नई दिल्ली। केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं संचार राज्य मंत्री श्री चंद्रशेखर पेम्मासानी ने कहा है कि सशक्त ग्रामीण समुदायों के बिना विकसित भारत संभव नहीं है। गोवा के मीरमार में आज प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण के अंतर्गत क्षेत्रीय ग्रामीण कार्यशाला को संबोधित करते हुए श्री पेम्मासानी ने कहा कि जब हमारे गांव समृद्ध होंगे, तो भारत समृद्ध होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के परिवर्तनकारी दृष्टिकोण के तहत प्रधानमंत्री आवास योजना अंत्योदय की सच्ची भावना – अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति का उत्थान- को मूर्त रूप देती है।
श्री पेम्मासानी ने कहा कि पीएमएवाई-ग्रामीण एक नीति से कहीं अधिक है, इस योजना के तहत उम्मीदें साकार हुई हैं, सपनों को मूर्त रूप दिया गया है और परिवारों को अनिश्चितता से सुरक्षा की ओर ले जाया गया है। उन्होंने कहा, “मार्च 2029 तक 4.95 करोड़ घरों के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ, हमने पहले ही उल्लेखनीय प्रगति की है। आज तक, कुल 3.90 करोड़ लक्ष्य आवंटित किए गए हैं, 3.69 करोड़ घरों को मंजूरी दी गई है और 2.76 करोड़ घरों का निर्माण पूरा हो चुका है। योजना के तहत बने घरों की प्रत्येक संख्या एक परिवार को शांति से नींद लेते हुए, बच्चों को सुरक्षित रूप से पढ़ते हुए और बुजुर्गों को सम्मान के साथ जीवन गुजारते हुए दर्शाती है।”
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह बदलाव केवल घर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सरकार पीएमएवाई-जी को उज्ज्वला, जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत जैसी प्रमुख योजनाओं के साथ जोड़ रही है, ताकि केवल घर ही नहीं, बल्कि समग्र आवास का निर्माण किया जा सके। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि प्रत्येक ग्रामीण परिवार को स्वच्छ जल, स्वच्छता और खाना पकाने का स्वच्छ ईंधन मिले।
श्री पेम्मासानी ने कहा कि सरकार की सोच ईंटों और गारे से कहीं आगे की है। राजमिस्त्री प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से, हम ग्रामीण भारत में कुशल कारीगरों का एक समूह तैयार कर रहे हैं। यह अपने शुद्धतम रूप में आर्थिक सशक्तिकरण है। हमारा उद्देश्य नौकरियां पैदा करना, विशेषज्ञता का निर्माण करना और यह सुनिश्चित करना है कि ग्रामीण युवा अपनी समृद्धि के लेखक स्वयं बनें।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “हम ग्रीन हाउसिंग की ओर जा रहे हैं, जिसमें पर्यावरण के प्रति जागरूकता से किफायती निर्माण होता है, जिसमें ऐसे घर बनते हैं जो न केवल परिवारों की देखभाल करते हैं, बल्कि धरती का भी ख्याल रखते हैं। लाभार्थी चयन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सहायता ली जाती है जहां प्रौद्योगिकी समानता के भाव से लाभार्थी का चयन करता है, यह सुनिश्चित किया जाता है कि यह योग्यता है, न कि प्रभाव, जो यह निर्धारित करता है कि किसे सहायता मिलती है।”
श्री पेम्मासानी ने कहा, “हम सतत विकास लक्ष्यों के साथ तालमेल बिठा रहे हैं, अपनी स्थानीय आकांक्षाओं को वैश्विक जिम्मेदारियों से जोड़ रहे हैं ताकि हर गांव मानवता की प्रगति में योगदान दे सके। हम सूक्ष्म वित्त पोषण (माइक्रोफाइनेंस) की फिर से कल्पना कर रहे हैं, इसे एक शक्तिशाली साधन में बदल रहे हैं – जो ग्रामीण आकांक्षाओं को वास्तविक अवसरों से जोड़ता है, लोगों को उनके सपनों को उपलब्धियों में बदलने के लिए सशक्त बनाता है।”
श्री पेम्मासानी ने कहा कि जैसे-जैसे हम अमृत काल में प्रवेश कर रहे हैं, हम गुणवत्ता, स्थिरता और दीर्घकालिक प्रभाव के बारे में सोच रहे हैं। नवाचार, डेटा और समावेशी वित्तपोषण को अपनाकर हम ग्रामीण विकास को आकार दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रभावी तालमेल के साथ कच्चे घर से पक्के घर में जाने वाला प्रत्येक परिवार राष्ट्रीय परिवर्तन की ओर एक कदम बढ़ा रहा है।
इस अवसर पर गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत, राज्य के ग्रामीण विकास, संस्कृति और खेल मंत्री श्री गोविंद गौडे के साथ ही केन्द्र और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।