17वीं साऊथ वेस्ट एथेलेटिक मीट फॉर दिव्यांग का आयोजन

नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के अवसर पर इस अवसर पर जनक पुरी स्थित भारती कालेज में 17वी साऊथ वेस्ट एथेलेटिक मीट फॉर दिव्यांग इस में दिल्ली के 65 स्कूलों के 1400 दिव्यांग बच्चों ने हिस्सा लिया। इस का आयोजन आशीर्वाद स्पेशल एजुकेशन स्कूल – सागर पुर की और से किया गया। भारत सरकार शहरी विकास मंत्रालय के सचिव श्री डी एस मिश्रा मुख्य अथिति,एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन श्री बी पी अग्रवाल व एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सीनियर मैनेजर बी एस बावा भी इस मौके पर वशिष्ठ अतिथि थे। इस स्पोर्ट्स मीट में 13 तरह के खेल कूद प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इन प्रतियोगिता के प्रथम, द्वितीय, विजेताओं को पुरस्कार और प्रमाण-पत्र ईमान स्वरूप ट्राफी श्री मिश्रा ने देकर प्रोत्साहित किया। आशीर्वाद स्पेशल एजुकेशन स्कूल की और से सभी भाग लेने वाले बच्चों को साटीफिकेट भी दिए गये।
श्री मिश्रा ने इस अवसर पर कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो पर प्रसारित होने वाले “मन की बात” कार्यक्रम में विकलांगो या नि:शक्तो के लिए सबसे पहले “दिव्यांग” शब्द का प्रयोग किये जाने की बात कही | यह शब्द जनमाध्यमो में भी दिखाई सुनाई देने लगा है ऐसे में आमजनों में भी इस शब्द का प्रचलन बढने लगा है तथ जनमानस के बीच इस शब्द की स्वीकार्यता स्थापित हो गई है | नि:शक्तो और विकलांगो को दिव्यांग कहकर सम्बोधित करना एक विशिष्ट प्रकार का विचार है | दिव्यांग शरीर वाले लोग कुछ मायने में भले शारीरिक तौर पर कमजोर होते है लेकिन ज्ञान ,मेधा और तार्किक शक्ति के लिहाज से अन्य व्यक्तियों से कम नही आंके जा सकते है। इस संबध में गैर सरकारी संघठन (आशीर्वाद ) जो दिव्यांग बच्चों को सेवा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है |
इस मौके पर बोलते हुए पूर्व निगम पार्षद संजय पुरी ने कहा कि हिन्दू धर्म में चारों धाम की यात्रा करने से और मुस्लिम मजहब के लोगो को मक्का मदीना जा कर जितना पुण्य मिलता उतना पुण्य ही निस्वार्थ भाव से दिव्यांग जनों की सेवा करने से मिलता है पुरी ने आगे कहा कि आज वे आयोजन समिति की और से कोई पुष्प गुछ या सम्मान स्वरूप अंग वस्त्र स्वीकार नहीं करेंगे बल्कि आज वे आशीर्वाद स्पेशल एजुकेशन स्कूल के संस्थापक डॉ आर सी शुक्ला को अपनी और से सम्मानित करना चाहता हूँ क्योकि सही मायने में सम्मान के असली हकदार वे हैं जिन्होने अपना जीवन दिव्यांग जनों की सेवा करने को समर्पित कर रखा है।

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