दिग्विजय को दिग्विजयी बनायेगी नर्मदा परिक्रमा

मेरा मानना है कि रेत हमेशा से जल को प्रदूषण मुक्त करते रहे हैं। दिग्विजय सिंह की यह यात्रा अब समापन की बेला पर है। पाठक जब यह लेख पढ़ रहें होंगे तब तक इस यात्रा का समापन हो चुका होगा। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह वो पहले ऐसे पूर्व मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने लगभग 3300 किलोमीटर एवं 190 दिनों की यात्रा की है। लगभग 15 वर्ष पूर्व लिये गये संकल्प को पूर्ण करने राजनीति से 6 माह का अवकाश लेकर नर्मदा परिक्रमा के निर्धारित मानकों को अंगीकार कर यह यात्रा को पूर्ण करने का साहस करने वाले दिग्विजय सिंह के लगभग 3300 किलोमीटर सफर के दौरान कई राजनैतिक उपयोग की सामग्री के साथ-साथ जंगलों, पर्वतों, वन्य जीवों, समुद्र, बड़े-बड़े कछारों के साथ ही शासन प्रशासन की योजनाओ की जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन की हकीकत से भी साक्षात्कार हुआ होगा।

कृष्णमोहन झा

भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री और आल इण्डिया कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह की नर्मदा यात्रा अपने अंतिम पड़ाव पर है। 30 सितम्बर 2017 विजयदशमी के दिन से प्रारम्भ यह यात्रा 9 अप्रैल 2018 को शारदा मंदिर रेत घाट तट बरमान खुर्द जिला नरसिहपुर में सम्पन्न होगी। आज दिनांक तक इस यात्रा ने 188 दिन पूर्ण कर लिए है। लगभग 3100 किलोमीटर की यात्रा तय करके पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह लगातार अपने संकल्प को पूर्ण करने की दिशा में अग्रसर है। विशुद्ध रूप से धार्मिक नर्मदा परिक्रमा की बात करने वाले दिग्विजय सिंह का मानना है की मैंने अपने जीवन में सबसे अधिक सुख की अनुभूति इस यात्रा के माध्यम से प्राप्त की है। 188 दिनों की इस यात्रा में समुद्र पहाड़ कछार वृहद जंगल पथरीले रास्ते से गुजरते हुए समापन की तरफ बढ़ रहे है। परिक्रमावासियों में अपार उत्साह देखने को मिल रहा है। दिग्विजय सिंह के साथ उनकी पत्नी अमृता सिंह इस यात्रा में पूरे समय उनके साथ साथ रही। अमृता सिंह कहती है की मैंने अपने पत्नी होने का धर्म निभाने इस यात्रा में शामिल होने का निर्णय लिया था। यात्रा की शुरुआती दिनों में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा ,फिर यह आदत में शुमार हो गया। कई बार ऐसा लगा मानों अब एक भी कदम आगे बढऩा मुश्किल है ,लेकिन मां नर्मदा के आशीर्वाद से हर सुबह एक नए उमंग और हौसले के साथ हम आगे बढ़ते गए। इस यात्रा में श्रद्धालुओं ने दिल खोलकर हमारा स्वागत किया। लोगों के प्यार और दुलार के सामने पांवों के छालें,पैर दर्द बोने होने लगे है। दिग्विजय सिंह जी की इस यात्रा के हर पहलुओं को देखने समझने और भविष्य की राजनैतिक संभावनओं को तलाशने मैंने भी मण्डला शहर से 20 किमी दूर लिंगा पॉडी तक यात्रा की। मैंने यात्रा की शुरूआत के साथ ही लेख लिखा था। जिसका शीर्षक था ‘राजा की कठोर तपस्या के निहितार्थ’ जो काफी चर्चा में रहा था, मैंने इस यात्रा के बारे में जो सुना और पढ़ा था उससे कहीं ज्यादा मिला। सुबह मां नर्मदा के तट पर भजन पाठ, कन्या पूजन और