साावधानी से मनाएं ‘दिवाली’

दिवाली देश में खुशियों का पैगाम लेकर आती है, लेकिन इन खुशियों के साथ ही साथ देश भर से इस दिन कुछ मनहूस समाचार भी सुनने को मिलते हैं। अगर हम थोड़ी सी सावधानी बरतें, तो हमारी दिवाली सचमुच खुशियों से जगमगा उठेगी…

गुड़िया सिंह

दिवाली की उमंग में हर तरफ खुशियों का मेला नजर आ रहा है। लोग अपने परिवार और सगे-संबंधियों के साथ इस शुभ पर्व पर खूब मजे करते हैं। इस पर्व के उपलक्ष्य में कुछ स्कूलों व कॉलेजों में प्रदूषण मुक्त दिवाली मनाने पर जोर दिया जा रहा है। आप जब स्कूल या कालेज में रहे होंगे, तो शायद आपने भी प्रदूषण मुक्त दिवाली मनाने की शपथ ली होगी, लेकिन आज आप एक जिम्मेदार नागरिक हैं और वातावरण के प्रति अपनी जिम्मे दारियां समझते हैं। पटाखों का कुछ पल का मजा वातावरण में जहर घोल देता है। इनमें मौजूद नाइट्रोजन डाइआॅक्?साइड, सल्फर डाइआॅक्साइड जैसे हानिकारक प्रदूषक अस्थमा व ब्रॉन्?काइटिस जैसी सांसों से संबंधी समस्याओं को जन्म देते हैं। अगर हम दिवाली के दिन पटाखों को सिर्फ शगुन के तौर पर छोड़ते हैं, तो यह बहुत अच्छी बात है, क्योंकि इससे हम और आप न सिर्फ स्वस्थ रहेंगे, बल्कि वातावरण भी प्रदूषित होने से बच जाएगी और हमारी दिवाली होगी ईको फें्रडली। कुछ मापदंडों को अपनाकर, आप इन हानिकारक प्रदूषकों से बच सकते हैं।
कैसे बरतें सावधानी:

अगर आपको दमा या सांस संबंधी परेशानी है, तो घर के अंदर ही रहें और धुंए से बचने का प्रयास करें। ऐसे में, अगर आपको बाहर जाना ही है, तो अपनी दवाएं साथ रखें और मास्कप लगाकर बाहर जाएं।
घरों की साफ-सफाई के दरम्यान हम कुछ अजैविक पदार्थों को बाहर फेंक देते हैं, जो वातावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे सामानों को इधर-उधर न फेंकें । पटाखों से निकलने वाली आवाज अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण फैलाती है, साथ ही यह स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होती है। दिवाली में इस्तेमाल में लाए जाने वाले कुछ बड़े पटाखों से 100 डेसिबल (ध्वनि नापने की इकाई) आवाज आती है और 50 डेसिबल से तेज आवाज के स्तर को मनुष्य के लिए हानिकारक माना जाता है।
अचानक बहुत तेज आवाज सुनने से व्याक्ति बहरा भी हो सकता है। इससे हृदय के मरीजों में दिल का दौरा पड़ने की संभावना बढ़ जाती है।
आज ही यह बात अपने दोस्तों में फैला दें कि आप इस बार प्रदूषण मुक्त दिवाली मनाने वाले हैं। दिवाली में पटाखे जलाना वास्तव में बहुत ही मजेदार अनुभव है, लेकिन थोड़ी सी लापरवाही आपके लिए गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती है। डॉक्टरों का मानना है कि लगभग 98 प्रतिशत हादसे असावधानी के कारण होते हैं। थोड़ी सी सावधानी बरतकर पैरों, हाथों और चेहरे पर होने वाले इन घावों से बचा जा सकता है। इसलिए जरूरी है कि थोड़ी सी सतकर्ता अपनाएं और अपनी दिवाली को सुरक्षित और सम्पन्न बनाएं।
पटाखों से सावधानी :
प्रतिष्ठित निर्माताओं से ही पटाखे खरीदें।
अगर पटाखा एक बार में नहीं जल रहा है, तो उसे दोबारा जलाने का प्रयास न करें।
पटाखों को जेब में न रखें, क्योंकि ऐसा हो सकता है कि आप भूल जाएं कि आपने अपनी जेब में पटाखे रखे हैं।
पटाखों पर लिखे हुए निर्देश जरूर पढ़ें।
सड़क पर बिजली के तारों से दूर रह कर पटाखे जलाएं।
पटाखे जलाते समय सूखी मिट्टी और पानी की बाल्टी अपने पास रखें।
रॉकेट या अन्य पटाखों को जलाने के लिए कांच की बोतलों का प्रयोग ना करें।
घर के बाहर या फिर किसी खुले मैदान में ही पटाखों को जलाएं।

 

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