चिंतन मंथन और राहुल गांधी पर चोट

कमलेश भारतीय

तीन पूर्वोत्तर राज्यों के चुनाव संपन्न । त्रिपुरा और नागालैंड में कांग्रेस साफ और त्रिपुरा में पश्चिमी बंगाल के बाद वामपंथ का दूसरा किला ध्वस्त । भगवा का परचम लहराया । अतिउतसाहित लोग अभी से 2019 को लेकर भविष्यवाणियां करने लगे हैं । कांग्रेस की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी का कहना है कि इस उत्साह में राजस्थान व मध्यप्रदेश के उपचुनावों के परिणाम न भूलिए । वहां हवा कुछ और चल रही है । आपका उत्साह अपनी जगह और कांग्रेस का तर्क अपनी जगह । भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की प्रेसवार्ता में एक चुटकुला बना कि इटली में चुनाव हैं , राहुल गांधी वहां गये हैं । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि राहुल गांधी रणछोड हैं । वे तो त्रिपुरा में चुनाव से पहले ही चुनाव छोड गये । भाजपा ने शून्य से शुरू किया और शिखर पर पहुंच गयी । अब कांग्रेस सिफर पर पहुंची है । क्या अगले चुनाव में शिखर तक पहुंचने की हिम्मत है ? वामपंथ को माणिक सरकार से करिश्मे की उम्मीद थी पर करिश्मा नहीं हुआ । मेघालय में कांग्रेस को अपना गढ बचाने की चुनौती थी पर वहा भी सिंगल लार्जेस्ट पार्टी ही बन पाई । क्यों ? इटली से आइए और विचार कीजिए ।
पूर्वोत्तर राज्यों में चार पर भगवा चढ गया । सात बहनों के राज्यों में से चार में भाजपा आ गयी । कांग्रेस मुक्त का नारा चल और बढ रहा है । अश्वमेघ यज्ञ कैसे रूकेगा ? यूपी उपचुनाव में बसपा और सपा एक हो रहे हैं । क्या इतना ही उपाय काफी हैं ?

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