नई दिल्ली। हर धर्म में मानवता को सबसे अधिक तरजीह दी गई है। प्रभु यीशु ने भी मानवता की रक्षा के लिए अपने जान तक की परवाह नहीं की। मानवता की रक्षा के लिए उन्होंने जो प्रण लिया और रास्ते बताए, किसी भी संवेदनशील इंसान के लिए वह आत्मसात करने वाला है। इस्टर पर्व का उद्देश्य तभी पूर्ण होता है, जब हम मानवता के कल्याण के लिए उनकी बातें पर अमल करें।
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के डेलीगेट एडवोकेट सरफराज अहमद सिद्दीकी ने कहा कि भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है। हमें हर धर्म की अच्छी बातों का अनुसरण करना चाहिए। समाज में सामाजिक भाईचारा के लिए काम करना चाहिए। 1 अप्रैल संडे को पूरी दुनिया में ईस्टर का त्योहार मनाया जा रहा है। यह ईसाइयों का एक महत्वपूर्ण पर्व है। ईसाई धर्म के मानने वालों का विश्वास है कि गुड फ्राइडे के तीसरे दिन यानी उसके अगले संडे को ईसा मसीह दोबारा जीवित हो गए थे। उनके दोबारा जीवित होने की इस घटना को ईसाई धर्म के लोग ईस्टर संडे के रूप में मनाते हैं। ईसा मसीह की स्मृति में यह पर्व संपूर्ण ईसाई जगत में हर वर्ष बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। ईस्टर का महत्व दो तरीके से है। एक, जीसस ने लोगों को माफ करने का पाठ पढ़ाया। लोगों ने उन्हें सूली पर चढ़ा दिया। मगर मरने से पहले उन्होने सबको माफ कर दिया। जीसस ने क्रूस पर खून बहा कर मनुष्यों के पापों का प्रायश्चित किया। जीसस को जिस दिन सूली पर चढ़ाया गया, उसे गुड फ्राइडे कहा जाता है। इसके दो दिन बाद जीसस फिर से जीवित हो गए। इससे लोगों में नई उम्मीदें जागीं। इस दिन को ईस्टर कहते हैं।