सोमा राजहंस
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता से एक सीधी सीधी लड़ाई शुरू हुई है । जिसे ओबीसी बनाम लोकतंत्र की लड़ाई कह सकते हैं । एकतरफ जहां भाजपा नेता और इसके समर्थक शिंदे इसे ओबीसी के अपमान की लड़ाई बना रहे हैं यानी राहुल गांधी की छवि को जितना भी जनता की नजर में धूमिल किया जा सके , उतनी की जाये ! भाजपा नेता अनुराग ठाकुर और रविशंकर प्रसाद ने अपने तीर तरकश में से निकलने में देर नहीं लगाई । इतने में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी कूद पड़े यह कहते हुए कि महाराष्ट्र में राहुल को दाखिल नहीं होने देंगे ! यह सब एकदम प्रायोजित और एकदम इवेंट मैनेजमेंट की तरह ! धोया, भिगोया, निचोड़ा और लो हो गया -चकाचक सफेद ! रंग चोखा ! राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा में शायद ठीक ही कहा थे कि जिसकी छवि धूमिल करने के लिये करोड़ों रुपये खर्च दिये गये , मैंने यात्रा के दौरान वे करोड़ों रुपये बर्बाद कर दिये ! पप्पू कैसे बनाया ? ऐसे ही ईवेंट मैनेजमेंट से । अब पप्पू नहीं रहे तो कोई बात नहीं बना देते हैं ओबीसी का दुश्मन नम्बर वन ! फिर कौन सी यात्रा पर निकलोगे ? बताना जरा ! जैसे एक ग्रामोफोन की एड आती थी -हिज मास्टर वाॅयस ! ऐसे ही ऊपर के आदेश पर सभी कहेंगे कि राहुल तो ओबीसी का दुश्मन है ।
विष्णु प्रभाकर के साथ अहमदाबाद में एक शिविर लगाया था । उन्होंने एक बहुत प्यारी छोटी सी कथा कही थी -चांदनी रात थी । नदी किनारे मेंढक बैठे थे । इनके राजा ने कहा कि चांदनी रात है । कितनी प्यारी बात है । हम सब चुप रहकर इसका लुत्फ लेंगे । फिर तो क्या बात है -सभी मेंढक रात भर यही टर्रा कर एक दूसरे को कहते रहे ! बस । मुखिया ने तो इशारा भर किया था और मेंढक सारी रात टर्राते गये , टर्राते गये !
दूसरी ओर कांग्रेस और खुद राहुल गांधी इसे लोकतंत्र की लड़ाई बताने और बनाने में जुट गये हैं ! कैसे ? एक सुझाव यह आ रहा है कि सभी कांग्रेसी सांसद लोकसभा से इस्तीफे दे सकते हैं । दूसरा कोर्ट की लड़ाई तेजी से और चुस्ती से कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी लडेंगे । तीसरे विपक्ष एकजुट होने लगा है और इसे मिलकर ही लड़ने की रणनीति बनाई जायेगी । यह भी आ रहा है कि कोई कांग्रेसी सांसद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के बयानों को लेकर कोर्ट में इसी तर्ज पर याचिका लगायेंगे कि लोकतंत्र का अपमान कर रहे हैं ! वे बयान सार्वजनिक भी किये जा रहे हैं । इस तरह अब सभी नेताओं को तोल मोल कर बोलने पर विवश कर दिया जायेगा ! संभल कर मुंह खोला वर्ना कोर्ट में देख लेंगे !
राहुल गांधी ने कहा है कि यह लोकतंत्र की लड़ाई है और बिना संसद के भी लड़ता रहूंगा ! वैसे भी संसद से बाहर आकर भारत जोड़ो यात्रा से ही अपनी छवि बदलने की कोशिश की । ऐसे ही इस आंदोलन को भी लड़ने के लिये आगे आना होगा । किसी ने राहुल की जमानत पर कहा सोशल मीडिया पर कि इतनी तेजी से तो मैगी भी नहीं बनती जितनी तेजी से राहुल की जमानत हुई । इसका जवाब यह आया कि इतनी जल्दी से किसी की संसद सदस्यता भी नहीं जाती ! आखिर इतनी जल्दी क्या पड़ी थी ! असल में लग रहा है कि यह सब सोचा समझा खेल था । सिर्फ छब्बीस घंटे के अंदर सदस्यता भी गयी ! इसी तरह की बात कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे ने भी कही है कि जब सूरत कोर्ट के जज बदले गये थे , तभी हमें यह अंदेशे हो गया था कि कुछ गलत होने वाला है ! अब यह भी आ रहा है कि जब सदस्य ही नहीं रहे तो लुटियन पर सरकारी बंगला भी छिन जायेगा ! इस तरह जो शुरूआत जैड सिक्युरिटी हटाने से हुई थी वह बंगला छीनने तक पूरी हो जायेगी और यह अहसास करवाया जायेगा कि गांधी परिवार कोई खास परिवार नहीं है ! ये भी इसी देश के साधारण नागरिकों मे से एक परिवार है ।
राहुल को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने के विरोध में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सहित सभी बड़े नेताओं ने रविवार को पूरे देश में महात्मा गांधी की प्रतिमाओं के सामने एक दिन का सत्याग्रह किया। पार्टी ने इस संकल्प सत्याग्रह का नाम दिया है। राजधानी दिल्ली से लेकर हर प्रदेश मुख्यालय और जिलों में कांग्रेस कार्यकर्ता महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने सत्याग्रह के लिए बैठे।
