पंडित नरहरि मल्लिक की याद में ध्रुपद-धमार गायन की प्रस्तुति ने बांधा समां

नई दिल्ली। भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया में दरभंगा की विशिष्ट पहचान रही है। दरभंगा घराना से संबद्ध शास्त्रीय संगीत के कलाकारों की धु्रपद गायन की विशिष्ट शैली यहां की विशेषता है। इस घराने की 12वीं व 13वीं पीढ़ी के कलाकार देश-दुनिया में संगीत का परचम लहरा रहे हैं। दरभंगा घराना के महान ध्रुपद गायक स्वर्गीय पंडित नरहरि पाठक मल्लिक के 33वीं श्रद्धांजलि संगीत समारोह के तहत दिल्ली में ध्रुपद-धरोहर गायन की प्रस्तुति ने उपस्थित श्रोताओं को रसरंजित कर दिया। राजधानी दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर स्थित अमलतास सभागार में आयोजित कार्यक्रम में दरभंगा घराने के युवा धु्रपद गायक डाक्टर प्रभाकर नारायण पाठक मल्लिक ने अपनी पहली प्रस्तुति से सुर की गंगा प्रवाहित करते हुए पंडित नरहरि पाठक मल्लिक को संगीतमय श्रद्धांजलि दी।
डाक्टर प्रभाकर मल्लिक ने अपनी पहली प्रस्तुति राग देस में दी। राग देस के धमार गायन के बाद अंतिम प्रस्तुति के तौर पर राग मियां मल्हार व एक ताल, सुल ताल के जरिए उन्होंने समां बांध दिया। उनके साथ पखावज पर पंडित मनमोहन नायक, तानपुरा पर बूटा सिंह ने संगत दी। कार्यक्रम की दूसरी प्रस्तुति बनारस के हरितपुर धराने के पंडित भोला नाथ मिश्र ने राग मेघ से गायन प्रारंभ किया। उसके उपरांत झप ताल में घन-घन बरसे, मध्य लय ओर एक ताल में तू करीम, तू रहीम, द्रुत एक ताल में आए बलवीर वीर पवन पुत्र हनुमान के जरिए श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया। उसके उपरांत कजरी प्रस्तुति के तहत कारी-कारी बदरिया, चमके बिजुरिया का उपस्थित लोगों ने करतल ध्वनि के साथ रसास्वादन किया।
इस पूरी प्रस्तुति में पंडित दुर्गेश भौमिक ने तबले पर संगत दी। हारमोनियम पर जाकिर धौलपुरी, सारंगी पर पंडित घनश्याम सिसोदिया के साथ गायन एवं संगत अजय मिश्र और शिवम मिश्रा ने दिया। पखावज वादक ने जहां अपनी सधी अंगुलियों से ओज और माधुर्य का मिश्रण करते हुए 12 मात्रा की ताल चौ-ताल का चुनाव करते हुए पखावज की परणों, पठंत एवं कवित्त एवं तिहाईयों और चक्रदार आवृत्तियों को बजाया। वहीं उम्दा ध्रुपद गायकी की प्रस्तुति के जरिए उपस्थित श्रोताओं को इन दोनों कलाकारों ने अपना मुरीद बना लिया। लालित्यपूर्ण एवं माधुर्य पूर्ण प्रस्तुतिकरण, ताल धमार में ध्रुपद धमार की रचना की प्रस्तुति लाजवाब रही। कार्यक्रम संयोजक पंडित विजय शंकर मिश्रा ने समारोह की भूमिका और सभी का स्वागत किया। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। समारोह में कला क्षेत्र की दिग्गज नामचीन हस्तियां उपस्थित थीं। दर्शक दीर्घा में उपस्थित दर्शकों ने दरभंगा घराने की शास्त्रीय संगीत व ध्रुपद गायन परंपरा और उनसे जुड़े कलाकारों के योगदान को भी स्मरण किया।

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