आगामी मानसून: कृषि एवं संबंधित उद्योगों के लिए वरदान

 

भारतीय कृषि क्षेत्र को अत्यधिक प्रभावित करने में मानसून एक प्रमुख कारक है। अध्ययनों में पता चला है कि इस सेक्टर ने पिछले दो सालों (2016 और 2017) से निरंतर वृद्धि के संकेत दिखाये हैं। भारतीय मौसम विभाग (आइएमडी) ने इस साल एक ह्यसामान्य मॉनसून का अनुमान जताया है। इस साल दीर्घकालिक औसत (एलपीए) के 97 प्रतिशत बारिश होने की उम्मीद है, जो कृषि क्षेत्र और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिये एक सकारात्मक संकेत है।
सामान्य मानसून से न सिर्फ किसानों को फायदा होगा, बल्कि उन क्षेत्रों को भी लाभ होगा, जिन्हें ग्रामीण अर्थव्यवस्था से फायदा होता है, जैसे कि एफएमसीजी, पैकेज्ड कंज्यूमर गुड्स और एग्रोकेमिकल इंडस्ट्री व अन्य। इससे प्रमुख फसलों जैसे कि चावल, कपास, गेहूं, गन्ना और आॅयलसीड्स इत्यादि का उत्पादन भी बढ़ जायेगा।
इस भविष्यवाणी से कृषि क्षेत्र का मनोबल काफी बढ़ गया है। कृषि का भारत की 2 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में लगभग 15 प्रतिशत योगदान है और इसमें 800 मिलियन से अधिक लोग कार्यरत हैं। सरकार ने किसानों के लिये एक उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा भी की है, जो समूचे कृषि समुदाय के लिये एक अच्छी खबर है। इसके साथ ही उपयुक्त उत्पादन के साथ किसान आसानी से बेहतर राजस्व की अपेक्षा भी कर सकते हैं। इसके अलावा, एक सामान्य मानसून खेतों में सुचारू सिंचाई भी सुनिश्चित करेगा, जिससे किसानों को सिंचाई के लिये अन्य साधनों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं होगी। इससे खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी।
हालांकि, हमें यह याद रखना चाहिये कि सम्पूर्ण सटीकता के साथ मानसून का अनुमान लगाना हमेशा से ही एक टेढ़ा सवाल रहा है। शुरूआती आकलन और वास्तविक बारिश में अंतर हो सकता है। यह किसानों और बारिश से जुड़ी अन्य कंपनियों के लिये चिंता का विषय है। आमतौर पर, उन स्थानों पर कम बारिश होती है, जहां इसकी प्रत्यक्ष तौर पर जरूरत होती है और कई बार अनियमित बारिश के कारण भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यह समझना जरूरी है कि बहुत ज्यादा अथवा बहुत कम बारिश दोनों ही कृषि सेक्टर को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
मानसून, अर्थव्यवस्था और कृषि क्षेत्र, सभी एक-दूसरे से जुड़े हुये हैं। इसलिये इनका आपसी संबंध बेहद महत्वपूर्ण है। इसलिये भारत जैसे देश में एक सामान्य मानसून अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसके साथ ही ग्रामीण भारत के लोगों की आमदनी को बढ़ाकर उपभोक्ता सामग्रियों की मांग में भी बढ़ोतरी होगी और इक्विटी को बढ़ावा भी मिलेगा, खासतौर से उन कंपनियों के लिये जो ग्रामीण भारत में सामान बेचते हैं, जैसे कि फर्टिलाइजर्स, उपभोक्ता सामग्री, आॅटोमोबाइल्स इत्यादि।
विभिन्न कंपनियों ने उपयुक्त स्टॉक्स के साथ अपनी इंवेंटरी को भरने की तैयारी शुरू कर दी है। किसानों को बेहतर राजस्व मिलने से प्रधानमंत्री मोदी के वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना करने के विजन को पूरा करने में भी मदद मिलेगी। इसके अलावा, सरकार को बेहतर वर्षा-जल संचयन और जल संरक्षण मॉडलों को पेश करने में भी काम करना चाहिये, जिन्हें किसानों द्वारा अपनाया जा सके, ताकि वे खुद को जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों, भूजल की कमी और प्राकृतिक घटनाओं जैसे कि एल निनो, ला निनो व अन्य से बचा सकें।
सामान्य मानसून से अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा, जिसका विकास विमुद्रीकरण और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के कारण प्रभावित हुआ है। भारत जैसे देश में, जहां पर 70 प्रतिशत बारिश का पानी नदियों से होकर समुद्र में चला जाता है, बांध बनाकर इस पानी को रोकने की जरूरत है, जैसा कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने ह्यमन की बातह्य कार्यक्रम में कहा था। हमें गांवों में छोटे चेक-डैम बनाने की जरूरत है, ताकि बारिश के पानी को जमा करके रखा जा सके।
इसके अलावा, सरकार ने छोटे-स्तर की विभिन्न जल परियोजनाओं जैसे कि सिंचाई के तालाब को भी लक्षित किया है और देश की नदियों को जोड़ने का एक प्रोग्राम भी शुरू करने का प्रस्ताव है, ताकि सूखे क्षेत्रों तक भूजल को पहुंचाया जा सके। ये कृषि क्षेत्र और अन्य संबंधित उद्योगों के लिये उम्मीद के संकेत देते हैं। उम्मीद है कि आशावाद का वर्तमान रूख लंबे समय तक बना रहेगा।

आरजी अग्रवाल धानुका एग्रिटेक लिमिटेड के ग्रुप चेयरमैन हैं।

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