करोड़ों में है कोरोना पीड़ितों की असली संख्या…

नई दिल्ली। आधिकारिक रिकॉर्ड के मुताबिक दुनिया भर में कोरोना वायरस के अब तक 15 लाख से ज्यादा केस आ चुके हैं. लेकिन एक प्रतिष्ठित जर्मन यूनिवर्सिटी के दो जर्मन रिसर्चरों का दावा है कि असली संख्या करोड़ों में है.जर्मनी की ग्योटिंगन यूनवर्सिटी की एक रिसर्च के मुताबिक इस बात की बहुत ज्यादा संभावना है कि दुनिया भर की स्वास्थ्य सेवाओं ने जितने मामले दर्ज किए हैं, वे बेहद कम हैं. यूनिवर्सिटी के रिसर्चर क्रिस्टियान बोमर और सेबास्टियान फोलमर का यह शोध हाल ही में द लैसेंट इंफेक्शन डिजीजेज पत्रिका में छपा है.

शोध के लिए कोरोना वायरस संबंधी मृत्यु दर और इंफेक्शन की शुरुआत से मौत तक के जुटाए गए आंकड़ों को आधार बनाया गया. फिर आधिकारिक रूप से दर्ज आंकड़ों की समीक्षा की गई. डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर सेबास्टियान फोलमर कहते हैं, ष्इन नतीजों का मतलब है कि सरकारों और नीति निर्माताओं को मामलों की संख्या के आधार पर योजना बनाते वक्त बहुत ज्यादा एहतियात बरतनी होगी.”

फोलमर ने चेतावनी देते हुए कहा, ष्संख्या और अलग अलग देशों में टेस्टिंग की क्वॉलिटी के मद्देनजर इतने बड़े अंतर का अर्थ है कि आधिकारिक रिकॉर्ड सटीक और मददगार जानकारी नहीं दे रहे हैं.” बोमर और फोलमर का अनुमान है कि 31 मार्च 2020 तक जर्मनी में असल में कोविड-19 के करीब 4,60,000 मामले थे. इस हिसाब से जर्मन रिसर्चरों ने अमेरिका में संक्रमित व्यक्तियों की संख्या 31 मार्च तक एक करोड़ से ज्यादा आंकी हैं. यह मॉडल स्पेन में 50 लाख, इटली में 30 लाख और ब्रिटेन में 20 लाख लोगों के संक्रमित होने का अनुमान लगाता है.
वहीं जॉन्स हॉपकिंग्स यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के मुताबिक 9 अप्रैल 2020 तक दुनिया भर में कोविड-19 के कुल 15 लाख से ज्यादा मामले आधिकारिक रूप से दर्ज हुए हैं. जर्मन रिसर्चरों के अनुमान और जॉन्स हॉपकिंग्स के आंकड़ों में बहुत ही बड़ा अंतर है. स्टडी कहती है, “यह शोध पत्र लिखते समय जॉन्स हॉपकिंग्स का डाटा दुनिया भर में 10 लाख से भी कम कंफर्म केस बता रहा है, हमारा अनुमान है कि संक्रमण की संख्या कुछ करोड़ों में है.”

शोध पत्र के लेखकों का दावा है कि अपर्याप्त सुविधाओं और देर से हुई टेस्टिंग के कारण ही इटली और स्पेन जैसे कुछ यूरोपीय देश, जर्मनी के मुकाबले कहीं ज्यादा मौतें देख रहे हैं. शोध में अनुमान लगाया गया है कि जर्मनी में भी कोविड-19 के करीब 15.6 फीसदी मामले ही आधिकाारिक तौर पर दर्ज हुए हैं. इटली में यह संख्या 3.5 और स्पेन में 1.7 प्रतिशत है. अमेरिका (1.6%) और ब्रिटेन (1.2%) में तो डिटेक्शन रेट और भी कम है.

रिसर्चरों ने अपील करते हुए कहा है कि नए मामलों का पता लगाने के लिए देशों को संक्रमित व्यक्ति को अलग थलग करने और उसके संपर्क में आने वाले सभी लोगों को ट्रेस किए जाने की जरूरत है. लेखकों ने चेतावनी देते हुए कहा है, अगर देश ऐसा करने में नाकाम रहे और “वायरस फिर से लंबे समय के लिए छुपा रह गया तो आने वाले समय में यह फिर से नया विस्फोट करेगा.”

 

 

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