नई दिल्ली। लुधियाना की रहने वाली 47 साल की मनप्रीत कौर पार्किंसन की बीमारी के कारण 10 सालों से बिस्तर पर थीं। वसंत कुंज स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल में डीप ब्रेन स्टिम्युलेशन सर्जरी की मदद से मरीज का सफलतापूर्वक इलाज किया गया। 2009 से मरीज को स्लो (धीमा) बॉडी मूवमेंट्स की समस्या थी। समय के साथ मरीज की हालत गंभीर होती गई। मरीज के शरीर ने पूरी तरह से काम करना बंद कर दिया था और समय समय पर झटके भी महसूस होते थे। कहीं से कोई फायदा न मिलने के बाद उन्हें वसंत कुंज स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल में रेफर किया गया, जहां न्यूरोलॉजी पैनल ने जांच के बाद मिनिमली इनवेसिव डीप ब्रेन स्टिम्युलेशन सर्जरी करने का फैसला किया। पिछले 10 सालों से बिस्तर पर होने के बाद आज मरीज को हमेशा के लिए बिस्तर से छुटकारा मिल गया है।
नई दिल्ली में वसंत कुंज स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल की न्यूरोलॉजी निदेशक, डॉक्टर माधुरी बिहारी ने बताया कि, “डीप ब्रेन स्टिम्युलेशन (डीबीएस), इलेक्ट्रोड्स वाली एक डिवाइस है, जिसे मस्तिष्क के अंदर इंप्लान्ट किया जाता है और मस्तिष्क के जरूरी हिस्सों में इलेक्ट्रिकल सिग्नल भेजे जाते हैं। यह ऑपरेशन का एक अहम हिस्सा है जो पार्किंसन से जुड़े तनाव को कम करता है। डीप ब्रेन स्टिम्युलेशन की मदद से कई मरीजों के मस्तिष्क ने सामान्य रूप से काम करना शुरू कर दिया। इन मरीजों में कड़ी मांसपेशियां, खराब पोस्चर, लिखने-बोलने में दिक्कत और अंगों के धीमे मूवमेंट आदि समस्याएं होती हैं।”
सर्जरी के बाद मरीज और मरीज का शरीर पूरी तरह से नॉर्मल हो गया और कुछ ही हफ्तों में वह सारे काम करने में सक्षम हो गईं। आज वे एक नॉर्मल जीवन व्यतीत कर रही हैं और उन्हें देखकर कोई भी नहीं कह सकता कि उन्हें कभी पार्किंसन की बीमारी थी या उन्होंने किसी प्रकार की सर्जरी कराई है। फोर्टिस हॉस्पिटल में मनप्रीत कौर के अलावा पार्किंसन के कई अन्य मरीजों का सफल इलाज किया जा चुका है।
वसंत कुंज स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल की सुविधा निदेशक, मिस. मंगला डेंबी ने बताया कि, “पिछले एक दशक में पार्किंसन के इलाज में काफी बदलाव हुए हैं। हमें अपने वरिष्ठ और अनुभवी टीम पर गर्व है, जो आज की बीमारियों का एडवांस तरीके से इलाज करने में सक्षम है। हम अपने मरीजों को एक बेहतर जीवन देने की हर कोशिश करते हैं और पार्किंसन क्लिनिक इन्हीं कोशिशों में से एक है।”