हार कर बैठने से नहीं, सफलता ठानने से मिलेगी : दिव्यांगजन

सुशील देव

नई दिल्ली। जब कोई शारीरिक रूप से विकलांग होता है, तो उन्हें समाज या परिवार की कई नकारात्मक परिस्थितियां का सामना करना पड़ता है। ताने सुनने पड़ते हैं। कई चुनौतियों से मुकाबला करना पड़ता है। ऐसे ही संघर्षों से सफलता पाने वाले कुछ दिव्यांगों ने अपने जीवन की सच्चाई और आपबीती बयां की। मौका था, दिव्यांगजनों के पांचवें नेशनल कांफ्रेस का। इस मौके पर केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांजन सशक्तिकरण विभाग की सचिव शकुंतला गैमलिन समेत केंद्र सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

मथुरा के 21 वर्षीय लक्ष्मण का 5 वर्ष की उम्र में गलत इंजेक्शन लगने की वजह से एक पैर विकलांग हो गया। तब से ज्यादातर लोगों ने उनके अंदर नकारात्मकता ही भरी। बड़े होकर नौकरी-रोजगार के बारे में सोचकर बेहद चिंतित रहा करता था। उसने बताया कि गुरूग्राम के ‘सार्थक एजुकेशनल ट्रस्ट’ के संपर्क में जब गया, तो उन्हें खास प्रशिक्षण मिला। यहां उनका मनोबल बढ़ा। आज वह सार्थक के जरिए ही ‘लेमन ट्री’ नामक कंपनी में नौकरी पाकर बेहद खुश है। लक्ष्मण ने बताया कि उन्हें खुशी है कि उसे उसकी कंपनी में उससे एक सामान्य व्यक्ति जैसा व्यवहार किया जाता है। उसे लगता है कि वह अब समाज की मुख्यधारा से जुड़ चुका है।

ठीक उसी प्रकार मथुरा के ही पुष्पेंद्र, जिसे महज तीन वर्ष की उम्र में ही पोलियो मार गया था। जिंदगी की जंग से जूझते हुए उसने भी सफलता के मुकाम हासिल कर लिए। कहता है कि लोग ताने देते थे कि वह जीवन में कुछ नहीं कर सकता। उसने कहा कि सार्थक को धन्यवाद देता हूं कि उसने हमारे जीवन को सार्थक बना दिया। वहां से प्रशिक्षित होकर आज ‘अमेजन’ कंपनी में कस्टमर सपोर्ट विभाग में कार्यरत है। एम कॉम तक पढ़ाई की है, और भी आगे बढ़ने की चाह है। वह कहता है कि दिव्यांगों को हार कर घर बैठने से नहीं, बल्कि मन में ठानने से सफलता मिलेगी।

रजनीश, दिव्या, विनय न सुन सकते और न बोल सकते हैं। कुछ दिव्यांग जो देख भी नहीं सकते। करीब ऐसे दो दर्जन से भी अधिक दिव्यांजनों ने संघर्श से सफलता की कहानी सुनाई जो रोमांचित करने वाला था। सार्थक एजुकेशनल ट्रस्ट के संस्थापक डा. जीतेंद्र अग्रवाल ने बताया कि अब तक 14 हजार बच्चों को प्रषिक्षित करके उन्होंने एमएनसी या निजी क्षेत्र की कंपनियों में नौकरियां दिलवाईं हैं। केंद्र सरकार के सहयोग से चलने वाले इस संस्था में कौशल विकास करके उन्हें नौकरियां या रोजगार के प्रेरित किया जाता है। अग्रवाल ने बताया कि कंप्यूटर, बेसिक इंगलिष, अकाउंट, रिटेल, आईटी, बीपीओ आदि से संबंधित कई विषयों में उनका क्षमता निर्माण किया जाता है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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