गर्मी में मटके की मांग बढ़ी, तापमान बढ़ने के बाद हो रही मटकों की बिक्री

धमतरी। चिलचिलाती गर्मी में सूखे कंठ को तर करने घड़े का शीतल जल मिल जाए तो क्या कहना। गर्मी के इस मौसम में ठंडे पानी के लिए मटकों से बेहतर कोई उपाय नहीं है। ठंडे पानी के लिए इन दिनों मटकों की मांग बढ़ गई है। बाजार में यह 120 रुपये से 150 रुपये की कीमत में बिक रहा है। शहर के इतवारी बाजार, रामबाग क्षेत्र सहित अन्य स्थानों पर मटके व सुराही की बिक्री हो रही है। इसके अलावा शहर की गलियों में भी कुम्हारपारा की महिलाएं घूम घूम कर मटके का विक्रय कर रही हैं। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे मटकों की मांग भी बढ़ रही है। गर्मी को देखते हुए बड़े पैमाने में मटके तैयार किए गए हैं। कुम्हारपारा के शंकर कुंभकार ने बताया कि गर्मी के सीजन में मटकों की मांग बढ़ जाती है। मांग को देखते हुए बड़े पैमाने पर मटको तैयार किए गए हैं। मटके का पानी पीने के शौकीन लोग ही मटके की खरीदी करते हैं, बाकी सब तो फ्रिज या वाटर कूलर से पानी पीने लगे हैं।

उल्लेखनीय हो कि शहर के कुम्हारपारा के अलावा आसपास के गांव से भी बड़ी तादाद में कुम्हार परिवार के लोग मटके और मिट्टी के बर्तन बेचने शहर पहुंचते हैं। इन दिनों कुम्हारपारा की महिलाएं शहर व आसपास के गांव में घूम घूम कर मटका बेंच रही हैं। शहर के कुम्हारपारा निवासी मुरली कुंभकार ने बताया कि अभी गर्मी सीजन में मटकी और सुराही की मांग बनी हुई है। फ्रिज आने से मिट्टी का व्यवसाय जरूर प्रभावित हुआ है, लेकिन मटकी, सुराही की मांग बनी हुई है। इसका पानी मीठा रहता है। वर्तमान में मटकों की कीमत 120 से 150 रुपये प्रति मटकी हो गई है। यह कीमत पिछले साल की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक है। बाजार में सामान्य आकार की मटकी की कीमत 120 से 150 रुपये के बीच है। बठेना अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डा संदीप पटौंदा ने कहा कि घड़े व मटके का पानी पीने से शरीर को प्राकृतिक रूप से खनिज और लवण भरपूर मात्रा में मिल जाती है। मिट्टी के घड़े का पानी कम ठंडा होता है, जो हमारे शरीर के लिए अच्छा होता है। फ्रिज का अत्यधिक ठंडा पानी पीने से सर्दी, खांसी और बुखार होने की आशंका बनी रहती है। फ्रिज की तुलना में मटके का पानी गले और स्वस्थ शरीर के लिए फायदेमंद है

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