आरती के बाद परिक्रमावासियों का जत्था दिग्विजयसिंह जी और अमृता सिंह के साथ नर्मदे हर के जयघोष के साथ अगले पड़ाव की ओर आगे बढ़ जाता हैं. हलकी वर्षा की वजह से राह में गीली मिट्टी हैं घने जंगलों से होते हुए यह काफिला उबड़-खाबड़ और पथरीले रास्तों में साथ अपने मंजिलों की तरफ आगे बढ़ रहा हैं. लगभग 150 दिनों की यात्रा साझा करते हुए दिग्विजय सिंह कहते हैं कि यह मेरा परम सौभाग्य हैं कि मैंने आज से लगभग 20 वर्ष पूर्ण जो अनुभूति की थी वह आज मूर्त रूप ले चुकी हैं । मण्डला के सर्किट हॉउस के उसी कमरे में मैं आज था जब मेरे मन में भी नर्मदा की परिक्रमा करने की भावना अंतर्मन में जाग्रत हुई थी। मैंने कभी धर्म को राजनीति से जोडऩे का प्रयास नहीं किया चाहे कैसी भी विषम परिस्थितियां क्यों न हो। नर्मदा जी से लगाव मेरा आज से नहीं वर्षो पुराना है मुझे जब भी समय मिलता मां के तट पर हमेशा जाता रहा हूं। वर्तमान में लोग धर्म आधारित राजनीति पर बल दे रहे जो समाज के लिये सही नहीं हैं आप को ध्यान हो तो प्रदेश की कई महत्वपूर्ण योजनाओं की रूपरेखा मण्डला और कान्हा में ही तैयार हुई हैं। एक राजा के इतने कठोर तप के क्या मायने हैं पूछने पर दिग्विजय सिंह कहते है की बचपन से ही हमें आम आदमी सा जीवन जीना पड़ा हैं हमारे पिताश्री ने हमें बोर्डिंग स्कूल भेज दिया था जहां हमारी शिक्षा दीक्षा आम व्यक्ति सी रही हैं हमे संघर्ष में रहने की आतद है रही बात इस परिक्रमा यात्रा की तो जो अनुभूति आप लोगों का अपार प्रेम मिल रहा हैं वह मेरे लिये शब्दों में व्यक्ति नहीं कर सकता हूं। मां नर्मदा स्वयं हमें साहस प्रदान कर रही हैं आगे बढऩे के लिऐ आप मॉ के आशीर्वाद का इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि 3 दिसम्बर को गुजरात में अरब सागर में नर्मदा के दक्षिण से उत्तर तट की तरफ तूफान बढ़ रहा था। उत्तर तट पर भयंकर तूफान आया और एक भी कश्ती आगे नहीं बढ़ सकी। ऐसे कठिन दौर में भी हमारी यात्रा जारी रही। हमारा जत्था किसी भी बाधा के आगे निकलता रहा। मां नर्मदा को लेकर डी.पी. मिश्रा, श्यामाचरण शुक्ल, शिवराज सिंह चैहान, अनिल दवे जैसे कई राजनेताओं ने राजनीति की है। वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान मां नर्मदा को अपनी मां कहते हैं। गत वर्ष उन्होंने वृहद स्तर पर नर्मदा सेवा यात्रा की है लेकिन इन सभी के प्रयासों के बावजूद नर्मदा की स्थिति में कोई सुधार नहीं आया है। इसके जवाब में दिग्विजय कहते हैं कि नर्मदा मां का स्वरूप है और वह सभी का पालन करती है लेकिन मां कहने से नर्मदा मां नहीं हो जाती है। यह आत्मा से अनुभव करने की बात है। जिस दिन आप नौटंकी प्रपंच से उठकर आत्मा से मां के रूप में नर्मदा को अंगीकार करते हों तो सारी समस्या का निराकरण अपने आप हो जायेगा। नर्मदा देश की प्राचीनतम नदियों में से एक है। इतिहास और पुराणों में इस बात का प्रमाण मिलता है कि नर्मदा गंगा से अभी अधिक पुरानी नदी है। आदिगुरू शंकराचार्य जी से लेकर मंडनमिश्र, भगवान परशुराम, जमदागिनी ऋषि की तपोभूमि में मां नर्मदा के तट पर रही है। नर्मदा परिक्रमा में मां का मूल रूप देखने को मिलता है। मैं इस परिक्रमा के दौरान सभी से कहता हंू कि नर्मदा परिक्रमा स्वयं करके देखें आपका स्वयं का अनुभव अलग होगा। रहीं बात मां नर्मदा की स्थिति की तो लगभग 14 सालों में 100-100 फीट गहराई तक रेत का उत्खनन मशीनों के माध्यम से हो रहा है। मनमाने उत्खनन से जल प्रदूषित हो रहा है। मैंने अपने शासन काल में नर्मदा तटों पर रेत खनन मशीनों के द्वारा किये जाने की अनुमति नहीं दी थी। मेरा मानना है कि रेत हमेशा से जल को प्रदूषण मुक्त करते रहे हैं।
