वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि शिशु मां के गर्भ से ही चेहरों को पहचान सकते हैं और मां के गर्भाशय की दीवार से रोशनी डाले जाने पर चेहरे जैसी आकृतियों को देखने के लिए भ्रूण अपना सिर पलट देता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि ये खोज यह बताती है कि जन्म के पहले शिशुओं में दृश्य धारणा और अनुभूति की संभावनाओं की तलाश की जा सकती है। ब्रिटेन के लैंकस्टर विश्वविद्यालय के विन्सेंट रीड ने कहा, ”हमने दिखाया है कि भ्रूण विभिन्न आकारों के बीच अंतर कर सकता हैं, साथ ही बिना चेहरे वाली आकृतियों की तुलना में चेहरों को पहचानने को तरजीह देत है। उन्होंनेे कहा, ”शिशुओं में कई दशक से ये तरजीह देखी गयी है, लेकिन अभी तक भ्रूण की दृष्टि के संबंध में खोज नहीं की गयी थी। तकनीकी अवरोधों के कारण पहले ऐसा नहीं हो पाया था, लेकिन उच्च गुणवत्ता वाले 4 डी अल्ट्रासाउंड के जरिये यह संभव हो पाया है। ”वैज्ञानिकों ने यह भी पता लगाया कि रोशनी मानव उत्तकों में प्रवेश कर सकती है और गर्भाशय में भी। शोधकर्ताओं ने 39 भ्रूण का अध्ययन किया और पाया कि विकसित होते भ्रूण ने चेहरे जैसे आकृतियों को देखने के लिए अपने सिर को घुमाया।