देशव्यापी कलाओं का समागम है सूरजकुंड मेला

दीप्ति अंगरीश ।


फरीदाबाद।
सूरजकुंड मेला भारत के एतिहासिक मेलों में से एक है। देखा जाए तो यह मेला हमें हमारी पारंपरिक गतिविधियों से हमें जोड़े रखने में कामयाब है। यहां पश्चिम बंगाल और असम के बांस और बेंत की वस्तुएं, पूर्वोत्तर राज्यों के वस्त्र, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश से लोहे व अन्य धातु की वस्तुएं, उड़ीसा एवं तमिलनाडु के अनोखे हस्तशिल्प, मध्य प्रदेश, गुजरात, पंजाब व कश्मीर के आकर्षक परिधान और शिल्प, सिक्किम की थंका चित्रकला, मुरादाबाद के पीतल के बर्तन और शो पीस, दक्षिण भारत के रोजवुड और चंदन की लकड़ी के हस्तशिल्प आदियहां प्रदर्शित हैं। मेले में लगे स्टॉल हर क्षेत्र की कला से परिचित कराते हैं। सार्क देशों एवं थाईलैंड, तजाकिस्तान और मिस्र के कलाशिल्पियों की भी यहां आने की उम्मीद है। इस वर्ष मेले में पेरू और बोलिविया के अलावा लगभग 20 देशों के भाग लेने की सम्भावना है्। इनमें चीन, जापान, श्रीलंका, नेपाल, अफगानिस्तान, कांगो, मिस्र, थाईलैंड, मालदीप, रूस, किर्गिस्तान, वियतनाम, लेबनान, तुर्कमेनिस्तान, मलेशिया और बांग्लादेश शामिल हैं।

खास रहेगा 2020 का 34 वां सूरजकुंड हस्तशिल्प मेला

1 से 16 फरवरी तक चलने वाले इस मेले में रोजाना शाम 6 बजे के बाद मेला परिसर के चैपाल और नाट्यशाला नामक खुले मंच में देश-विदेश के नामचीन कलाकर गायन, वादन, नृत्य, हास्य कविताएं और नाटक की प्रस्तुति देंगे। मेले में स्कूल व काॅलेज के लिए कई प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। ऑफलाइन टिकट लेने के लिए मेले के प्रवेश द्वार के अलावा 30 से अधिक मेट्रो स्टेशनों पर टिकटें उपलब्ध रहेंगी। इसके अलावा इस मेले की टिकट ऑनलाइन (Bookmyshow.com   और haryanatourism.gov.in) भी खरीदी जा सकती हैं। हर उम्र के लिए मनोरंजन का विशेष इंतजाम किया गया हैै। यह मेला प्रतिदिन सुबह 10.30 बजे से रात 8.30 बजे तक जारी रहेगा। इस बार फूड कोर्ट हवेली को ग्रामीण परिवेश में सजाया गया हैं। यहां तय कीमत की अदायगी के बाद गांव के खालिस खाने का लुत्फ राजसी ठाठ-बाठ में लिया जा सकता है। मेला परिसर को ग्रामीण परिवेश में अंलकिृत किया गया है।

अनहोनी से बचाव हेतु सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम मेला परिसर में किए गए हैं, जैसे सीसीटीवी कैमरा और चप्पे-चप्पे पर सिक्युरिटी गार्ड। पार्किंग एरिया में प्रवेश व निकास के लिए अलग गेट बनाया गया है, ताकि गाड़ियों से जाम नहीं लगे। इस बार मेला परिसर में सीनियर सिटिजन और विकलांग लोगों के लिए गोल्फ कार्ट व बैटरी रिक्शा की विशेष व्यवस्था की गई है। मेले में विकलांगो, भूतपूर्व सैनिकों, कार्यरत सैनिकों और वरिष्ठ नागरिकों को टिकट में 50 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। स्वतंत्रता सेनानियों के लिए प्रवेश शुल्क निशुल्क है। इसके अलावा मेला घूमने वालों के लिए सीढ़ियों की जगह वाॅक फ्रेंडली रैंप तैयार किए गए हैं। यहां साधारण शौचालय के अलावा पर्यावरण अनुकूल ई-टाॅयलेट बनाए गए हैं। मेला परिसर में प्लास्टिक व पाॅलीथीन बैग्स प्रतिबंधित हैं। यहां उचित दामों पर स्मृति चिन्ह, जैसे छतरी, फ्रिज मैगनेट, कोस्टर, प्लेट, नेकटाई, मग और की रिंग खरीदने की विशेष व्यवस्था है। इस बार बेहतरीन शिल्पकारों को कला मणी, कला श्री और कला निधि उपाधियों से पुरस्कृत किया जाएगा।