दिग्विजय सिंह की यह यात्रा अब समापन की बेला पर है। पाठक जब यह लेख पढ़ रहें होंगे तब तक इस यात्रा का समापन हो चुका होगा। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह वो पहले ऐसे पूर्व मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने लगभग 3300 किलोमीटर एवं 190 दिनों की यात्रा की है। लगभग 15 वर्ष पूर्व लिये गये संकल्प को पूर्ण करने राजनीति से 6 माह का अवकाश लेकर नर्मदा परिक्रमा के निर्धारित मानकों को अंगीकार कर यह यात्रा को पूर्ण करने का साहस करने वाले दिग्विजय सिंह के लगभग 3300 किलोमीटर सफर के दौरान कई राजनैतिक उपयोग की सामग्री के साथ-साथ जंगलों, पर्वतों, वन्य जीवों, समुद्र, बड़े-बड़े कछारों के साथ ही शासन प्रशासन की योजनाओ की जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन की हकीकत से भी साक्षात्कार हुआ होगा। इस यात्रा के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री ने लगभग 114 विधानसभा क्षेत्रों को छुआ है। इन विधानसभा क्षेत्र के विधायकगण वर्तमान दावेदारों के साथ ही कार्यकर्ताओं के बड़े समूह को अपने नेता से बात करने का अवसर मिला है। दिग्विजय सिंह जी की 6 माह का राजनैतिक अवकाश नर्मदा परिक्रमा की पूर्णाहूति के साथ 10 अप्रैल को समाप्त हो रहा है। राजनैतिक पण्डितों का मानना है कि दिग्विजय सिंह इस यात्रा के समापन के साथ ही राज्य की मुख्य धारा में वापस आ जायेंगे और विधानसभा चुनाव 2018 की कमान स्वयं संभालेंगे। राजनैतिक रूप से इस यात्रा का लाभ पार्टी को आगामी विधानसभा चुनाव में कितना मिलता है यह तो वक्त ही बतायेगा। इतिहास के पन्नों में सफलतापूर्वक नर्मदा परिक्रमा करने वाले राजनेता के तौर पर दिग्विजय सिंह पहले व्यक्ति हो गये हैं।
नर्मदा परिक्रमा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु साथ चल रहे हैं। दिग्विजय सिंह की इस यात्रा में पूर्व सांसद रामेश्वर नीखरा भी शामिल है। इस आध्यामिक यात्रा को भव्य और यादगार बनाने कांग्रेस पार्टी पूरा जोर लगा रही है। पार्टी सूत्रों के अनुसार इस समापन अवसर पर पूर्व प्रधानमत्री डॉ. मनमोहन सिंह, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी सहित कांग्रेस के सभी बड़े दिग्गजों को एक मंच पर लाने की तैयारी में है। कांग्रेस इस आयोजन के माध्यम से अपने कार्यकर्ताओं को एकजुट कर विधानसभा चुनाव के लिये तैयार करने में जुटी है। यह तो समय ही बतायेगा कि दिग्विजय सिंह की इस नर्मदा परिक्रमा से कांग्रेसी खेमे को कितना लाभ मिलेगा।

(लेखक राजनीतिक विश्लेषक और आईएफडब्ल्यूजे के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं)

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