क्यों बोल रहे विवादित बोल ? 

हमारे नेताओं को क्या हो गया ? कैसे कैसे बोल बोलने लगे ? विश्वास नहीं होता पर करना पड़ रहा है । क्या करें ? मानुषी छिल्लर विश्व सुंदरी बनी । देश को पूरे सत्रह साल बाद यह खिताब मिला । प्रियंका चोपड़ा के बाद  मानो सुंदरता ही गायब होती गयी । मानुषी छिल्लर ने फिर से भारतीय सौंदर्य का परचम लहराया । चहुंओर बधाई लेकिन कांग्रेस नेता शशि थरूर को क्या सूझी ? चिल्लर बता दिया मानुषी को ? शर्म आनी चाहिए । भारतीय नारी कांग्रेस अपमान करते हुए ।
अपने हरियाणा के मंत्री अनिल विज को गाने के बोल ही पसंद नहीं आए । गाना कोई नया तो है नहीं , फिर अब एतराज क्यों ?
दे दी हमें आजादी
बिना खड्ग बिना ढाल 
साबरमती के संत 
तूने कर दिया कमाल 
गाना तो बहुत पुराना है । विज तब बच्चे रहे होंगे । तब से यह गाना बज रहा है । अब जा के समझे कि आजादी ऐसे नहीं मिली । यह थोड़ा क्रांतिकारियों का अपमान है । वाह । सब मानते हैं कि नर्म दल और गर्म दल दोनों की चोट से ही अंग्रेजों ने भारत छोडने का फैसला किया । इसमें न गर्म दल को कोई ठेस पहुंचाई गयी , न ही नर्म दल का गुणगान किया गया । गांधी के अहिंसा के आचरण व संदेश को सर्वत्र सराहा और अपनाया गया ।
लीजिए,  हरियाणा के एक और नेता का विवादित बोल भी सुन लीजिए । ये हैं भाजपा के मुख्य मीडिया समन्वयक सूरजपाल अम्मू जी । कह रहे हैं कि पद्मावती फिल्म के निर्माता निर्देशक संजय लीला भंसाली व नायिका दीपिका पादुकोण का सिर काट कर लाने वाले को दस करोड़ का इनाम देंगे । फिल्म को भारतीय संस्कृति व नारी शक्ति का अपमान करार दिया ।
देखिए , अभी फिल्म रिलीज नहीं हुई । अभी से यह अफवाह है कि इसमें अलाउद्दीन खिलजी और पद्मावती पर सपने में कोई प्रेम प्रसंग दिखाया गया है । इसे लेकर सारा विवाद हो रहा है । भंसाली कहा रहे हैं कि पहले फिल्म देखिए , फिर कोई राय बनाइए । लेकिन करणी सेना का दावा हैं कि पहले खुद विचार क्रोम लीजिये,  फिर हम देख लेंगे ।
प्रसून जोशी अलग सेल नाराज हैं कि फिल्म की स्क्रीनिंग बाहर कैसे ?  यह तो नियमों के खिलाफ हैंं । किसी फिल्म का इतना विरोध ?  यह भी तो किसी नियम में नहीं जोशी जी ।
ऐतिहासिक या धार्मिक फिल्म बनाते समय बहुत सजग व संवेदनशील रहने की जरूरत हैंं । आपने राजपूत समाज को विश्वास में नहीं लिया । करणी सेना का यही आरोप हैंं । आप उन्हें विश्वास में लीजिये । फिल्म बनाने का शौक हैंं तो थोडा समय और समाज की नब्ज भी पहचान कर चलिए । फिल्म समाज को ही देखनी है । करोडों रूपये वहीं से आने हैं ।
पर विवादित बोल बोलने वाले लोगों को क्या कहें ?  क्या यह नासमझ हैं ?  नहीं । ये तो सरकार हैं और सरकार इतनी अमर्यादित भाषा बोलती हैंं ?  बडी हैरानी की बात हैंं । सरकार का गौरव और प्रभाव बनाने के लिए कुछ तो बडा सोचिए । कुछ तो सम्मान व गरिमा बनाए रखिए ।
कमलेश भारतीय 

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