Business News : सोना – नियामक की ओर से नया फ्रेमवर्क

नई दिल्ली। भारत में सोने की सालाना मांग करीब 900-1000 टन है। यह विश्व बाजार से सोने के सबसे बड़े आयातकों में से एक है; हालांकि, कीमत पता करने के लिए इसका कोई लिक्विड स्पॉट मार्केट प्राइस नहीं है। सेबी, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने पीली धातु की कीमत की कुशलता से खोज करने के लिए नियम और विनियम निर्धारित किए हैं।
सोने की बेहतर कीमत की खोज के लिए सेबी ने गोल्ड एक्सचेंज की शुरुआत का प्रस्ताव दिया है

1. नया फ्रेमवर्क क्या है?

सेबी फ्रेमवर्क के अनुसार निवेशक मौजूदा स्टॉक एक्सचेंजों के साथ-साथ प्रस्तावित गोल्ड एक्सचेंज पर इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसीट (ईजीआर) में ट्रेड कर सकते हैं।
a) यह कैसे काम करता है?
– भौतिक सोने के बदले में ईजीआर जारी होगा
– निवेशक भौतिक सोने को तिजोरियों में जमा कर सकते हैं और इसके बदले में ईजीआर जारी करवा सकते हैं
– सेबी के साथ पंजीकृत वॉल्ट मैनेजर वॉल्ट और भंडारण का रखरखाव करेंगे
– वॉल्ट मैनेजर और सेबी पंजीकृत डिपॉजिटरी भौतिक सोने के खिलाफ ईजीआर जारी करने की सुविधा प्रदान करेंगे
– ईजीआर 1 किग्रा, 100 ग्राम, 50 ग्राम जैसे मूल्यवर्ग के होंगे, और उनकी स्थायी वैधता होगी

2. नियामक द्वारा प्रस्तावित गोल्ड एक्सचेंज की क्या भूमिका है?

उत्तर- भारत में अंतर्निहित मानकीकृत सोने के साथ ईजीआर खरीदने और बेचने के लिए गोल्ड एक्सचेंज एक नेशनल प्लेटफॉर्म होगा। यह सोने के लिए एक नेशनल प्राइसिंग स्ट्रक्चर भी तैयार करेगा। प्रस्तावित गोल्ड एक्सचेंज से गोल्ड मार्केट और पूरे इकोसिस्टम में प्रतिभागियों को कई लाभ मिलने की उम्मीद है
– कुशल और पारदर्शी मूल्य की खोज
– निवेश में तरलता, और सोने की गुणवत्ता का भरोसा
हालांकि, सेबी ने मौजूदा और साथ ही नए स्टॉक एक्सचेंजों को अलग-अलग सेग्मेंट्स में ईजीआर में व्यापार करने की अनुमति दी है और यह भी तय करेंगे कि ट्रेड होने वाले सोने का मूल्यवर्ग का क्या होगा।

3. ईजीआर के भंडारण की लागत कौन वहन करेगा?

उत्तर- ईजीआर के धारक भंडारण शुल्क वहन करेंगे। यह ईजीआर को घर पर सोना रखने की तुलना में महंगा बना सकता है, हालांकि, यह सुरक्षा जोखिम कम करेगा। इसके अलावा, कोई भी नई दिल्ली में सोना जमा कर सकता है और उसे ईजीआर में परिवर्तित कर सकता है लेकिन मुंबई में सोने के बराबर राशि प्राप्त कर सकता है। एक ईजीआर को दूसरे के साथ इंटरचेंज किया जा सकता है।

4. ईजीआर पर टैक्सेशन

उत्तर- ईजीआर पर प्रतिभूति अनुबंध अधिनियम (सिक्योरिटीज कॉन्ट्रेक्ट एक्ट) के तहत टैक्स लिया जाएगा और यह रेगुलेटर, सेबी द्वारा जारी परामर्श पत्र के आधार पर सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (STT) के रूप में कर के अधीन होगा। वस्तु एवं सेवा कर केवल उन निवेशकों पर लगेगा जो अपने ईजीआर को भौतिक सोने में बदलना चाहते हैं। इससे ईजीआर पर भौतिक सोने या यहां तक कि डिजिटल सोने के मुकाबले लाभ होता है, जो 3 प्रतिशत जीएसटी के अधीन हैं।

5. निवेशकों को क्या मिलने वाला है?

उत्तर- भारत में निवेशकों के पास अब भौतिक सोना, गोल्ड ईटीएफ, गोल्ड फंड ऑफ फंड, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) और डिजिटल गोल्ड जैसे सोने में निवेश करने के लिए ढेर सारे विकल्प होंगे।
निम्नलिखित टेबल अन्य उपलब्ध विकल्पों की तुलना में गोल्ड एसजीआर के फायदे और नुकसान को दर्शाती है:

भौतिक सोना गोल्ड ईटीएफ/एमएफ गोल्ड ईजीआर सोवरिन गोल्ड बॉन्ड
सुरक्षा कम उच्च उच्च उच्च
ब्याज नहीं नहीं नहीं हां
तरलता मध्यम उच्च उच्च कम
एसटीटी नहीं नहीं हां नहीं
जीएसटी हां नहीं नहीं नहीं
अवधि निरंतर निरंतर निरंतर 8 साल
कैपिटल गेन्स टैक्स हां हां हां नहीं
स्रोतः – सेबी परामर्श पत्र के अनुसार

कुल मिलाकर, ईजीआर इस तरह से निवेशकों के लिए फायदेमंद होंगे:
1) एक देश एक कीमत
2) टेक्नोलॉजी की पॉवर से समर्थित भौतिक सोने का बाज़ार
3) ईजीआर का एक्सचेंजों पर कारोबार करने वाले अन्य शेयरों और प्रतिभूतियों की तरह ही एक्सचेंजों पर कारोबार किया जाएगा

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