‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ’ पर ‘ए डॉटर्स टेल : पंख’

‘ए डॉटर्स टेल : पंख’, एक ऐसी फिल्म है जिसमें हमारे देश के वर्तमान काल के सामाजिक कार्य पर प्रकाश डाला गया है। इसमें बहू चर्चित विषय ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ’ पर समझदारी से प्रकाश डाला गया है। फिल्म की कहानी आज के हरियाणा के गांव की पृष्ठभूमि की फिल्म है, जहां सूरज प्रताप सिंह (मेहुल बुच) सरपंच है, जिसके पिता दयाल सिंह (सुधीर पाण्डेय)भी सरपंच थे। सूरज प्रताप का बेटा करण सिंह एक बिगड़ा लड़का है, जो जीवनयापन के लिए कुछ भी नहीं करता। इसी गांव में विद्या सिंह (डॉ. निशिगंधा वाड) अपनी तीन बेटियों के साथ रहती है। विद्या ने अपनी बेटियों को हमेशा अपने अधिकारों के लिए लड़ना और कभी भी उम्मीद न छोड़ना सिखाया है। उसकी लड़कियां रिया (रागिनी दीक्षित) एक पत्रकार है, प्रगति (सुरभि कक्कड़) एक वकील और पालकी (स्टेफी पटेल) एक मॉडल है। अपनी बेटियों की पढ़ाई विद्या के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण था। ‘ए डॉटर टेल – पंख’ 17 नवंबर को प्रदर्शित होगी।

जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, करण सिंह और उसके दोस्त गांव की एक लड़की मालती के साथ रेप करते हैं। रिया उस घटना को देख लेती है और यह सुनिश्चित करती है कि अगले दिन करण सिंह और उसके दोस्त प्रत्येक अखबार की हेडलाइंस बन जाए। करण गिरफ्तार कर लिया जाता है और प्रगति मालती तरफ से बचाव पक्ष की वकील बनकर केस लड़ती है। जब सूरज प्रताप सिंह को महसूस होता है कि वह केस हार जाएगा, तो वह प्रगति और उसके परिवार को रिश्वत देने का प्रयास करता है, लेकिन विद्या सच्चाई का साथ देती है और रिश्वत के प्रस्ताव को ठुकरा देती है। प्रगति केस जीत जाती है और न्याय की जीत होती  है।

फिल्म में शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला गया है। यदि प्रगति वकील नहीं होती, तो कोई भी मालती का केस नहीं लड़ रहा होता। यदि रिया पत्रकार के रूप मे काम नहीं कर रही होती, तो कोई भी घटना की जानकारी लेने नहीं आता। फिल्म के बारे में निर्माता राजेंदर वर्मा ‘यश बाबु’ ने कहा, ‘आज की जिंदगी में शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। मैं हरियाणा पर आधारित फिल्म बनाना चाहता था, क्योंकि वहां के लोग खासकर लड़कियों के लिए शिक्षा का मूल्य नहीं समझते। लड़कियों को घरेलू सामान की तरह माना जाता है। उन्हें केवल शादी करने और घर-परिवार के काम करने तक सीमित रखा गया है। अपनी फिल्म के माध्यम से मैं सबको कहना चाहता था कि लड़कियों के लिए शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। सही मायने मे हम ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ’ का प्रचार कर रहे हैं।’

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