नई दिल्ली। हम इस तथ्य से भली-भांति परिचित हैं कि कोविड-19 महामारी ने न सिर्फ वैश्विक अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से प्रभावित किया है, बल्कि इसने हमारी जीवन शैली को भी तहस-नहस कर दिया है। बच्चे भी इससे अछूते नहीं हैं; वे अपने घरों की चारदीवारी में कैद होकर रह गए हैं। एक सर्वे से खुलासा हुआ है कि लॉकडाउन के चलते बच्चों द्वारा स्क्रीन के सामने बिताए गए समय में 100% की बढ़ोत्तरी हुई है।
देखने में यह आ रहा है कि जो बच्चे स्क्रीन के सामने बहुत ज्यादा समय गुजारते हैं, उनको निकट दृष्टिदोष हो जाने अथवा उनका वजन बढ़ जाने का खतरा पैदा हो सकता है, क्योंकि उनकी शारीरिक गतिविधियां बेहद सीमित हो जाती हैं। वर्तमान में माता-पिता और अभिभावक इस हकीकत को देख कर चिंतित हैं कि बच्चों द्वारा स्क्रीन के सामने बिताया गया अधिकांश समय व्यर्थ जाता है और यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनके बच्चे के स्क्रीन टाइम को ज्यादा सार्थक एवं फलदायी तरीके से उपयोग में लाया जा सके, वे विभिन्न रास्तों की तलाश कर रहे हैं।
उपर्युक्त चिंताओं को ध्यान में रखते हुए भारत के सबसे बड़े युवा स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म स्पोर्ट्ज विलेज ने 4 से 19 साल की उम्र के बच्चों के लिए एक्टिव क्लब नामक एक विशेष प्रोग्राम विकसित किया है। स्पोर्ट्ज विलेज इस दिलचस्प फिटनेस एवं कौशल-आधारित प्रोग्राम के माध्यम से बच्चों को अपने घरों में आराम से शारीरिक तौर पर सक्रिय बनाए रखने तथा उनकी खेल-कूद की गतिविधियों को प्रोत्साहन देने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहा है। एक्टिव क्लब प्रोग्राम ने बहुत छोटी-सी अवधि में ही 1200 से अधिक माता-पिता का विश्वास जीत लिया है।
जहां तक पठन-पाठन का संबंध है, स्कूलों के खुलने का समय अनिश्चितकाल तक आगे बढ़ाए जाने के मद्देनजर इसे ऑफलाइन से ऑनलाइन में तेजी से स्थानांतरित होते देखा गया है। जबकि बच्चों के लिए स्पोर्ट्स और शारीरिक शिक्षा में यह स्थानांतरण बहुत धीमी गति से हो रहा है। कोविड रहे या ना रहे, बच्चों को अब भी अपने स्वास्थ्य, रोग प्रतिरक्षा प्रणाली के साथ-साथ खुशियां हासिल करने के लिए खेलना और अपने घर को नया प्लेग्राउंड बनाना आवश्यक है।
एक्टिव क्लब प्रोग्राम इस कमी को पूरा करने का इरादा रखता है और स्पोर्ट्स तथा फिटनेस को बच्चे की दिनचर्या का हिस्सा बनाना चाहता है। एक्टिव क्लब प्रोग्राम केवल यही नहीं सुनिश्चित करता है कि बच्चे को खेलने और मौज-मस्ती करने को मिले, बल्कि यह किसी बच्चे की स्पोर्ट्स यात्रा की बुनियाद भी रखता है।
ऑनलाइन ट्रेनिंग मॉड्यूल की सदस्यता दिलाने के इर्द-गिर्द घूमता है, जिनमें मान्यता प्राप्त प्रशिक्षक विभिन्न आयु-अनुकूल, खेल-विशिष्ट और फिटनेस से जुड़ी गतिविधियों के बारे में बच्चों को प्रशिक्षित करेंगे। इसके अलावा चूंकि बच्चा अपनी शारीरिक गतिविधियों को स्क्रीन से एक खास दूरी बनाकर अंजाम दे रहा होगा, इसलिए उसकी आंखों पर जोर पड़ने की संभावना बहुत कम होगी।