने और यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि जिन अपेक्षित कौशल का निर्माण हुआ है,उनका सुचारू रूप से आजीविका के लिए इस्तेमाल हो सके। डॉ. यासमिन ने कहा कि समग्र स्कीम जिसमें तीन प्रमुख कार्यक्रमों-सर्व शिक्षा अभियान,राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान और टीचर एजुकेशन का विलय हो गया है, का मकसद समतामूलक पहुंच मुहैया कराना और सीखने व संचालन की गुणवत्ता को सुधारना है। यह कदम आज भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, साक्षरता व संख्यात्मक के बुनियादी कौशल के निर्माण की ओर ध्यान देने के लिए और साथ ही साथ उन हस्तांतरणीय कौशल के लिए भी जो बच्चों को भारत के किशारों व युवाओं के लिए गतिशील स्किलिंग एंजेडा के मार्गदर्शन का आधार देता है।
यूनिसेफ इंडिया,शिक्षा प्रमुख गोबिना ने इस अवसर पर फील्ड से ऊंचे मानदंडों वाले उदाहरणों पर फोकस रखते हुए एक पैनल चर्चा के संचालन में मदद की। पैनल में हिस्सा लेने वालों ने ऊंचे मानदंडों के लिए चुनौतियों व समाधानों पर रोशनी डालते हुए बढ़िया ऊंचे मानदंडों के कुछ उदाहरणों के बारे में विचार-विमर्श किया। स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग सचिव,एमएचआरडी, अनिल स्वरूप ने अपने मुख्य भाषण में शिक्षा के डिजिटलीकरण की जरूरत पर जोर दिया।
इस अवसर पर एक डाटा विजुलाइजेशन एप लांच किया गया। यह एप देश की शिक्षा संबंधी परिदृश्य में विश्लेषण संबंधी जटिलताओं का प्रयोक्ता हितैषी और विजुएल प्रतिनिधित्व मुहैया कराता है। यह एप् नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ एजुकेशनल पॉलिसी एंड एडमिनिस्ट्रशन के द्वारा तैयार किया गया है। यह एप यूनिसेफ की ओर से दिए गए तकनीकी इनपुट्स से बनाया गया है,एनआईईपीए और एनसीईआरटी के सहयोग से। यह यूडीआईएसई (यूनीफाइड डिस्ट्रिक्ट इनफोरमेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन),एनएएस (नेशनल एससमेंट सर्वे) और जनसांख्यिकीय डाटा का इस्तेमाल करता है, जिसके चलते यह नीति निमार्ताओं,वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों,शिक्षाविदों और शोधार्थियों के लिए शिक्षा के क्षेत्र में फासलों व कार्यक्रमों की निगरानी के लिए एक महत्वपूर्ण विजुएल उपकरण है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published.