बीजेपी को जातीय कार्ड वाली राजनीति रास नहीं आती है इसलिए पीएम नरेंद्र मोदी के निशाने पर जातिवादी राजनीति होगी। मोदी जातिवादी राजनीति को काउंटर करेंगे। इसके जरिए कांग्रेस ने जो पिछले कुछ समय से पाटीदार, ओबीसी सहित दलितों को अपने पाले में लाने की जो कोशिश की है, मोदी उसे विफल करने की कोशिश करेंगे।
अखिलेश अखिल
गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की पैतरेबाजी से परेशान बीजेपी फिर से पीएम मोदी की तरफा कातर निगाहों से देख रही है। बीजेपी को उम्मीद है कि मोदी ही कांग्रेस के तिलिश्म को तोड़ सकते हैं और बीजेपी के पक्ष में बाजी कर सकते हैं। यही वजह है कि गुजरात में छठी बार जीत दिलाने का जिम्मा लेकर एकबार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के रण में उतर रहे हैं। पीएम मोदी 27 नवम्बर से गुजरात के चुनावी मैदान में हिस्सा लेंगे और कांग्रेस की राजनीति पर हमला करेंगे।
पीएम मोदी 13 साल तक राज्य की सत्ता के सिंहासन पर विराजमान रहे हैं। गुजरात के सीएम से ही वे देश के पीएम बने हैं। ऐसे में मोदी और उनकी पार्टी बीजेपी किसी भी सूरत में अपने दुर्ग को अपने हाथों से खिसकने नहीं देना चाहते। मोदी पांच दिन में यहां 17 जनसभाओं को संबोधित करेंगे। सबकी नजर इसी बात पर है कि मोदी अपने भाषण में वो कौन से मुद्दे उठाएंगे जो गुजरात चुनाव की दशा और दिशा तय करेंगे। उम्मीद की जा रही है कि गुजरात के चुनावी मैदान में मोदी के पहुंचने के बाद जनता का रुख बदल जाएगा।
बीजेपी को जातीय कार्ड वाली राजनीति रास नहीं आती है इसलिए पीएम नरेंद्र मोदी के निशाने पर जातिवादी राजनीति होगी। मोदी जातिवादी राजनीति को काउंटर करेंगे। इसके जरिए कांग्रेस ने जो पिछले कुछ समय से पाटीदार, ओबीसी सहित दलितों को अपने पाले में लाने की जो कोशिश की है, मोदी उसे विफल करने की कोशिश करेंगे। नरेंद्र मोदी ने अपनी पिछली रैली में भी कहा था. जातिवाद के बहकावे में ना आएं, जातिगत मुद्दों से देश के विकास में रुकावट आएगी। माना जा रहा है कि पीएम मोदी जीएसटी को लेकर भी सफाई देंगे। गुजरात कारोबारियों का प्रदेश माना जाता है। केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी को लागू करने के बाद गुजरात के व्यापारी सड़क पर उतर आए थे। माना जा रहा है कि जीएसटी से जुड़े हर सवाल का जबाब मोदी वहाँ के लोगों को देंगे और सरकार की नीति का खुलासा करेंगे।
नरेंद्र मोदी अपने आपको गुजराती अस्मिता से भी जोड़ेंगे। गुजराती अस्मिता के डीएम पर ही बीजेपी की राजनीति वहाँ फलती फूलती रही है। चुकी पीएम मोदी भी उसी गुजरात की राजनीति करके दिल्ली तक पहुंचे है ऐसे में गुजराती अस्मिता का नारा देकर जनता की भावनाओ को उजागर कर सकते हैं। मोदी ने हमेशा अपने आपको गुजरात के बेटे के तौर पर पेश किया है।
आपको बता दें कि यूथ कांग्रेस की आनलाइन पत्रिका ‘युवा देश’ के ट्विटर अकाउंट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चाय वाला बताकर मजाक उड़ाया गया था। नरेंद्र मोदी खुद पर ऐसे किसी भी वार का भरपूर राजनीतिक फायदा उठाते रहे हैं। सोनिया गांधी का मौत का सौदागर और हाल ही में अखिलेश यादव का गुजरात के गधे वाला बयान इसका उदाहरण हैं। पहले के चुनाव में इटली से जुडी राजनीति का लाभ भी बीजेपी उठाती रही है लेकिन चुकी इस बार राहुल गाँधी मैदान में हैं इसलिए इटली वाली बातें चुनावी खेल से अलग कर दी गयी है लेकिन राहुल की राजनीति और कांग्रेस के भ्रष्टाचार पर मोदी जरूर चोट करेंगे। नरेंद्र मोदी भ्रष्टाचार के बहाने कांग्रेस पर निशान साध सकते हैं। यूपीए सरकार को दौरान वाले भ्रष्टाचार के मामले को उठा सकते हैं। भ्रष्टाचार के मसले पर कांग्रेस जबाब नहीं दे पाती है इसलिए पीएम मोदी से यही उम्मीद की जा रही है कि गुजरात में कांग्रेस की बढ़ती राजनीति को कांग्रेस राज के भ्रष्टाचार से कुंद कर दे। मोदी अपनी सरकार के साढ़े तीन साल का हिसाब भी गुजरात की जनता के सामने रख सकते हैं। आरक्षण की नीति और कांग्रेस के खेल पर प्रहार कर सकते हैं। गुजरात की चुनावी राजनीति राष्ट्रीय स्तर की हो गयी है। ऐसा लग रहा है कि गुजरात में जिसकी जीत होगी उसी की राजनीति आगे बढ़ती जायेगी। गुजरात का चुनाव कांग्रेस के लिए जितना अहम् है उससे ज्यादा बीजेपी के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है।