तो नायडू अलग होंगे एनडीए से ?

आंध्रप्रदेश। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू द्वारा कापू समुदाय को आरक्षण देने के फैसले के बाद माना जा रहा है कि वे भाजपा से दूरी बनाने की दिशा में बढ़ रहे हैं.आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू 2019 में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव में शायद भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन तोड़ सकते हैं. डेक्कन क्रॉनिकल के मुताबिक नायडू का झुकाव अभिनेता से नेता बने पवन कल्याण की जन सेना पार्टी की तरफ लगातार बढ़ रहा है. नायडू सरकार लगातार ऐसे फैसले भी कर रही है जो जन सेना पार्टी की प्रमुख मांगों में शामिल हैं.
टीडीपी के सूत्रों की मानें तो राजनीतिक नफ़ा-नुक़सान के आकलन में नायडू को पवन कल्याण और उनकी जन सेना पार्टी ज़्यादा मुफ़ीद नजर आ रही है. इसीलिए उन्होंने जन सेना पार्टी की मांगों के अनुरूप फ़ैसले करने शुरू कर दिए हैं. राज्य के ऊंचे तबके में शुमार होने वाले कापू समुदाय को पांच फ़ीसदी आरक्षण देने का फ़ैसला इसका उदाहरण है. जन सेना पार्टी इस आरक्षण का समर्थन कर रही है. बताया जाता है कि अब नायडू सरकार जन सेना पार्टी की मांगों के अनुरूप अगले बजट में पिछड़े वर्गों के लिए भी कुछ बड़ी घोषणाएं कर सकती है.
सूत्रों के मुताबिक चंद्रबाबू नायडू और उनकी तेलुगूदेशम पार्टी (टीडीपी) की सरकार राज्य की कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं को चुनाव से पहले पूरा करने का मंसूबा बांध रहे हैं. इनमें पोलावरम बांध परियोजना सबसे अहम है. लेकिन केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की आेर से नायडू को पोलावरम जैसी परियोजनाओं पर पूरा समर्थन नहीं मिल पा रहा है. इसलिए इस बात की संभावनाएं लगातार कम होती जा रही हैं कि ये चुनाव से पहले पूरी हो पाएंगी. बताया जाता है कि मोदी सरकार के इसी वजह से भाजपा और टीडीपी के बीच दूरियां बढ़ रही हैं.
हालांकि नायडू सरकार के एक मंत्री कहते हैं, ‘नायडू भाजपा या उसके नेतृत्व वाले एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) से नाता तोड़ने की जल्दी में नहीं हैं. वे इसके लिए सही समय का इंतज़ार करेंगे. इसमें शायद कुछ और महीने लगें. इससे पहले राज्य में टीडीपी का जनाधार और मजबूत करने की तैयारी की जा रही है. कापू समुदाय को आरक्षण की घोषणा इसी प्रक्रिया का हिस्सा है. इस फैसले का असर तटवर्ती आंध्र और रायलसीमा के करीब आठ जिलों पर पड़ेगा.’

 

 

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