तम्बाकू उपयोग की वास्तविक लागत को उजागर करने के लिए #CutTheCost अभियान की शुरुआत

दिल्ली।तम्बाकू सेवन अब कोई व्यक्तिगत आदत नहीं रही, बल्कि इसने एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य संकट का रूप ले लिया है। दुनिया भर में ओरल कैंसर के सभी मामलों में से एक तिहाई मामले भारत से देखने को मिलते हैं, जहाँ इसकी वजह से सालाना 77,000 नए मामले सामने आते और 52,000 मौतें होती हैं। इसका सर्वाइवल रेट 50% मात्र है, जो विकसित देशों की तुलना में काफ़ी कम है (लिंक)। भारत के शहरों और ग्रामों दोनों स्थानों पर तम्बाकू की खपत बढ़ने से यह प्रवृत्ति खतरनाक ढ़ंग से बढ़ गई है, जिसके बारे में घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (2022-23) (लिंक) से स्पष्ट पता चलता है। इस सर्वेक्षण में पान, तम्बाकू और अन्य नशीले पदार्थों पर व्यय बढ़ने की पुष्टि की गई है।

 

विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के अवसर पर, अपोलो कैंसर सेंटर्स (ACC) ने #ओरललाइफ नामक एक स्क्रीनिंग पहल की शुरुआत की है, जो ओरल कैंसर के शीघ्र पहचान पर केन्द्रित है। यह कार्यक्रम सार्वजनिक जागरूकता, नियमित जांच पर बल देता और विशेष रूप से तम्बाकू उपयोगकर्ताओं, शराब का सेवन करने वालों, HPV-16 संक्रमितों और पहले से ही मुंह के घाव से पीड़ित लोगों सहित उच्च जोखिम वाले लोगों के लिए लक्षित हस्तक्षेप करने का प्रयास करता है।

 

इस पहल के हिस्से के रूप में, तम्बाकू की लत से उबरने के इच्छुक व्यक्तियों को समग्र सहायता प्रदान करने के लिए ACC ने ईशा फाउंडेशन के साथ सहयोग किया है। इस सहयोग के माध्यम से शारीरिक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों के साथ मानसिक और भावनात्मक कल्याण सहायता को एकीकृत कर उचित सहायता प्रदान करने का प्रयास किया गया है।

 

डॉ. गोपाल कुमार, सीनियर कंसलटेंट – हेड एंड नेक सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, अपोलो कैंसर सेंटर, दिल्ली ने कहा, “तम्बाकू का सेवन करने वालों में ओरल कैंसर होने की संभावना तम्बाकू सेवन न करने वालों की तुलना में छह से सात गुना अधिक होती है। ओरल कैंसर एक ऐसा कैंसर है मुंह की साधारण जांच करके जिसका पता जल्द लगाया जा सकता है। इस कार्यक्रम से हम ओरल कैंसर के मामलों की शीघ्र पहचान करने का लक्ष्य रखते हैं – इससे पहले कि बहुत देर हो जाए। हमारा उद्देश्य एक निवारक स्वास्थ्य सेवा की संस्कृति को बढ़ावा देना है। समय रहते पता चल जाए तो ओरल कैंसर का इलाज संभव है। हम 30 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों, खासकर तम्बाकू सेवन करने वालों से स्क्रीनिंग करवाने का आग्रह करते हैं”।

 

भारतीय पुरुषों में ओरल कैंसर के मामले सबसे अधिक पाए जाते हैं और महिलाओं में भी यह लगातार बढ़ रहा है। अलग-अलग राज्यों में इसका आघटन दर भिन्न है: पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक, जबकि केरल से सबसे कम मामले सामने आए हैं। महाराष्ट्र, शहरी अहमदाबाद और मेघालय में भी उच्च आघटन दर की सूचना मिली है – जो मुख्य रूप से तम्बाकू उपयोग के कारण है। चेन्नई स्थित अध्ययनों से पता चलता है कि जीभ और मुंह के तल के कैंसर में वृद्धि हुई है क्योंकि इन जगहों में मेटास्टेसिस की संभावना अधिक होती है। देश के अधिकतर ओरल कैंसर रोगियों में बुक्कल म्यूकोसा का प्रभावित होना पाया गया है। विशेष रूप से, महिलाओं में धूम्ररहित तम्बाकू का उपयोग बढ़ने के साथ आघटन दरों के सन्दर्भ में लिंग अंतर घट रहा है।

