नई दिल्ली । सूरत के कोचिंग सेंटर का अग्निकांड बहुत बडा दुखांत है । शाॅर्ट सर्किट से कोचिंग सेंटर में आग लगी और अपनी जान बचाने के लिए बच्चों ने जो भगदड मचाई उसी में जान गंवा बैठे । कुछ ने तो चौथी मंजिल से ही छलांग लगा दी । इस तरह उन्नीस जानें गयीं जिनमें सोलह लडकियां बताई जा रही हैं ।
कोचिंग सेंटर शहर शहर खुले हुए हैं और शिक्षा स्कूलों में कम और कोचिंग सेंटर्ज में ज्यादा ग्रहण की जा रही है । इससे अभिभावकों का खर्च बढता जा रहा है । ये कोचिंग सेंट्रज बहुत सुविधाएं देने की , अच्छे वातावरण उपलब्ध करवाने के वादे करते हैं जबकि ये सिर्फ कमाई का साधन बन कर रह जाते हैं । हो सकता है कि बिजली की तारें पुरानी या खस्ता हाल में हों और कमाई करने वाले कोई ध्यान दे पा रहे हों ।
अब जबकि उन्नीस बच्चे असुविधा के चलते होम हो चुके तो देश के अन्य जगह प्रशासन को इन कोचिंग सेंटर्ज की छानबीन करनी चाहिए । किस हालत में चल रहे हैं ये सेंटर्ज ? कैसी सुविधाएं उपलब्ध करवा रहे हैं ? प्राइवेट स्कूलों की ओर भी ध्यान देने की जरूरत है । इन स्कूलों के वैन हादसे भी कभी कभी अखबारों की सुर्खियां बनते रहते हैं । बच्चे घर से वैन में जाते हैं और दुर्घटना के शिकार होकर अस्पताल या श्मशान पहुंच जाते हैं । पता चलता है कि वैन चालक सही ड्राइवर ही नहीं था । या कोई स्कूल संचालक ही चला रहा था ।
कहने को इतना ही है कि प्राइवेट स्कूल और कोचिंग सेंटर्ज पर प्रशासन को निगाह रखनी चाहिए ।
कहने को इतना ही है कि प्राइवेट स्कूल और कोचिंग सेंटर्ज पर प्रशासन को निगाह रखनी चाहिए ।