सर्दियां के दौरान मौसम में अचानक बदलाव होने से बहती नाक, जुकाम, कफ और त्वचा पर चकत्ते से पीड़ित रोगियों की संख्या बढ़ जाती है। साथ ही इस समय मौसमी एलर्जी के मामले भी अधिज नजर आते हैं। इन सबके अलावा, कुछ लोग सांस लेने की समस्याओं, गले में खराश और खुजली, वगैरह से परेशान होते हैं।
इंडस हेल्थ प्लस में प्रिवेन्टिव हेल्थकेयर स्पेशलिस्ट सुश्री कंचन नायकवाड़ी कहती हैं, ‘सर्दियों में लोग घरों के अंदर इनडोर एलर्जी के शिकार हो जाते हैं, जैसे धूल कण, सूक्ष्म कीड़े और फफूंदी से जुड़ी एलर्जी, क्योंकि इस मौसम में वे ज्यादा समय घरों में रहते हैं। फफूंदी और घरों की गंदगी दमा रोग बढ़ाती हैं, इससे खांसी, गले में घरघराहट और सांस लेने में तकलीफ होती है। शहरों में प्रदूषण के बढ़े स्तर को भी देखा गया है। इस तरह की एलर्जी को रोकने के लिए घर और आसपास की जगह को साफ-सुथरा रखना और स्वच्छता बनाए रखना उचित है।’
एलर्जी को कैसे रोकें
इस तरह की एलर्जी की रोकथाम थोड़ी मुश्किल है, जब तक कि एलर्जी के कारण का पता न चल जाए। एलर्जी के कारण की पहचान के लिए, यानी यह धूल से हुई या खाने-पीने से, एक खास खून जांच है, जो मदद करती है। इसका नाम है कॉम्प्रीहेन्सिव एलर्जी टेस्ट। एक बार जब एलर्जी का कारण पता चल जाता है, तब जरूरी उपाय या इलाज को शुरू किया जा सकता है।
फफूंदी, धूल कणों और सूक्ष्म कीड़ों से रोकथाम के लिएः
घर के अंदर की नमी घटाएं
कमरे में हवा के प्रवाह में सुधार लाएं
नमी के स्रोतों को बाहर निकालें
· रसोईघर और गुसलखाने को साफ-सुथरा रखें
· घर और कालीन की नियमित सफाई करें।
जो एलर्जी से पीड़ित हैं, वे क्या करें और क्या नहीं-
अपने को धूल और प्रदूषण से बचाएं
खुद को पूरी तरह से ढंक कर रखना चाहिए, ताकि मौसम में आए अचानक बदलाव या तापमान में आई अचानक गिरावट के सीधे संपर्क से बचा जा सके।
एलर्जी प्रतिक्रियाओं के लिए एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों को नाक से बाहर निकालने के लिए नेजल-स्प्रे का इस्तेमाल करें या फिर नियमित रूप से नाक की सफाई करें।
दमा और गले की सूजन से पीड़ित लोगों को डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए और मौसम में अचानक आये बदलाव से पहले दवा लें।
प्राकृतिक एंटीहिस्टमीन से बनने वाली चाय पीएं, खास तौर पर बिछुआ पत्ती या अदरख की चाय।
त्वचा की एलर्जी या चकत्ते से पीड़ित लोगों को एलर्जी निरोधक गोलियों या मलहम के लिए डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए।