Tulsi Pooja, कार्तिक में तुलसी पूजा का है विशेष महत्व

नई दिल्ली। Tulsi, कार्तिक में तुलसी पूजा का है विशेष महत्व। दिनांक 31.10.2020 से कार्तिक माह का शुभारंभ हो गया है। जो दिनांक 31.11.2020 तक चलेगा, इस महीने में व्रत पूजा स्नान दान के साथ ही Tulsi,पूजा का भी विशेष महत्व है। वैसे तो हमारे घरों में प्रतिदिन तुलसी माँ की पूजा होती है लेकिन कार्तिक महीने में तुलसी पूजा करने से भक्तों को कई लाभ होते हैं।

माता तुलसी और शालिग्राम का विवाह

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी महीने में माता Tulsi और शालिग्राम का विवाह भी संपन्न होता है। ऐसी मान्यता है कि इस माह में तुलसी माता की पूजा करने से कई तरह के सकारात्मक बदलाव आते हैं।

Tulsi Pooja, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार

भगवान श्री कृष्ण को पाने के लिए गोपिकाओं ने भी यमुना स्नान के साथ ही माता Tulsi जी की आराधना की थी। यही कारण है कि आज भी कुंवारी कन्याएं मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए विधि-विधान के साथ तुलसी देवी की पूजा करती हैं। आचार्य पंडित नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने कार्तिक महीने की व्याख्या करते हुए कहा है कि पौधों में तुलसी, महीनों में कार्तिक, दिवसों में एकादशी तथा तीर्थों में द्वारिका मेरे हृदय में निवास करते हैं।

Tulsi Pooja, गोदान से अधिक है तुलसी पूजा का फल

तुलसी का पौधा हमेशा से आस्था का केंद्र रहा है। विशेषकर कार्तिक महीने में Tulsi का महत्व और बढ़ जाता है। ऐसी मान्यता है कि कार्तिक महीने में भगवान श्री हरि को तुलसी चढ़ाने का फल गोदान के फल से कई गुना अधिक हो जाता है। तुलसी की महीने भर नियमपूर्वक पूजा करने व दीपक जलाने से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

Tulsi Pooja,कैसे करें पूजा

शास्त्रों के अनुसार तुलसी के चारों ओर स्तंभ बनाकर उसे तोरण से सजाना चाहिए तथा स्तंभों पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाना चाहिए। रंगोली से अष्टदल कमल के साथ ही शंख चक्र व गाय का पैर बनाकर सर्वांग पूजा करना चाहिए। दशाक्षरी मंत्र ॐ नमो भगवते वासुदेवाय से तुलसी का आवाहन करके धूप, दीप, रोली, सिंदूर, चंदन, नैवेद्य व वस्त्र अर्पित करना चाहिए। तुलसी के चारों और दीप दान करके उनकी विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। ऐसी मान्यता है कि नियम पूर्वक तुलसी माँ की पूजा व दीपदान करने से परिवार के सारे कष्ट दूर होते हैं तथा मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है….!!

Inputs – आचार्य:-पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री

Leave a Reply

Your email address will not be published.