ईरान-इजराइल युद्ध की आशंका के बीच अमेरिका की बढ़ी सक्रियता

 

वॉशिंगटन/नई दिल्ली। ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते युद्ध के हालात के बीच अमेरिका का ‘डूम्सडे प्लेन’ E-4B नाइटवॉच एक बार फिर चर्चा में आ गया है। न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, यह परमाणु युद्ध की स्थिति में अमेरिका का हवाई कमांड सेंटर है, जिसे हाल ही में लुइसियाना से उड़ान भरकर मेरीलैंड स्थित जॉइंट बेस एंड्रूज में लैंड कराया गया।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह विमान तब ही सक्रिय किया जाता है जब अमेरिका को वैश्विक स्तर पर खतरे की गंभीर आशंका हो, और ऐसे हालात में जब देश को परमाणु युद्ध के लिए तैयार रहना पड़े।

क्या है ‘डूम्सडे प्लेन’?

‘डूम्सडे प्लेन’ यानी E-4B नाइटवॉच को बोइंग 747 विमान को अत्याधुनिक तकनीक से मॉडिफाई कर बनाया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य परमाणु हमले की स्थिति में भी अमेरिका की सैन्य कमान को बरकरार रखना है।

यह विमान 112 क्रू मेंबर्स को समायोजित कर सकता है।

इसमें तीन डेक होते हैं, और खिड़कियां नहीं होती, ताकि रेडिएशन का असर न हो।

इसे इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि यह किसी भी न्यूक्लियर हमले को झेल सकता है।

एक बार हवा में उड़ान भरने के बाद यह लगातार 12 घंटे तक उड़ सकता है।

इसकी प्रति घंटे उड़ान की लागत करीब 1.6 लाख डॉलर है।

एक इशारे पर चल सकते हैं हजारों परमाणु बम

E-4B को “एयरबोर्न वॉर रूम” कहा जाता है। इस विमान से अमेरिका का राष्ट्रपति या रक्षा प्रमुख किसी भी समय, कहीं से भी 4,315 से ज्यादा परमाणु हथियारों को सक्रिय करने का आदेश दे सकता है। यह अमेरिका की परमाणु त्रिशक्ति (न्यूक्लियर ट्रायड) – जल, थल और वायु में तैनात हथियारों – को एक साथ कमांड कर सकता है।

कब बना था ये विमान?

डूम्सडे प्लेन को 1973 में विकसित किया गया था, जब शीत युद्ध अपने चरम पर था और अमेरिका तथा सोवियत संघ के बीच परमाणु युद्ध की आशंका मंडरा रही थी। इसके बाद से ही यह विमान अमेरिका की रणनीतिक तैयारी का अहम हिस्सा बना हुआ है।

वैश्विक तनाव का संकेत?

इस विमान की तैनाती को विश्लेषक ईरान-इजरायल के युद्ध में अमेरिका की संभावित भागीदारी के संकेत के रूप में देख रहे हैं। कुछ दिनों पहले ही खबरें आई थीं कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले की संभावना पर विचार कर रहा है।

इससे पहले E-4B को 9/11 हमलों के समय सक्रिय किया गया था। उसके बाद अब जब यह विमान फिर से दिखाई दिया है, तो वैश्विक स्तर पर तनाव और अमेरिका की चौकसी को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं।

क्या है दुनिया पर इसका असर?

विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर इस विमान को मिशन पर भेजा जाता है, तो यह स्पष्ट संकेत होता है कि अमेरिका किसी बड़े सैन्य ऑपरेशन या खतरे के लिए पूरी तरह तैयार है। इससे दुनिया भर में तनाव और अनिश्चितता का माहौल और बढ़ सकता है।

E-4B ‘डूम्सडे प्लेन’ की तैनाती न सिर्फ अमेरिका की सैन्य रणनीति का हिस्सा है, बल्कि यह दुनिया को यह बताने का भी एक तरीका है कि अमेरिका किसी भी परमाणु या वैश्विक खतरे के लिए पूरी तरह सतर्क और तैयार है। ईरान-इजरायल युद्ध के उबाल के बीच, इसका आसमान में आना गंभीर घटनाक्रम की ओर इशारा कर सकता है।

 

 

 

 

 

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