रांची। झारखण्ड के मूलवासीस -आदिवासियों की जमीन की लूट वत्र्तमान समय में राज्य सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकता के साथ एक मात्र लक्ष्य के रूप में तब्दील हो चुकी है। साहेबगंज से लेकर बुण्डू होते हुए चाईबासा तक की जमीनों को सरकार के प्रिय उद्योगपति समूहों को कौड़ी के भाव दान किया जा रहा है। झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रीयो भट्टाचार्य ने कहा कि कई पुश्तों से गैरमजरूवा खास जमीनों को जोत-कोड़ कर जीवन-यापन करने वाले लोगों को विस्थापित कर उनकी जमीनें अपने स्वार्थ के लिए उद्योगपति समूह को दिया जा रहा है। 2014 में वत्र्तमान सरकार के गठन के पश्चात 01 जनवरी 2015 से माननीय मुख्यमंत्री ने राज्य की जमीन को किस प्रकार लूटा जाय उसकी एक कार्ययोजना बना ली थी। परिणाम स्वरूप पतरातु स्थित पी.टी.पी.एस. के संयंत्र सहीत संलग्न आवासीय परिसर का हस्तानान्तरण, संथाल परगना में अडानी समूह को जमीन हस्तानान्तरण कर पड़ोसी देश बांग्लादेश को बिजली बेच कर करोड़ो मुनाफा कमाने का कार्य किया गया। अब विगत मंगलवार को सम्पन्न कैबिनेट में मंत्री समूह के विरोध के बावजूद अपने राष्ट्रीय नेताओं की स्वार्थ पूर्ति के लिए अक्षय पात्रा फाउण्डेशन को करोड़ों की जमीन मात्र 1 रूपये में दान करना सरकार की कार्ययोजना को परिभाषित करता है।
सुप्रीयो भट्टाचार्य ने बताया कि राजस्थान राज्य सरकार द्वारा घोषित ब्लैक लिस्टेड कम्पनी जिसके घोटालों की जाँच सी.बी.आई. कर रही है, को स्वास्थ सेवा का काम आवंटन करना एवं 108 एम्बुलेंस के नाम पर करोड़ों की लूट कर एम्बुलेंसों को आवश्यक उपकरण एवं चिकित्सा कर्मी न उपलब्ध करवाना और प्रति एम्बुलेंस सेवा के एवज में प्रतिमाह एक लाख पचास हजार का भुगतान करना राज्य में लूट तंत्र का जीता-जागता उदाहरण है। साथ ही बिना सर्वेक्षण कराये एवं स्थानीय निवासियों को विश्वास में न लेकर भारत के राष्ट्राध्यक्ष माननीय राष्ट्रपति के द्वारा शहर में प्रस्तावित फ्लाई ओवर का शिलान्यास करवाना, सड़कों के किनारे अव्यवहारिक नालियों का निर्माण एवं टाइल्स बिछाना तथा इसके एवज में करोड़ों का भुगतान करना और पुनः उस सड़क का स्मार्ट सड़क के तौर पर पुनर्निमार्ण करना तथा स्मार्ट सीटी बसाने के नाम पर एच.ई.सी. की जमीन को निजि संस्थानों को उपलब्ध करवाना, राज्य सरकार के द्वारा झारखण्डी आवाम को धोखा देना है।
झामुमो महासचिव ने कहा कि पर्यावरण के वैश्विक चुनौतियों को नजरंदाज कर राज्य के जंगलों को काट कर उद्योगपतियों के लिए सड़क बनवाना, जंगली क्षेत्र में उत्खनन करना तथा सी.एन.टी.-एस.पी.टी. एक्ट का उलंघन कर उद्योग एवं संयंत्र स्थापित करना इस बात का द्योतक है कि किस प्रकार पाँच वर्षों में झारखण्ड को बाहरी लोगों को हस्तानान्तरित कर मूलवासी-आदिवासियों को जीवन-यापन के लिए पुरे देश में भटकने को मजबूर कर देना है। शहर में बन रहे अट्टालिकाओं को नियम विरूद्ध निर्माण कार्य में छूट देना, मध्यम एवं छोटे कारोबारियों को उजाड़ कर बड़े-बड़े घरानों को खुदरा बाजार में दखल के लिए प्रोत्साहित करना ही अब एक मात्र कार्य बचा हुआ है। उन्होंने कहा कि झारखण्ड मुक्ति मोर्चा वत्र्तमान मंत्रीपरिषद् के सभी माननीय सदस्यों से अपने विवेक के आधार पर मंत्री परिषद् का त्याग करने का आहवाण करता है क्योंकि उन्हें ही मूलवासी-आदिवासियों का चेहरा बता कर राज्य को लूटा जा रहा है। भा.ज.पा. के मूलवासी एवं आदिवासी जन प्रतिनिधि अपनी पहचान, सांस्कृतिक विरासत की रक्षा, भाषा एवं धर्म के संवर्द्धन को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए अविलम्ब एकजूट होकर मुखर विरोध करें अन्यथा भविष्य में सम्पूर्ण झारखण्डी मूलवासी-आदिवासी समाज ही मिट जाएगा।