मुंबई । हॉरर और सस्पैंस। इन दिनों अधिकांश निर्माता इसी ज़ोनर की फिल्में बना रहे हैं, जो दर्शकों को पसंद भी आ रही हैं। गुलशन आनंद फिल्म्स के बैनर तले निर्मित फिल्म ‘लफंगे नवाब’ भी सस्पेंस और मिस्ट्री की ऐसी ही फिल्म है जिसकी कहानी फिल्म के मुख्य नायक युग और उसके पिता शहर के सबसे बड़े व्यवसायी सिंघानिया के आस पास घूमती है। सिंघानिया शहर के मशहूर व्यापारी हैं और हमेशा चाहते हैं कि उनका बेटा युग उनके व्यापार का उत्तराधिकारी बने लेकिन युग अपने 4-5 दोस्तों के साथ एक संगीत बैंड में बहुत ख़ुश है जो शहर में छोटे कार्यक्रम करते रहे है। सिंघानिया अपने बेटे युग को व्यापार की बारीकियां सीखने के लिए कहते और समझाते हैं कि उसके दोस्त सिर्फ उसके पैसे की वजह से साथ में रहते हैं। युग को सबक सिखाने के लिए पिता अपने यहां काम करने वाली एम्मी की नकली हत्या की योजना बनाते हैं।
लेकिन यहां एक बहुत बड़ा ट्विस्ट तब आ जाता है जब एम्मी का सचमुच ख़ून हो जाता है। क्या एम्मी की हत्या में पुलिस ने सिंघानिया को गिरफ्तार किया? एम्मी की हत्या किसने की है? क्या सिंघानिया और युग इस षड़यंत्र से बहार आ पाएंगे? आखिर सच्चाई क्या है? इसका राज़ फिल्म देखकर ही खुलेगा। निर्मात्री माही आनंद कहती हैं कि ‘लफंगे नवाब’ हमारे प्रॉडक्शन हाउस गुलशन आनंद फ़िल्म्स की पहली फिल्म है और मैं इसे अपने पिता को समर्पित करती हूँ। ‘लफंगे नवाब’ में दर्शकों को सस्पेंस और मिस्ट्री का कॉकटेल देखने को मिलेगा। लख़नऊ और मुंबई के ख़ूबसूरत लोकेशन पर फ़िल्मायी गयी लफंगे नवाब रोबिन सोही, रितम भारद्वाज, लारिसा चाकज़ और निशा श्रीवास्तव की अहम भूमिका है। निर्देशक हैं सनोज मिश्रा।