अब सरकारी वकीलों का पैनल किया भंग

नई दिल्ली। मुख्य सचिव अंशु प्रकाश और आप सरकार के बीच नया विवाद पैदा हो गया है। मुख्य सचिव ने सरकार द्वारा नियुक्त वरिष्ठ वकीलों के पैनल को रद्द कर दिया है। आरोप है कि सरकार ने उपराज्यपाल अनिल बैजल की मंजूरी के बगैर दिल्ली सरकार के मामलों को देखने और कानूनी राय देने के लिए वरिष्ठ वकीलों के पैनल की नियुक्त कर दी थी। मुख्य सचिव ने इन वकीलों के भुगतान पर भी रोक लगा दी है। मुख्य सचिव ने पैनल निरस्त करने की सूचना शुक्रवार को मुख्य मंत्री के विशेष सचिव,उपराज्यपाल के प्रधान सचिव,सभी मंत्रियों के सचिवों व सभी प्रधान सचिवों व सचिवों को भेज दी है। इससे मुख्य सचिव और आप सरकार में जारी विवाद के और तीखा होने की आशंका जताई जा रही है।
एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक वरिष्ठ वकीलों की नियुक्ति सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखने के लिए की थी। दिल्ली उच्च न्यायालय में पेश होने के अलावा उनका काम सरकार को कानूनी राय देना भी था। मुख्य सचिव ने आदेश में कहा है कि वकीलों का पैनल नियुक्त करने में उपराज्यपाल से अनुमति नहीं ली गई है। और इसी आधार पर पैनल को रद्द किया जाता है। मुख्य सचिव के आदेश से सरकार से जुड़े मामलों में विपरीत असर पड़ सकता है। क्योंकि सरकार के विभिन्न विभागों और मसलों पर पक्ष रखने वाले पूरे पैनल का पत्ता साफ हो गया है। ट्रांजैक्शन आॅफ बिजनेस रूल्स का हवाला देते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि 29 नवंबर 2017 और 18 जनवरी 2018 को जो आदेश दिए गए हैं वे मान्य नहीं हैं। क्योंकि उसमें सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। वरिष्ठ वकीलों के पैनल को निरस्त करते हुए उन्होंने साफ कर दिया कि इन नियुक्तियों की प्रक्रिया में भारी विसंगतियां पाई गई हैं। नियुक्ति में नियमों का पालन नहीं करने की बात कही गई है। पैनल को रद्द करने के बाद मुख्य सचिव ने इस विषय को तुरंत प्रधान वित्त सचिव को भेज दिया,ताकि वरिष्ठ वकीलों को तत्काल प्रभाव से भुगतान बंद किया जा सके। अवैध नियुक्ति मामले में वित्त विभाग को तुरंत कार्रवाई करनी होगी। बता दें कि इससे पूर्व दिल्ली सरकार के 10 सलाहकारों की नियुक्ति को उपराज्यपाल ने पिछले महीने रद्द कर दिया था,जिसके बाद उनसे तीन साल का वेतन वसूलने की प्रक्रिया जल्द शुरू होने वाली है। मुख्य सचिव के साथ मुख्यमंत्री आवास पर 19 फरवरी को हाथापाई की घटना के बाद मुख्यमंत्री या मंत्री के साथ अधिकारियों की रूटीन बैठक 3 महीने से पूरी तरह बंद है और दिल्ली सरकार का कामकाज ठप है। नौकरशाही इस मामले में मुख्यमंत्री से लिखित व मौखिक माफी की मांग पर अड़ी है।

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