भोजपुरी को संवैधानिक मान्यता दिलाने के लिए जुटे दिग्गज

नई दिल्ली। करोडों लोगों की मातृभाषा भोजपुरी को संविधान की अष्ठम अनुसूची में शामिल कराने की मंशा लिए इंडिय इंटरनेशनल सेंटर में तमाम दिग्गज जुटे। विश्व भोजपुरी सम्मेलन के बैनर तले सैकडों लोगोें ने राष्ट्ीय कार्यकारिणाी में हिस्सा लिया। दलगत राजनीति से उपर उठकर भोजपुरी के लिए भाजपा, कांग्रेस नेताओं सहित समाज के बुद्धिजीवियों ने हिस्सा लिया और अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष व सांसद मनोज तिवारी, पूर्व सांसद महाबल मिश्रा, विश्व भोजपुरी सम्मेलन के राष्ट्ीय अध्यक्ष अजीत दुबे, महासचिव अशोक कुमार सिंह, एडवोकेट सरफराज  अहमद सिद्दीकी, विश्व भोजपुरी सम्मेलन के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष विनय मणि त्रिपाठी, अजय पासी, संजय गुप्ता, डाॅ ज्ञानेंद्र आदि गणमान्य अतिथियों ने दीप प्रज्वलित करके किया।
भोजपुरी को संवैधानिक मान्यता दिलाने के लिए विश्व भोजपुरी सम्मेलन के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि हमें भोजपुरी को संवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए पूरी तैयारी और प्रयास करने की जरूरत है। उन्होंने राजधानी में एक भोजपुरी प्रवासी केंद्र बनाने की मांग उठाई। वहीं, सांसद और दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि भोजपुरी को संवैधानिक मान्यता मिले, हम उसी हक में हैं। भोजपुरी विश्व पटल पर अनेक रूपों में अपनी उपयोगिता और पहचान बना चुकी है। सरकार द्वारा बहुत हद तक भोजपुरी व राजस्थानी को संविधान में लाने की योजना बन चुकी है। इसमें जो रुकावट आ रही है, उसे भी दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके पहले हमें अपने भोजपुरी साहित्य, भोजपुरी पत्रिकाओं को खरीदने की आदत डालनी चाहिए।
विश्व भोजपुरी सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत दुबे ने कहा कि कुछ समय में भोजपुरी के लिए ऐतिहासिक काम हुआ है। पिछले 21 जनवरी को नेपाल में नवनिर्वाचित भोजपुरी क्षेत्र के सासदों ने भोजपुरी में शपथग्रहण किया। मॉरीशस के 250 सरकारी स्कूलों में भोजपुरी की पढ़ाई शुरू हो गई। मॉरीशस सरकार के अनुरोध पर यूनेस्को ने एक दिसंबर 2016 को कुछ भोजपुरी लोकगीतों को सास्कृतिक धरोहर में सम्मिलित कर लिया, लेकिन 5 बार आश्वासन मिलने के बाद भी भोजपुरी को संविधान में स्थान नहीं मिला। यह सोचनीय और चिंतनीय है। ये सरकार, जो सबका साथ सबका विकास नारा दे रही है, वह अपने कर्म से बता रही है कि भोजपुरी का भी कल्याण होगा। इसके लिए सरकार को अपनी इच्छा शक्ति को बढ़ाना पड़ेगा और भोजपुरी को संविधान में सम्मिलित करना पड़ेगा।
इस अवसर पर भोजपुरी सम्मेलन की पत्रिका का विमोचन किया गया। दिल्ली बार कौंसिल का चुनाव लड रहे एडवोकेट सरफराज अहमद सिद्दीकी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि हम लोग यहां केवल और केवल भोजपुरी के सम्मान के लिए आए है।ं भोजपुरी करोडों पूर्वांचल के लोगांे की भाषा है। हमारी मां की भाषा है। दिल्ली में हजारों एडवोकेटस हैं, जो आपसी बातचीत भोजपुरी में करते हैं। हमें उनके अधिकारों की बात करनी है। हमें उम्मीद है कि भोजपुरी को जल्द की संविधान की अष्ठम अनुसूची में स्थान मिलेगा।

 

 

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