अटका कहां है कर्नाटक का मंत्रिमंडल विस्तार ?

बेंगलुरु। कर्नाटक में जनता दल धर्मनिरपेक्ष (जेडीएस) के नेता एचडी कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री बने हुए एक हफ़्ता होने को आया. लेकिन किसान कर्ज़ माफ़ी जैसे बड़े नीतिगत फ़ैसलाें की बात तो दूर वे अब तक अपने मंत्रिमंडल का विस्तार भी नहीं कर पाए हैं. सूत्रों की मानें तो विभागों के मसले पर सरकार में जेडीएस की सहयोगी कांग्रेस के सख़्त मोलभाव की वज़ह से अब तक मंत्रिमंडल का विस्तार अटका हुआ है.सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री कुमारस्वामी की पार्टी जेडीएस वित्त, सिंचाई, लोकनिर्माण जैसे विभाग अपने पास रखना चाहती है. लेकिन कांग्रेस भी गठबंधन में ज़्यादा सीटों वाली हिस्सेदार होने के नाते इन विभागों पर अपना हक़ जता रही है. सबसे अधिक खींचतान वित्त विभाग के लिए है. सूत्रों की माने तो कांग्रेस के ग़ुलाम नबी आज़ाद जैसे राष्ट्रीय नेता मसले का हल निकालने के लिए काफ़ी मशक्क़त कर रहे हैं. लेकिन अब तक कोई समाधान निकला नहीं है. प्रदेश कांग्रेस के नेता वित्त विभाग तो छोड़ने के लिए किसी तरह राज़ी बताए जाते हैं लेकिन सिंचाई और लोकनिर्माण जैसे मंत्रालय वे छोड़ना नहीं चाहते.
दूसरी दिक्क़त कांग्रेस के दावेदारों की है. पार्टी को गठबंधन सरकार में 22 मंत्री पद ही मिले हैं. इनमें से एक पद जी परमेश्वरा के उपमुख्यमंत्री बनने से भर चुका है. सरकार को समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायक आर शंकर को कांग्रेस कोटे से ही मंत्री पद मिलना लगभग तय है. सो इस तरह दूसरा पद भी भर गया. अब बचे 20 मंत्री पद. इनके लिए कांग्रेस की पिछली सिद्धारमैया सरकार में मंत्री रहे अधिकांश नेता दावेदारी जता रहे हैं. जबकि सभी को मंत्री बनाना संभव नहीं है. ऊपर से क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों का भी ध्यान रखना है. यही वज़ह है कि कांग्रेस के बड़े नेता अब तक किसी समाधान पर नहीं पहुंच पाए हैं.

एक मसला पूर्व मंत्री डीके शिवकुमार का भी है. वे सिद्धारमैया सरकार में सिंचाई मंत्री थे और इस बार कुमारस्वामी को ‘सरकार’ बनवाने में अहम भूमिका उन्होंने ही निभाई है. लिहाज़ा अब वे स्वाभाविक तौर पर अपनी इस भूमिका का प्रतिसाद चाहते हैं. ख़बर है कि वे सिंचाई मंत्रालय के महक़मे के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए भी दावेदारी जता चुके हैं. इससे पार्टी के केंद्रीय नेताओं के सामने उन्हें संतुष्ट करने की चुनौती भी पेश आ गई है क्योंकि कांग्रेस उनकी नाराज़गी मोल लेने की स्थिति में नहीं है. हालांकि इसके बावज़ूद कुमारस्वामी उम्मीद कर रहे हैं कि एक-दो दिन में उनका मंत्रिमंडल का आकार ले लेगा.

 

 

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