बाबा साहेब अंबेडकर हमारे अंर्तमन में: सरफराज सिद्दीकी

नई दिल्ली। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के डेलिगेट एडवोकेट सरफराज अहदम सिद्दीकी कहते हैं कि बाबा साहेब किसी दिन विशेष को नहीं, बल्कि हर दिन और हर समय हमारे अंर्तमन में रहते हैं। हमारी पार्टी ने हमेशा ही उनकी बातों को अंगीकार किया है। हम संविधान निर्माता के बताए गए रास्तों पर चलकर सामाजिक समरसता के लिए कार्य करते आ रहे हैं। अपनी उसी सोच के तहत दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी भारत रत्न डाॅ बीआर अंबेडकर जी के महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर 6 दिंसबर को कांग्रेस दलित एकता सम्मेलन का आयोजन कर रही है।
दिल्ली प्रदेश कांगे्रस कमेटी मुख्यालय में पार्टी के एससी सेल की बैठक हुई, इसकी अध्यक्षता प्रदेश कांग्रेस कमेटी के एससी सेल के अध्यक्ष शिवराम सिंह ने की। उन्होंने बैठक के दौरान कार्यक्रम की पूरी रूपरेखा रखी। इस बैठक में दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष मदनलाल खोरवाल भी उपस्थित थे। इस बैठक में दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के डेलिगेट एडवोकेट सरफराज अहदम सिद्दीकी को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में बुलाया गया था।
एडवोकेट सरफराज अहमद सिद्दीकी ने बताया कि पंचकुइयां रोड स्थित अंबेडकर भवन में कांग्रेस पार्टी के कई वरिष्ठ नेता शिरकत कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में भारत सरकार के पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री श्री सुशील कुमार शिंदे, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव श्री मुकुल वासनिक, श्री पीसी चाको, श्री केसी राजू, श्री पीएल पुनिया बतौर मुख्य अतिथि होंगे। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री अजय माकन सम्मेलन की अध्यक्षता और दिल्ली विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष चैधरी प्रेम सिंह मुख्य संरक्षक के रूप में उपस्थित रहेंगे।
एडवोकेट सरफराज अहमद सिद्दीकी का कहना है कि हमें बाबा साहेब के विचारों को आत्मसात करना होगा। समाज में दलितों-वंचितों के उत्थान के लिए लगातार काम करते रहना होगा। समाज में सबको समान अवसर सुलभ कराने होंगे। बाबा साहेब कहा करते थे कि जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता नहीं हासिल कर लेते, कानून आपको जो भी स्वतंत्रता देता है, वो आपके किसी काम की नहीं।यदि हम एक संयुक्त एकीकृत आधुनिक भारत चाहते हैं तो सभी धर्मों के शास्त्रों की संप्रभुता का अंत होना चाहिए। कानून और व्यवस्था राजनीतिक शरीर की दवा है और जब राजनीतिक शरीर बीमार पड़े तो दवा जरूर दी जानी चाहिए। उनका यह भी कहना था कि एक महान आदमी एक प्रतिष्ठित आदमी से इस तरह से अलग होता है कि वह समाज का नौकर बनने को तैयार रहता है। मैं ऐसे धर्म को मानता हूं, जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाए।

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