बच्चों और किशोरों को सुना जाना चाहिए और उनके अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए-हेनरिता फाॅर


न्यूयार्क। 
हाल के महीनों में दुनियाभर से बच्चे और युवा लोग अपने अधिकारों की मांग को लेकर गलियों में आ गए। हालाांकि हर संदर्भ अलग-अलग है, मध्य पूर्व से लेकर लेटिन अमेरिका, कैरेबियन तक, और यूरोप, अफ्रीका और एशिया में, युवा लोग जलवायु संकट, भ्रष्टाचार व गैर बराबरी को खत्म करने के लिए कार्रवाई करने की, बेहतर शिक्षा व रोजगार अवसर मुहैया कराने और प्रत्येक के लिए, हर जगह निष्पक्ष दुनिया का आह्नान कर रहे हैं। इसलिए यह एक उदास करने वाली विडंबना है कि, वे अपने मूलभूत अधिकारों के लिए खड़े हो रहे हैं, साथ ही साथ बहुत से बच्चों व किशारों के अधिकार उनसे छीने जी रहे हैं।

इन प्रदर्शनों में से बहुत से प्रदर्शनों ने युवा प्रदर्शनकारियों को सीखचों के पीछे भेज दिया है, कई घायल हुए हैं तो कई मर गए हैं। स्कूल बंद हो गए हैं और जन सेवाएं बाधित हुई हैं। शांतिपूर्ण सभा और अभिव्यक्ति की आजादी, जिसमें शांतिपूर्ण प्रदर्शन भी शमिल है, बाल अधिकार हैं और ये अधिकार बाल अधिकार कंवेशन में प्रतिष्ठापित हैं, और यह विश्व में सबसे व्यापक रूप से पुष्ट की गई मानव अधिकार संधि है। बच्चे अपने अधिकारों का सुरक्षित व शांतिपूर्ण तरीके से इस्तेमाल करें, यह सुनिश्चित करना सदस्य राज्य का कर्तव्य है।

सभी सक्रिय लोगों को हिंसा से दूर रहना चाहिए और बच्चों की सुरक्षा की मूलभूत गांरटी हर जगह हर समय अम्ल में लाई जानी चाहिए, इसमें नागरिक अशांति या सशस्त्र संघर्ष वाले हालात भी शमिल हैं।

मेरा अनुनय है कि कृप्या बच्चों की हिंसा से रक्षा करें और उनके बोलने व सुने जाने के अधिकार का सम्मान करे। उन्हें अपने सरोकारों को सार्थक आवाज देने और उनके भविष्य को प्रभावित करने वाले मामलों में हिस्सा लेने वाले अवसर दें। उन्हें सुने और सैद्धांतिक, रचनात्मक व मददगार प्रतिक्रिया दें।

 

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