मैथिली गीतिकाव्य को आगे बढ़ा रहे हैं मणिकांत

सामाजिक सांस्कृति संस्था “सुगति सोपान” और “एमलिओर फाउंडेशन” के सौजन्य से हुआ आयोजन

नई दिल्ली। मैथिली भाषा गीतिकाव्य परंपरा को आकाशवाणी दरभंगा के संवाददाता व भारत निर्वाचन आयोग के आइकान तथा प्रख्यात गीतकार मणिकांत झा लगातार आगे बढ़ा रहे हैं। समसामयिक विषयों और मिथिला की परंपरा को समेटे उनकी तेरह पुस्तकें लोगों को पढ़ने के लिए विवश कर रही हैं। ये बाते कल समीक्षकों ने समीक्षा के क्रम मे कही । नई दिल्ली में सामाजिक एंव सांस्कृति संस्था “सुगति सोपान” के तत्वावधान में “मणि गीत रचना महोत्सव” का आयोजन किया गया ।
सुगति सोपान की अध्यक्ष व लेखिका कुमकुम झा ने कहा कि दिल्ली के लोग मैथिली गीतिकाव्य परंपरा से अवगत हों, इसलिए यह आयोजन किया गया। साहित्य व सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और उसके परिमार्जन के लिए हमारी संस्था लगातार कार्य कर रही है।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि नई दिल्ली नगर पालिका परिशद के उपाध्यक्ष श्री करण सिंह तंवर ने अपने विचार रखे और दिल्ली में मिथिला की धमक को बताया।
कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए भारत तिब्बत सीमा पुलिस के अपर महानिदेशक राकेश कुमार मिश्र ने कहा कि देश की संस्कृति के मूल मे मिथिला की संस्कृति है। मिथिला के दीप से पूरा विश्व प्रकाशित होता रहा है मणिकांत झा उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए मणिशृंखला चला रहे हैं जो प्रसंशनीय है । उन्होने कहा कि हम सभी प्रवासी मैथिलों कों संगठित होकर मिथिला और मैथिली के विकास मे निष्ठापूर्वक सहयोग देना चाहिए । कार्यक्रम मे विशिष्ट अतिथि के रुप मे उपस्थित सर्वोच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्र ने कहा कि मिथिला वासियों को अपने आत्मविश्वास को और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है ।
महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान दरभंगा द्वारा प्रकाशित मणिशृंखला के इस समीक्षा महोत्सव में समीक्षक वागेश्वर झा श्रीदेव, विष्णुदेव झा विकल, डा जयप्रकाश चौधरी जनक, कल्पना झा, अशोक ज्योति, कैलाश मिश्र, मणिकांत झा तथा सबिता सोनी ने मणिशृंखला की पुस्तकें गीतमणि,नीलमणि, मीतमणि , वोटमणि, स्वच्छमणि, फागमणि, मधुमणि, रुद्रमणि, मुक्तिमणि, नवरात्रमणि, दहेज मुक्तमणि, जगदंबमणि तथा छठिमणि पुस्तकों की समीक्षा करते हुए रचनाओं के विभिन्न आयामो की चर्चा की । समीक्षकों ने इस क्रम मे रचनाकार के सारस्वत श्रम की सराहना की । सुगति सोपान की अध्यक्ष व लेखिका कुमकुम झा ने कहा कि दिल्ली मे रहने वाले प्रवासी मैथिल मैथिली गीतिकाव्य परंपरा से अवगत हों, इसी को ध्यान मे रखकर यह आयोजन किया गया है । उन्होने कहा कि साहित्य व सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और उसके परिमार्जन के लिए हमारी संस्था लगातार कार्य कर रही है।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि नई दिल्ली नगर पालिका परिषद के उपाध्यक्ष करण सिंह तंवर ने अपने उद्बोधन मे कहा कि दिल्ली मे मैथिलों ने प्रवासी के रुप मे रहते हुए भी अपनी अलग पहचान बना रखी है ।
इस अवसर पर मैलोरंग नई दिल्ली से प्रकाशित मैथिली के युवा साहित्यकार अखिलेश झा की पुस्तक नीरभरल नयन का लोकार्पण भी किया गया । वहीं, भाजपा नेता श्री गोपाल झा, प्रदीप चौधरी, प्रकाशक हीरा कुमार झा तथा प्रकाश झा ने भी अपने विचार रखे । दीप प्रज्ज्वलन के समय वेद मंत्रोच्चार कुमार गंधर्व ने किया । स्नेहा झा ने गोसाउनिक गीत और स्वागत गीत गाया । इस अवसर पर डा पवन कुमार झा, रंजीत कुमार, अमृता मिश्र , नीलम झा , तपन कुमार , सुभाष चंद्र , अमित आनंद, सतीश कुमार झा , संतोष कुमार झा, रौशन कुमार, नवीश मिश्र, गणेश कुमार, किशलय कृष्ण सहित अनेक अतिथियों को मिथिला परंपरा से सम्मानित किया गया । प्रवीण कुमार झा के धन्यवाद ज्ञापन के पश्चात कार्यक्रम का समापन स्नेहा झा ने रचनाकार मणिकांत झा के लिखे समदाउन को गाकर किया ।

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