 

अल्प सेवा प्राप्त समुदायों से धूम्ररहित तम्बाकू, सुपारी और शराब का संयुक्त उपयोग जैसे जोखिम कारक सामने आते हैं, जहां लोगों को निवारक देखभाल तक सीमित पहुंच मिलती है। जहां यह रोग 31-50 वर्ष की आयु के लोगों को तेजी से प्रभावित कर रहा है, वहीं खराब पोषण के कारण इसका जोखिम भी लगातर बढ़ता जा रहा है।

 

#ओरललाइफ – ओरल कैंसर स्क्रीनिंग प्रोग्राम में प्रशिक्षित हेड और नेक सर्जन देख कर और स्पर्श कर मुंह का विस्तृत परीक्षण करते हैं। इसका उद्देश्य अल्सर, लाल या सफेद धब्बे, गांठों, दर्द रहित और न भरने वाले घावों जैसे शुरुआती चेतावनी संकेतों की पहचान करना है, जिसे अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है।

 

मानसिक और भावनात्मक रूप से स्वास्थ्य लाभ सुनिश्चित करने और तम्बाकू छोड़ने के प्रयासों के साथ आध्यात्मिक कल्याण को जोड़ने के लिए, सद्गुरु के नेतृत्व में एक सरल लेकिन प्रभावी 7-मिनट का गाइडेड मेडिटेशन भी प्राप्त होगा।

 

ईशा फाउंडेशन ने मिरेकल ऑफ माइंड ऐप के माध्यम से सहयोग विस्तार किया है, जो एक फ्री मेडिटेशन प्लेटफार्म है ताकि लोग अपने कल्याण की जिम्मेदारी स्वयं उठा सकें। 2 मिलियन से अधिक डाउनलोड के साथ, यह ऐप गाइडेड मेडिटेशन, स्ट्रीक ट्रैकिंग, विशेष संदेश और प्रेरक पुरस्कार प्रदान करता है एवं इस पर लत छोड़ने और अपने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की यात्रा पर निकले लोगों के लिए एक सहायक वातावरण बनाता है।

 

डॉ बिपिन पुरी, डायरेक्टर मेडिकल सर्विसेज, इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स ने कहा, “यह पहल समग्र ऑन्कोलॉजी देखभाल प्रदान करने की अपोलो की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हमारा मिशन केवल उपचार प्रदान करना ही नहीं, बल्कि लोगों को ऐसे साधन और ज्ञान से लैस करना है जिसकी सहायता से वे अपने स्वास्थ्य की बागडोर स्वयं संभाल सकें। ईशा फाउंडेशन के साथ हमारा सहयोग एकीकृत देखभाल में हमारे विश्वास का प्रमाण है, जहां शीघ्र पहचान और मानसिक कल्याण दोनों ही महत्वपूर्ण स्तंभ हैं।”

यह पहल स्वास्थ्य बोझ के अलावा तम्बाकू के उपयोग के कारण बने आर्थिक और भावनात्मक बोझ को भी संबोधित करता है। #CutTheCost अभियान के माध्यम से, अपोलो कैंसर सेंटर्स तम्बाकू उपयोगकर्ताओं से अपनी आदतों की वास्तविक लागत का पुनर्मूल्यांकन करने का आग्रह करता है – न केवल स्वास्थ्य के संदर्भ में, बल्कि वित्तीय सुरक्षा और भावनात्मक कल्याण के संदर्भ में भी। यह अभियान कैंसर रोकथाम के सबसे शक्तिशाली साधनों के रूप में शीघ्र पहचान और जीवनशैली में दीर्घकालिक बदलाव के महत्व को प्रबलिकृत करता है।

 

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