फ्लू के एच3एन2 और तीन अन्य स्ट्रेन से संक्रमित होने एवं इनके कारण होने वाली परेशानियों से बचने मदद कर सकता है 4-इन-1 फ्लू वैक्सीनेशन

 


नई दिल्ली। आईसीएमआर की तरफ से हाल ही में जारी की गई रिपोर्ट में सामने आया है कि एच3एन2 वायरस के कारण होने वाले फ्लू के मामले पूरे देश में बढ़ रहे हैं। वायरस का यह स्ट्रेन लंबे समय तक बीमारी का कारण बनता है और अन्य वायरस स्ट्रेन से होने वाले फ्लू संक्रमण की तुलना में इसके कारण अस्पताल में भर्ती होने के मामले ज्यादा सामने आ रहे हैं।[iii] जिन लोगों की प्रतिरक्षा शक्ति कमजोर होती है, उनमें न्यूमोनिया, ब्रोंकाइटिस एवं दौरे पड़ने का खतरा ज्यादा रहता है। ऐसे कुछ मामलों में एच3एन2 संक्रमण जानलेवा भी साबित हो सकता है।[iv] आईसीएमआर के आंकड़े दिखाते हैं कि पिछले तीन महीने में अस्पताल में भर्ती होने वाले एच3एन2 से संक्रमित एसएआरआई (सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन) के 10 प्रतिशत मरीजों को ऑक्सीजन देने की और 7 प्रतिशत को आईसीयू में भर्ती होने की जरूरत पड़ी।

एच3एन2 इन्फ्लूएंजा ए वायरस का ही एक सब-टाइप है।iii हर साल मौसम में बदलाव के दौरान तापमान में होने वाला उतार-चढ़ाव फ्लू के वायरसों के बढ़ने और तेजी से संक्रमण फैलने का कारण बनता है। हर साल कुछ सब-टाइप अन्य की तुलना में तेजी से संक्रमण फैलने का कारण बनते हैं।iv एच3एन2 समेत सभी फ्लू के वायरस किसी संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या बात करने के दौरान फैलते हैं। किसी ऐसी वस्तु या सतह को छूने के बाद नाक या मुंह पर हाथ लगाने से भी संक्रमित होने का खतरा रहता है, जिस पर पहले से वायरस मौजूद हो।v

एच3एन2 और फ्लू के अन्य स्ट्रेन से संक्रमित होने का सबसे ज्यादा खतरा 5 साल से कम उम्र के बच्चों, बड़ी उम्र के लोगों, गर्भवती महिलाओं और डायबिटीज, अस्थमा, किडनी की बीमारी व दिल की बीमारी से पीड़ित लोगों में रहता है। vi फ्लू संक्रमण के प्रमुख लक्षणों में बुखार, खांसी, गले में खराश, नाक बहना या जाम हो जाना, सिर दर्द एवं बदन दर्द शामिल हैं। एच3एन2 संक्रमण में बुखार आमतौर पर तीन दिन रहता है, लेकिन खांसी 3 हफ्ते तक बनी रह सकती है।vii

 

देश में बढ़ रहे हैं एच3एन2 संक्रमण के मामले और फ्लू के अन्य संक्रमण की तुलना में ज्यादा लोगों को होना पड़ रहा है भर्ती

डॉ. रघुराम मल्लैहा, पीडियाट्रिशियन, फोर्टिस लाफेम ने कहा, ‘इस साल फ्लू वायरस का एच3एन2 सब-टाइप फैल रहा है और यह विशेषतौर पर बच्चों के लिए गंभीर हो सकता है। स्वास्थ्य संगठन हर साल 5 साल की उम्र तक के बच्चों को फ्लू का टीका लगवाने का सुझाव देते हैं। यह फ्लू एवं इसके कारण होने वाली जटिलताओं जैसे न्यूमोनिया और अस्पताल में भर्ती होने जैसी स्थिति से बचाव के प्रमुख तरीकों में से एक है।’

संत परमानंद हॉस्पिटल के एचओडी पल्मो डॉ. पी. एस. मान ने कहा, “इस बार फ्लू के सीजन में ज्यादातर मामले एच3एन2 फ्लू सब-टाइप के कारण आ रहे हैं। यह वैरिएंट गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों एवं पुरानी बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए गंभीर हो सकता है और उनके अस्पताल में भर्ती होने का कारण बन सकता है। 4-इन-1 फ्लू टीकाकरण एच3एन2 और फ्लू वायरस के तीन अन्य प्रकार से बचाव में सहायक हो सकता है। अपने डॉक्टर से परामर्श लें और बचाव के सभी जरूरी कदमों का पालन करें।’’

विभिन्न स्वास्थ्य प्राधिकरण संक्रमण की ज्यादा आशंका वाले लोगों जैसे स्वास्थ्यकर्मियों, गर्भवती महिलाओं, गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों, 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों और 6 महीने से 5 साल की उम्र तक के बच्चों को सीजनल फ्लू वैक्सीनेशन का सुझाव देते हैं।viii इसके अलावा डॉक्टर लोगों को एच3एन2 फ्लू से बचाव करने और इसके प्रसार को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने का सुझाव भी देते हैंi, जिनमें नियमित रूप से हाथों को धोने, भीड़ वाली जगहों पर मास्क पहनने और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचने जैसे कदम शामिल हैं।

 

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