संघ प्रमुख ने किया एकजुटता के भाव को चिरस्थाई बनाने का आह्वान

कृष्णमोहन झा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने आपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए कहा है कि पहलगाम हमले के बाद हर कोई दुखी और आक्रोशित था और इस नृशंस वारदात के अपराधियों के लिए सजा चाहता था। अपराधियों को दंडित करने के लिए प्रभावी कार्रवाई की गई उसमें एक बार फिर सेना की बहादुरी और शौर्य का परिचय मिला।इस दौरान देश के राजनीतिक वर्ग ने अपने आपसी मतभेदों को भुलाकर जो एकजुटता का प्रदर्शन किया वह सराहनीय है। समाज ने भी एकता का संदेश दिया। संघ प्रमुख ने एकजुटता के इस भाव को चिरस्थायी बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि हमारी ताकत की जड़ें एकता में हैं। यही एकता हमारी ताकत है। भाषाओं और रीति-रिवाजों में विभिन्नता के बावजूद एकता सर्वोपरि है। मोहन भागवत ने अपनी इस बात को रेखांकित किया कि जब तक द्विराष्ट्रवाद के सिद्धांत के भूत से पैदा हुआ पाखंड जब तक कायम है तब तक आतंकवाद का खतरा बना रहेगा। पाकिस्तान का नाम लिए बिना संघ प्रमुख ने कहा कि जो लोग हमसे सीधी लड़ाई में नहीं जीत सकते वे अब छद्म युद्ध का सहारा ले रहे हैं। हमें अपनी सुरक्षा के मामले में आत्मनिर्भर होना चाहिए । संघ प्रमुख ने रक्षा अनुसंधान के क्षेत्र में निरंतर नयी शोध किए जाने पर विशेष जोर दिया।
मोहन भागवत ने एक वर्ग का दूसरे वर्ग के साथ अनावश्यक विवादों में उलझने, आवेगपूर्ण तरीके से काम करने या कानून हाथ में लेने की प्रवृत्ति से बचने की सलाह देते हुए कहा कि यह प्रवृत्ति देश हित में नहीं है। बिना वजह होने वाले झगड़ों से शांति और सौहार्द्र दोनों प्रभावित होते हैं। एक दूसरे के साथ सद्भावना और सद्विचार के साथ रहना आवश्यक है।
संघ प्रमुख ने कार्यकर्ता विकास वर्ग की उपादेयता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह विकास वर्ग संघ के स्वयंसेवकों के लिए एक प्रशिक्षण शिविर है जिसका उद्देश्य स्वयंसेवकों की समझ सामर्थ्य और क्षमता बढ़ाना है। इस शिविर में प्रशिक्षित होने के बाद वे राष्ट्र निर्माण, चरित्र निर्माण और समाज को संगठित करने की दिशा में अपने समय और प्रयास लगाते हैं।
संघ प्रमुख ने धर्मांतरण को हिंसा का ही एक रूप बताते हुए स्पष्ट कि संघ स्वेच्छा से किये जाने वाले धर्मांतरण के खिलाफ नहीं है लेकिन जो धर्मांतरण प्रलोभन, जबरदस्ती और दबाव के द्वारा कराया जाता है संघ उसका विरोधी है। संघ प्रमुख ने कहा कि लोगों को यह बताना कि उनके पूर्वज गलत थे उनका अपमान करना है। इस तरह से किए जा रहे धर्मांतरण को रोकने के लिए सक्रिय अभियान चलाया जाना चाहिए।
इस अवसर पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री और प्रसिद्ध आदिवासी नेता अरविंद नेताम ने मुख्य अतिथि की आसंदी से बोलते हुए कहा कि धर्मांतरण एक बड़ी चुनौती है और इस समस्या का समाधान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और समाज मिलकर कर सकते हैं। हम सब यहीं के हैं। इसी माटी के हैं। इस चुनौती से निपटने के लिए संघ को अपने अभियान की रफ़्तार बढ़ानी होगी। अरविंद नेताम ने इसी संदर्भ में बस्तर में नक्सलवाद और धर्मांतरण की चुनौती का विशेष रूप से उल्लेख किया। संघ के गरिमा मय कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और सर संघ चालक के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने एकता, अखंडता और समरसता के लिए बहुत बड़ा काम किया है। मुझे यहां आकर संघ को नजदीक से देखने और समझने का मौका मिला।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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