1987 से सिलसिलेवार

सूरजकुंड हस्तशिल्प मेला ग्रामीण माहौल और ग्रामीण संस्कृति का परिचय देता है। यह मेला हरियाणा राज्य के फरीदाबाद शहर के दिल्ली के निकटवर्ती सीमा से लगे सूरजकुंड क्षेत्र में प्रतिवर्ष लगता है। वर्ष 1987 से यहां यह मेला आयोजित होता आ रहा है। 1987 में भारत हस्तशिल्प हथकरघा सांस्कृतिक विरासत की समृद्धि एवं विविधता को एक मंच पर प्रदर्शित करने के उद्देश्य से किया गया था। इस मेले का मुख्य आकर्षण है देशव्यापी कलाओं का समागम। यानी भारत के सभी राज्यों से हस्तशिल्प व हथकरघा उत्पादों और लोक कला, लोक व्यंजन, लोक संगीत व लोक नृत्य को एक स्थान पर लाना। इस शिल्प मेले में हथकरघा और हस्तशिल्प उत्पादों की खरीद-फरोख्त भी कर सकते हैं।

इतिहास भी है

सूरजकुंड का नाम 10वीं सदी में तोमर वंश के राजा सूरज पाल द्वारा बनवाए गए एक प्राचीन रंगभूमि सूर्यकुंड से पड़ा था। यह एक अनुठा स्मारक है क्योंकि इसका निर्माण सूर्य देवता की आराधना करने के लिए किया गया था। यह यूनानी रंगभूमि से मेल खाता है। यह मेला एक शानदार स्मारक की पृष्ठभूमि में आयोजित भारत की सांस्कृतिक धरोहर की भव्यता और विविधता का जीता जागता उदाहरण है।

थीम स्टेट है हिमाचल प्रदेश

प्रत्येक वर्ष सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले में किसी एक भारतीय राज्य को थीम स्टेट का सम्मान मिलता है। इस अवधारणा का मुख्य कारण है हर राज्य के खान-पान, कला और शिल्प को प्रचारित व प्रसारित करना। या यूं कहें कि मेला, थीम राज्य को हस्तशिल्प, हथकरघा, कला, खान-पान और पर्यटक क्षमता को व्यापक स्तर पर मेला घूमने वाले देशी-विदेशी लोगों के सम्मुख प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करता है। हिमाचल प्रदेश 34 वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला-2019 के लिए थीम स्टेट है। इस बार के मेल में उज्बेकिस्तान सहभागी देश और हिमाचल प्रदेश सहभागी प्रदेश के तौर पर भाग ले रहे हैं। शनिवार को देश के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने 34वें सुरजकुंड मेले का शुभारंभ किया। हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य, मुख्यमंत्री मनोहर लाल, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और उज्बेकिस्तान के राजदूत भी उनके साथ मौजूद रहे। साल 2013 में कर्नाटक, साल 2014 में गोआ, साल 2015 छत्तीसगढ़, साल 2016 तेलंगाना, साल 2017 में झारखंड, साल 2018 में उत्तर प्रदेश और साल 2019 साल को मेले में थीम स्टेट बनाया गया।

 

हरियाणा सरकार का सहयोग

यह मेला सूरजकुंड मेला अथॉरिटी, हरियाणा सरकार, हरियाणा टूरिज्म और टेक्स्टाइल, पर्यटन, कल्चर एंड एक्सटर्नल अफेयर्स मंत्रालय मिलकर आयोजित करते हैं। इस मेले ने अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक कैलेंडर में प्रमुख स्थान हासिल किया है। पिछले कुछ वर्षों से यहां एक लाख से अधिक देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं।

विमान, सड़क, रेल या मेट्रो से पहुंचे

हरियाणा स्थित सूरजकुंड, साउथ दिल्ली से सिर्फ 8 किमी की दूरी पर है। यदि आप विमान से आ रहे हैं, तो सूरजकुंड के लिए निकटतम हवाई अड्डा दिल्ली है। इसके बाद मेला परिसर के लिए इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से 35 मिनट और पालम एयरपोर्ट से 25 किमी की सड़क यात्रा तय करनी होगी। सरकारी व गैरसरकारी बसों से भी यहां आया जा सकता है। इसके लिए आईएसबीटी, फरीदाबाद, शिवाजी स्टेडियम, गुड़गांव बस डिपो से भी बस पकड़ सकते हैं। इसके अलावा निजी कार और प्राइवेट कैब से भी मेला परिसर में पहुंचा जा सकता है। अतिरिक्त टुरिस्ट सुविधाएं दिल्ली स्थित 36, जनपथ हरियाणा टूरिस्ट ब्यूरो में भी उपलब्ध है। दिल्ली मेट्रो से भी यहां पहुंचा जा सकता है। गंतव्य के लिए नजदीकी मेटो स्टेशन है बदरपुर। सूरजकुंड  रेलवे द्वारा आ रहे हैं, तो बता दें कि दिल्ली निकटतम रेलवे जंक्शन है। फरीदाबाद और गुड़गांव दोनों रेलवे लाइनों के माध्यम से दिल्ली से जुड़े हुए हैं।


लेखिका दीप्ति अंगरीश पत्रकार हैं। पिछले 11 साल से देश भर की अखबारों और पत्रिकाओं में विभिन्न विषयों पर आलेख लिखती हैं जिनमें जीवनशैली, संस्कृति पर्यटन आदि सम्मिलित हैं।

 


सभी चित्र वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट राजेश भसीन जी ने लिए हैं।

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