राजधानी दिल्ली में कांग्रेस का संकल्प सत्याग्रह महात्मा गांधी की समाधि राजघाट पर होने वाला था लेकिन पुलिस ने कानून व्यवस्था और ट्रैफिक के हवाले इसकी अनुमति नहीं दी। इस वजह से कांग्रेस नेताओं ने राजघाट के दूसरी तरफ सर्विस लेन में सत्याग्रह किया। पहले कहा गया था कि कांग्रेस का सत्याग्रह शाम पांच बजे तक चलेगा लेकिन उसे साढ़े तीन बजे समाप्त कर दिया गया। उसके बाद कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता राजघाट गए और महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी।
सत्याग्रह के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राहुल गांधी की तारीफ की और केंद्र सरकार पर जम कर हमला किया। उन्होंने कहा- राहुल गांधी न किसी के सामने झुकता है और ना किसी से डरता है। यह सारे फैसले भारत जोड़ो यात्रा की वजह से लिए जा रहे हैं। क्या नीरव मोदी ओबीसी हैं? क्या मेहुल चौकसी ओबीसी हैं? क्या ललित मोदी ओबीसी हैं? ये भगोड़े हैं और भगोड़े के बारे में हम बोले तो आपको दुख होता है। खड़गे ने आगे कहा- राहुल गांधी ने जेनरल बात की थी कि जो भगोड़े हैं, वह बैंक का पैसा लेकर भाग गए।
खड़गे ने कहा- बोलने की आजादी को बचाने के लिए हम लड़ते रहेंगे। राहुल गांधी पूरे देश के लिए लड़ रहे हैं। युवाओं के लिए, महिलाओं के लिए लड़ रहे हैं। राहुल का बचाव करते हुए उन्होंने कहा- कर्नाटक के कोलार में जो बात हुई थी, वह एक चुनावी भाषण था किसी को ठेस पहुंचाने की कोई मंशा नहीं थी। खड़गे के साथ सत्याग्रह में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, पी चिदंबरम, जयराम रमेश, सलमान खुर्शीद, प्रमोद तिवारी, अजय माकन, मुकुल वासनिक आदि शामिल हुए।
गौरतलब है कि महात्मा गांधी के समाधि स्थल पर सत्याग्रह करने की अनुमति नहीं मिलने के बाद कांग्रेस नेताओं ने राजघाट से लगे सर्विस रोड पर सत्याग्रह किया। पुलिस ने राजघाट और उसके आसपास धारा 144 लगा दी थी। पुलिस ने कानून व्यवस्था और यातायात कारणों से कांग्रेस को वहां सत्याग्रह करने की अनुमति नहीं दी।
राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता खत्म होने के बाद केंद्र सरकार पर हमले की कमान प्रियंका गांधी वाड्रा ने संभाली। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बेहद तीखा हमला किया। प्रियंका ने कहा कि देश का प्रधानमंत्री कायर है। प्रियंका ने भगवान राम से लेकर पांडवों तक का मुद्दा उठाया और परिवारवाद के आरोपों का जवाब दिया। उन्होंने यह भी कहा कि उनके परिवार ने देश के लिए कुर्बानी दी है इसलिए उन्हें क्यों शर्म आएगी अपने परिवार पर।
प्रियंका गांधी वाड्रा ने रविवार को कहा- आज तक हम चुप रहे हैं तो आप हमारे परिवार का अपमान करते गए। मैं पूछना चाहती हूं कि एक आदमी का कितना अपमान करोगे। मुझ पर केस लगा दो, लेकिन सच ये है कि इस देश का प्रधानमंत्री कायर है। उन्होंने परिवारवाद के आरोपों का जवाब देते हुए कहा- आप परिवारवादी कहते हैं तो भगवान राम कौन थे? क्या वो परिवारवादी थे? क्या पांडव परिवारवादी थे? और हमें क्या शर्म आनी चाहिए कि हमारे परिवार के सदस्य इस देश के लिए शहीद हुए?
प्रियंका ने केंद्र सरकार और भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा- मेरे पिता का संसद में अपमान किया गया। ये लोग शहीद के बेटे को देशद्रोही कहते हैं, मीर जाफर कहते हैं। एक मुख्यमंत्री तो यहां तक कहते हैं कि राहुल को पता ही नहीं उनका पिता कौन है। आपके प्रधानमंत्री भरी संसद में कहते हैं कि हमारा परिवार नेहरू नाम क्यों इस्तेमाल करता है। आपको कोई सजा नहीं मिलती, न संसद से बाहर निकालता है।
राहुल पर हुए मुकदमे को राजनीतिक साजिश बताते हुए उन्होंने कहा- जिस व्यक्ति ने सूरत में राहुल गांधी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, वह कोर्ट में गया और एक साल के लिए अपने ही मामले पर रोक लगाने के लिए कहा। लेकिन राहुल गांधी के अदानी पर संसद में भाषण देने के बाद मामले को फिर से ओपन करवाया। एक महीने के अंदर सुनवाई हुई और राहुल को दोषी करार दिया गया।
गांधी परिवार को साधारण बनाने के लिए इन चीजों को छीनने की बजाय इतिहास को बदलने की जरूरत है । क्या इसके सदस्यों के बलिदान इतिहास से बाहर किये जा सकते हैं ? हालांकि पाठ्यक्रमों में से इन्हें निकालने की चालें भी चली जा रही हैं तो क्या इन्हें आप लोगों के दिलों से मिटा पाओगे ? क्या इतिहास बदल सकोगे ? इस तरह नहीं । बड़ी लकीर खींचिये ! छोटी सोच से ऊपर उठिये ! यह बहुत अच्छे दिन नहीं लाने वाले हैं । यह आत्मघाती कदम न साबित हो जाये ! पुनर्विचार कीजिए । फैसले की घड़ी है कि ओबीसी का अपमान या लोकतंत्र की रक्षा ?
(लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं।)