क्लिनिशियनों ने आईवीएफ पीजीएस/पीजीडी के लाभ के बारे में चर्चा की

गाजियाबाद। मेडजिनोम और गाजियाबाद की प्रमुख आईवीएफ प्रदाता गुंजन आईवीएफ वल्र्ड ने आईवीएफ में जेनेटिक स्क्रीनिंग/डायग्नाॅसिस (पीजीएस/डी) का इस्तेमाल करने के फायदों पर चर्चा करने के लिए आॅब्स्टेट्रिक्स, गायनेकोलाॅजी और असिस्टेड रिप्रोडक्शन के क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ मस्तिश्कों को एकत्रित किया। कंटीन्यूइंग मेडिकल एजुकेषन (सीएमई) सत्र के दौरान डाॅ. सैम बालू, मैनेजर साइंटिफिक अफेयर्स, मेडजिनोम की बातचीत का भी आयोजन किया गया।
पीजीएस और पीजीडी दोनों आईवीएफ गर्भावस्थाओं के मामले में किए जाते हैं। जेनेटिक स्क्रीनिंग का प्री-इंप्लांटेषन आईवीएफ भू्रण में क्रोमोसोम की संख्या में बदलाव की जांच कर कुल इंप्लांटेशन दर और बच्चा चाहने वाली दंपति के लिए आईवीएफ परिणाम में सुधार करने में मदद करता है। प्री-इंप्लांटेषन जेनेटिक स्क्रीनिंग का इस्तेमाल कर दंपति गर्भधारण करने के अपने अवसरों को 40 से 70 फीसदी तक बढ़ा सकते हैं। इससे गर्भपात और अन्य जटिलताओं (किसी बच्चे का ट्रिसोमी 21 के साथ जन्म लेना जिसका परिणाम डाउंस सिंड्रोम होता है) के अवसरों को काफी हद तक कम करता है।
प्री-इंप्लांटेशन जेनेटिक डायग्नाॅसिस टेस्टिंग का इस्तेमाल विशेष सिंगल जीन गड़बड़ियों (जैसे बीटा थैलेसेमिया, पाॅलीसिस्टिक किडनी डिजीज़ इत्यादि) की पहचान करने में किया जाता है जो या तो एक या दोनों माता-पिता से मिलने वाली बीमारी के कारण होता है। यह विशेष रूप से ऐसी बीमारियों से पीड़ित माता-पिता/पारिवारिक इतिहास वाले लोगों के लिए उपयोगी है ताकि उनके बच्चे इनसे पीड़ित न रहें। सीएमई के बारे में डाॅ. सैम बालू, मैनेजर साइंटिफिक अफेयर्स-मेडजिनोम लैब्स लिमिटेड ने कहा कि अनुर्वरता के बढ़ते मामलों के साथ लोग बच्चे पैदा करने का अपना सपना पूरा करने के लिए असिस्टेड रिप्रोडक्टिव प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि अब भी पीजीएस या पीजीडी जैसी जांच को लेकर जागरूकता की कमी है जिसमें इंप्लांट से पहले भू्रण में किसी भी प्रकार की जेनेटिक बीमारी की जांच की जाती है। इन परीक्षणों से क्लिनिषियनों और मरीजों को सूचनायुक्त निर्णय लेने में मदद मिलती है। उन्होंने आगे कहा कि ’विभिन्न आईवीएफ चरणों का सामना करने वाले मरीजों को प्रत्येक असफल आईवीएफ चरणों के कारण आर्थिक एवं भावनात्मक बोझ का सामना करना पड़ता है। पीजीएस या पीजीडी अपनाने से एक सफल गर्भावस्था और एक सेहतमंद बच्चा पाने की संभावना बढ़ जाती है और इस तरह एक सफल गर्भावस्था के लिए आईवीएफ साइकिल्स की संख्या कम करने में मदद मिलती है।
डाॅ. गुंजन गुप्ता गोविल, चेयरमैन, गुंजन आईवीएफ वल्र्ड ने कहा कि बीमारियों के पारिवारिक इतिहास वाले मरीजों में उनकी बीमारी बच्चों तक जाने का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसे जोड़ों को प्रीइंप्लांटेशन जेनेटिक डायग्नाॅसिस का इस्तेमाल करने की जरूरत होती है। पीजीडी और पीजीएस दोनों इंप्लांटेशन से भू्रण की जांच का मौका देता है इसलिए अनुवांशिक बीमारियों का जोखिम कम हो जाता है। मेडजिनोम बेंगलुरू में अपनी सीएपी प्रमाणित प्रयोगषाला में फिलहाल विभिन्न प्रकार की बीमारियों के परीक्षणों की श्रृंखला मुहैया करा रहा है जिनमें एक्सोम सीक्वेंसिंग, लिक्विड बायोप्सी और करियर स्क्रीनिंग शामिल है।

 

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